दमोह। क्या आप एक जोड़ी कपड़े कई दिनों तक पहन सकते हैं, तो शायद आप हां कहेंगे, लेकिन यदि आपसे कहा जाए कि एक जोड़ी कपड़े महीनों तक पहनना है तो आप मना कर देंगे. ईटीवी आज आपको ऐसे शख्स से मिलाने जा रहा है, जो बुंदलेखंड में 'सस्ते महाराज' नाम से विख्यात हो चुका है. तस्वीरों में दिख रहे ये सस्ते महाराज लोगों के दुखों का निवारण सस्ते में ही करते हैं. यही वजह है कि दूर-दूर से लोग उनके पास पहुंचते हैं और अपनी परेशानी बताते हैं, इसके बाद महाराज लोगों से कुछ भी मांगकर अपने शरीर पर धारण कर लेते हैं और समस्या का हल होने के बाद वे नर्मदा जाकर उसे विसर्जित कर देते हैं.
सस्ते महाराज के बारे में कहा जाता है कि ये न तो सोते हैं और न ही नहाते हैं. इन महाशय ने तो ईटीवी भारत से बातचीत नहीं कि, लेकिन उनसे जुड़े लोगों ने उनकी खूबियां बताई हैं. सस्ते महाराज पिछले 50 सालों से लोगों को परेशानी हल कर रहे हैं. यही वजह है कि इनके शरीर पर भारी तादात में कपड़े दिख रहे हैं, ये किसी से हेलमेट मांग लेते हैं तो किसी से पैसे, खास बात ये है कि ये उन पैसों को न तो खुद पर खर्च करते हैं और न ही दूसरों को देते हैं. उनका एक ही काम है कि, नर्मदा जाकर उन सभी चीजों को विसर्जित करना. सागर जिले के शाहपुर क्षेत्र के एक गांव में जन्म लेने के बाद सस्ते महाराज ने रामलीला का मंचन किया और भागवत कथा करते-करते उन्हें सिद्धि मिली, जिसके बाद वे लोगों की समस्या हल करने लगे और उपहार के रूप में सस्ती चीजें लेने लगे. तभी से उनका नाम सस्ते महाराज पड़ गया.
तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि चिलचिलाती धूम में भी संत सैकड़ों कपड़े पहने हुए हैं और लोग उन्हें नमन कर रहे हैं. यही वजह है कि ये सस्ते महाराज लोगों के बीच काफी चर्चित हैं. यूं तो भारत में आस्था और अंधविश्वास फैला हुआ है, लेकिन हमारा उद्देश्य अंधविश्वास फैलाना नहीं, इसलिए हमने इस खबर के जरिए आपको ऐसे संत से मिलाया है, जिसका अंदाज औरों से जुदा है.