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दमोह: कोरोना कर्फ्यू के बाद भी लोग लगा रहे भीड़, सख्त होगा प्रशासन

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Published : Apr 26, 2021, 7:37 AM IST

दमोह में कोरोना संक्रमण को देखते हुए कलेक्टर तरुण राठी ने कोरोना के नियमों में कुछ बदलाव किया है.

Corona curfew is not being done
दमोह में नहीं हो रहा है कोरोना कर्फ्यू का पालन

दमोह। जिले में कोरोना कर्फ्यू लागू है, इसके बावजूद भी लोग कोरोना कर्फ्यू का पालन नहीं कर रहे हैं. लोग जगह-जगह भीड़ इकट्ठा कर रहे हैं. वहीं, कोरोना संक्रमण को देखते हुए कलेक्टर तरुण राठी ने कोरोना के नियमों में कुछ बदलाव किया है. नए नियम के अनुसार अब अब ई ऑटो रिक्शा में दो से अधिक सवारियां रिक्शा चालक नहीं बैठा सकेंगे. इसके अलावा कार में भी चालक के अतिरिक्त 2 सवारियां ही बैठ सकेंगी. सभी लोगों को मास्क लगाना अनिवार्य है.

पिछले साल से इस साल का कोरोना अलग है
पिछले साल लगाए गए लॉकडाउन के कारण सभी तरह के प्रतिष्ठान दुकानें, होटल, मॉल बंद कर दिए गए थे. इसके अलावा अनावश्यक रूप से बाजार में घूमने वाले लोगों पर मामला दर्ज कर चालानी कार्रवाई की गई थी, वाहन जब्त किए गए थे, जिसके कारण लोग ज्यादातर समय घरों में ही रह रहे थे. इस कारण कोरोना महामारी की चेन तोड़ने में काफी हद तक मदद मिली थी, लेकिन दमोह में इस समय जो कर्फ्यू लगाया गया है वह पिछले साल से बिल्कुल अलग है. पिछली बार की अपेक्षा इस बार कर्फ्यू में दुकाने तो बंद हैं, लेकिन लोग बाजारों और सड़कों पर अनावश्यक रूप से घूम रहे हैं. भीड़ में अनेक लोग ऐसे भी नजर आते हैं, जो न तो मास्क लगाते हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं.

दमोह में नहीं हो रहा है कोरोना कर्फ्यू का पालन

पहले और अब में क्या है अंतर
पिछली बार कामकाज उद्योग धंधे पूरी तरह बंद होने के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति पर काफी बुरा असर पड़ा था. इसलिए इस बार कोरोना कर्फ्यू तो लगाया गया, लेकिन कुछ मामलों में छूट भी दी गई है. जैसे चाय की दुकानें, गन्ना जूस की दुकान, मटकी सुराही, बांस का सामान बेचने वालों की दुकान, पान की दुकान सहित छोटी दुकानों को खोलने की छूट दी गई है, ताकि इनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर न पड़े, लेकिन इसके बाद भी सुबह होते ही लोगों की भीड़ सड़कों और बाजारों में दिखाई देने लगती है. पूरा बाजार भले ही बंद है, लेकिन दुकानों के बाहर लोग इकट्ठा होकर खड़े हो जाते हैं या फिर वाहनों से इधर-उधर घूमते रहते हैं. ऐसे में संक्रमण की दर कम होने की बजाय लगातार बढ़ रही है.

2 मई के बाद हो सकती है सख्त

इस बात से प्रशासन भी भली-भांति परिचित है कि दिए गए छूट का लोग अनावश्यक रूप से फायदा उठा रहे हैं. हालांकि, 2 मई को मतगणना है और 3 मई को आचार संहिता खत्म हो जाएगी, इसके बाद संभव है कि जिला प्रशासन कर्फ्यू के नियमों का सख्ती के साथ पालन कराए. क्योंकि जिस तरह से कर्फ्यू की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और बाजारों में चहल-पहल देखी जा रही है उससे नहीं लगता है कि दमोह में कोरोना कर्फ्यू का कोई असर है.

कब कितने मरीज आए

मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. पिछले 1 सप्ताह के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह संख्या 1 हजार के करीब पहुंची थी. 18 अप्रैल को 110 मरीज, 19 अप्रैल को 93 मरीज, 20 अप्रैल को 103 मरीज, 21 अप्रैल को 100 मरीज, 22 अप्रैल को 167 मरीज, 23 अप्रैल को 118 और 24 अप्रैल को 145 नए मरीज सामने आए. हालांकि, पिछले 3 दिनों में करीब 103 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज भी हुए हैं, लेकिन संक्रमित मरीजों की अपेक्षा ठीक होने वालों का यह आंकड़ा काफी कम है.

