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क्या है ODF डबल प्लस की जमीनी हकीकत , ईटीवी भारत ने की पड़ताल - Toilet free

नगर पालिका को स्वच्छता अभियान के तहत ओडीएफ डबल प्लस का तमगा हासिल है लेकिन हकीकत कुछ और ही बयान करती है. इसके लिए ईटीवी भारत ने नगर पालिका में आने वाले हिरदेपुर गांव में जमीनी हकीकत का जायजा लिया.

ईटीवी भारत ने की ग्रामीण क्षेत्र की पड़ताल
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Published : Oct 11, 2019, 8:26 AM IST

Updated : Oct 11, 2019, 9:02 AM IST

दमोह। नगर पालिका को स्वच्छता अभियान के तहत ओडीएफ डबल प्लस का तमगा हासिल है, जिसका मतलब होता है कि क्षेत्र खुले में शौच मुक्त हो गया है, इसके साथ ही यहां पर बाहर से आने वालों के लिए भी सार्वजनिक शौचालय की बेहतर व्यवस्था है लेकिन हकीकत कुछ और ही बयान करती है. इसके लिए ईटीवी भारत ने नगर पालिका में आने वाले हिरदेपुर गांव में जमीनी हकीकत का जायजा लिया.

क्या है ODF डबल प्लस की जमीनी हकीकत

शहर से सटे ग्राणीण क्षेत्रों में शौचालय की व्यवस्था अभी भी नहीं सुधरी है. शहर से ही सटे ग्रामीण क्षेत्र के लोग आज भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. यह समस्या गरीब तबके के लिए और भी बड़ी है, क्योंकि न उनके पास शौचालय निर्माण के लिए पैसे हैं और न ही घूस देने के लिए. हालत ये है कि बुजुर्ग लोगों को शौच करने के लिए किसी के सहारे पटरी पार करके जाना पड़ता है.

हिरदेपुर गांव की एक महिला ने बताया कि वह कई बार शौचालय निर्माण के लिए गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन पैसा और पहुंच न होने के कारण शौचालय नहीं बन पाया. मोहल्ले में कई घर ऐसे हैं जहां पर शौचालय अभी भी नहीं बने हैं.
वहीं नगर पालिका के सीएमओ का अलग ही बयान है. उनका कहना है कि दमोह को शौच मुक्त करा लिया गया है, जो लोग सरकारी जमीनों पर अपने घर बनाकर रह रहे है, उनके घर में शौचालय नहीं है, जिसे जल्द ही बनवाया जाएगा.

दमोह। नगर पालिका को स्वच्छता अभियान के तहत ओडीएफ डबल प्लस का तमगा हासिल है, जिसका मतलब होता है कि क्षेत्र खुले में शौच मुक्त हो गया है, इसके साथ ही यहां पर बाहर से आने वालों के लिए भी सार्वजनिक शौचालय की बेहतर व्यवस्था है लेकिन हकीकत कुछ और ही बयान करती है. इसके लिए ईटीवी भारत ने नगर पालिका में आने वाले हिरदेपुर गांव में जमीनी हकीकत का जायजा लिया.

क्या है ODF डबल प्लस की जमीनी हकीकत

शहर से सटे ग्राणीण क्षेत्रों में शौचालय की व्यवस्था अभी भी नहीं सुधरी है. शहर से ही सटे ग्रामीण क्षेत्र के लोग आज भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. यह समस्या गरीब तबके के लिए और भी बड़ी है, क्योंकि न उनके पास शौचालय निर्माण के लिए पैसे हैं और न ही घूस देने के लिए. हालत ये है कि बुजुर्ग लोगों को शौच करने के लिए किसी के सहारे पटरी पार करके जाना पड़ता है.

हिरदेपुर गांव की एक महिला ने बताया कि वह कई बार शौचालय निर्माण के लिए गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन पैसा और पहुंच न होने के कारण शौचालय नहीं बन पाया. मोहल्ले में कई घर ऐसे हैं जहां पर शौचालय अभी भी नहीं बने हैं.
वहीं नगर पालिका के सीएमओ का अलग ही बयान है. उनका कहना है कि दमोह को शौच मुक्त करा लिया गया है, जो लोग सरकारी जमीनों पर अपने घर बनाकर रह रहे है, उनके घर में शौचालय नहीं है, जिसे जल्द ही बनवाया जाएगा.