दमोह। जिले में कोरोना कर्फ्यू लागू है, इसके बावजूद भी लोग कोरोना कर्फ्यू का पालन नहीं कर रहे हैं. लोग जगह-जगह भीड़ इकट्ठा कर रहे हैं. वहीं, कोरोना संक्रमण को देखते हुए कलेक्टर तरुण राठी ने कोरोना के नियमों में कुछ बदलाव किया है. नए नियम के अनुसार अब अब ई ऑटो रिक्शा में दो से अधिक सवारियां रिक्शा चालक नहीं बैठा सकेंगे. इसके अलावा कार में भी चालक के अतिरिक्त 2 सवारियां ही बैठ सकेंगी. सभी लोगों को मास्क लगाना अनिवार्य है.

पिछले साल से इस साल का कोरोना अलग है
पिछले साल लगाए गए लॉकडाउन के कारण सभी तरह के प्रतिष्ठान दुकानें, होटल, मॉल बंद कर दिए गए थे. इसके अलावा अनावश्यक रूप से बाजार में घूमने वाले लोगों पर मामला दर्ज कर चालानी कार्रवाई की गई थी, वाहन जब्त किए गए थे, जिसके कारण लोग ज्यादातर समय घरों में ही रह रहे थे. इस कारण कोरोना महामारी की चेन तोड़ने में काफी हद तक मदद मिली थी, लेकिन दमोह में इस समय जो कर्फ्यू लगाया गया है वह पिछले साल से बिल्कुल अलग है. पिछली बार की अपेक्षा इस बार कर्फ्यू में दुकाने तो बंद हैं, लेकिन लोग बाजारों और सड़कों पर अनावश्यक रूप से घूम रहे हैं. भीड़ में अनेक लोग ऐसे भी नजर आते हैं, जो न तो मास्क लगाते हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं.

दमोह में नहीं हो रहा है कोरोना कर्फ्यू का पालन

पहले और अब में क्या है अंतर
पिछली बार कामकाज उद्योग धंधे पूरी तरह बंद होने के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति पर काफी बुरा असर पड़ा था. इसलिए इस बार कोरोना कर्फ्यू तो लगाया गया, लेकिन कुछ मामलों में छूट भी दी गई है. जैसे चाय की दुकानें, गन्ना जूस की दुकान, मटकी सुराही, बांस का सामान बेचने वालों की दुकान, पान की दुकान सहित छोटी दुकानों को खोलने की छूट दी गई है, ताकि इनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर न पड़े, लेकिन इसके बाद भी सुबह होते ही लोगों की भीड़ सड़कों और बाजारों में दिखाई देने लगती है. पूरा बाजार भले ही बंद है, लेकिन दुकानों के बाहर लोग इकट्ठा होकर खड़े हो जाते हैं या फिर वाहनों से इधर-उधर घूमते रहते हैं. ऐसे में संक्रमण की दर कम होने की बजाय लगातार बढ़ रही है.

2 मई के बाद हो सकती है सख्त

इस बात से प्रशासन भी भली-भांति परिचित है कि दिए गए छूट का लोग अनावश्यक रूप से फायदा उठा रहे हैं. हालांकि, 2 मई को मतगणना है और 3 मई को आचार संहिता खत्म हो जाएगी, इसके बाद संभव है कि जिला प्रशासन कर्फ्यू के नियमों का सख्ती के साथ पालन कराए. क्योंकि जिस तरह से कर्फ्यू की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और बाजारों में चहल-पहल देखी जा रही है उससे नहीं लगता है कि दमोह में कोरोना कर्फ्यू का कोई असर है.

कब कितने मरीज आए

मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. पिछले 1 सप्ताह के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह संख्या 1 हजार के करीब पहुंची थी. 18 अप्रैल को 110 मरीज, 19 अप्रैल को 93 मरीज, 20 अप्रैल को 103 मरीज, 21 अप्रैल को 100 मरीज, 22 अप्रैल को 167 मरीज, 23 अप्रैल को 118 और 24 अप्रैल को 145 नए मरीज सामने आए. हालांकि, पिछले 3 दिनों में करीब 103 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज भी हुए हैं, लेकिन संक्रमित मरीजों की अपेक्षा ठीक होने वालों का यह आंकड़ा काफी कम है.

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