Intro:दमोह शहर के आसपास के ग्रामीण अंचलों में ओडीएफ की हकीकत

खुले में शौच जाने के लिए अभी भी लोग मजबूर

सरकार की योजना का गरीब तबके के लोगों को नहीं मिल पा रहा है लाभ


दमोह. सरकार चाहे लाख दावे कर ले लेकिन शहरों के साथ ग्रामीण अंचलों के लोगों को शौचालय की सौगात अभी भी दूर की कौड़ी बना हुआ है. सबसे ज्यादा परेशान गरीब तबके के लोग हैं जिन लोगों का कोई सोर्स नहीं है. यही कारण है कि वे लोग आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है. यह हालात शहर से सटे ग्रामीण अंचलों के हैं. ईटीवी की पड़ताल में यह हकीकत सामने आई है.


Body:दमोह नगर पालिका को ओडीएफ प्लस प्लस मिला है. इसका साफ मतलब है कि दमोह शहर में जितने शौचालय की आवश्यकता थी उतने का निर्माण किया गया. इसके अलावा सुलभ शौचालय के माध्यम से बाहर से आने वाले लोगों को भी शौचालय उपलब्ध कराए गए. ऐसी में दमोह शहर शौचालय की उपलब्धता के कारण खुले में शौच से मुक्त हो गया है. लेकिन हम जमीनी हकीकत की बात करें तो शहर से सटे ग्रामीण अंचलों में अभी भी स्वच्छ भारत अभियान के यह शौचालय दूर की कौड़ी साबित हो रहे हैं. हमने शहर से सटे हिरदेपुर गांव का निरीक्षण किया जो नगरपालिका के अंतर्गत आने के साथ ही ग्राम पंचायत के क्षेत्र में भी आता है. यहां पर रहने वाले कई लोग आज भी शौचालय के लिए परेशान हैं, और वे पटरियों को पार करके या पटरी पर बैठकर या फिर तालाबों के किनारे बैठकर शौच जाने के लिए मजबूर है. यह लोग बताते हैं कि कई बार शौचालय निर्माण के लिए गुहार लगाई गई. लेकिन सरपंच द्वारा पहले शौचालय निर्माण की बात कही गई. उसके बाद पैसा दिए जाने की बात कहीं जाती है. ऐसे में उनके घर शौचालय नहीं है और वे लोग खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं. मोहल्ले के लोग भी यही बताते हैं कि ऐसे कई घर हैं जिनमें आज भी शौचालय नहीं है. तो वे खुले में शौच जाने मजबूर होना पड़ रहा है. वहीं नगर पालिका की बात करें तो सीएमओ का कहना है कि दमोह को शौच मुक्त करा लिया गया है. आसपास जो भी इलाके शेष रह गए होंगे उन्हें भी शौच मुक्त किए जाने का प्रयास किया जाएगा.

बाइट - मीराबाई खुले में शौच जाने वाली बुजुर्ग महिला

बाइट - हरि सिंह खुले में शौच जाने वाले ग्रामीण

बाइट - खुले में शौच जाने वाले की परेशानी बयां करती महिला

बाइट- कपिल खरे सीएमओ नगर




Conclusion:शौच मुक्त भारत की बात करने वाले नेता सर्वेयर के माध्यम से दमोह को भी खुले में शौच मुक्त कर चुके हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. यही कारण है कि शहरी इलाकों से सटे ग्रामीण अंचलों में भी इस तरह के प्रयासों की आवश्यकता है कि वहां पर खुले में शौच मुक्त स्थानों को करने के लिए सर्वे किया जाए. आवश्यकता के अनुसार वहां पर निर्माण को प्राथमिकता दी जाए.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
Last Updated : Oct 11, 2019, 9:02 AM IST
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