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दमोह में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने खून से लिखा खत, नियमितीकरण की मांग - नियमितीकरण की मांग

दमोह में कोरोना महामारी में अपनी सेवाएं देने वाले संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने मुख्यमंत्री को खून से खत लिखकर नियमितीकरण की मांग की है. उन्होंने एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपकर निराकरण न होने पर बेमियादी हड़ताल की चेतावनी दी है.

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने की नियमितीकरण की मांग
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने की नियमितीकरण की मांग
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Published : May 27, 2021, 5:34 PM IST

दमोह। कोरोना महामारी में अपनी सेवाएं देने वाले संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने मुख्यमंत्री को खून से खत लिखकर नियमितीकरण की मांग की है. उन्होंने एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपकर निराकरण न होने पर हड़ताल की चेतावनी भी दी है. गौरतलब है कि कोरोना महामारी के इस दौर में लगातार अपनी सेवाएं दे रहे अस्थाई स्वास्थ्य कर्मचारियों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है. उन्होंने अपनी मांगे मनवाने के लिए विरोध स्वरूप नया तरीका इस्तेमाल किया है. अबकी बार उन्होंने अपने खून से मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर अपनी आवाज बुलंद की है. अपनी 2 सूत्रीय मांगों को लेकर समय-समय पर ज्ञापन देने वाले कर्मचारियों ने दो दिन भीतर मांगें पूरी न होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है.जिसे लेकर एक ज्ञापन आज उन्होंने अपर कलेक्टर नाथूराथ गौंड और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संगीता त्रिवेदी को सौंपा है. बता दें कि जिले में पैरामेडिकल स्टाफ, आयुष विभाग सहित तमाम अस्थाई कर्मचारियों की संख्या 200 से अधिक है.

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने खून से लिखा खत


क्या हैं मांगें
संविदा आयुष और पैरामेडिकल स्टाफ का कहना है कि वे लगातार काम कर रहे हैं लेकिन न तो उनका नियमितीकरण किया जा रहा है और न ही समान कार्य समान वेतन की मांग पूरी की जा रही है. ऐसे में उनका काम करना मुश्किल हो रहा है. अगर सरकार ने बात नहीं मानी तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य हो जाएंगे.


मांग नहीं मानी तो जाएंगे बेमियादी हड़ताल पर
स्टाफ नर्स दीपा तिवारी ने बताया कि आयुष, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी इन सभी को सरकार अलग-अलग नजरिए से देख रही है. जबकि हम मरीजों को केवल मरीज की दृष्टि से ही देखते हैं, चाहे वह कोई भी हो. हम परिवार से दूर रहकर कोरोना महामारी में लगातार 24 घंटे अपनी सेवाएं दे रहे हैं. और अपना योगदान दे रहे हैं, लेकिन फिर भी सरकार हमारी मांगे नहीं मान रही है. हमारा सरकार से आग्रह है कि वो हमारी छोटी सी सेवा को ध्यान में रखकर हमें नियमित करके समान कार्य समान वेतन दे. मामले को लेकर आयुष डॉक्टर सुरेंद्र पटेल कहते हैं कि वे लगातार सरकार से संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और समान कार्य समान वेतन देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है, यदि 2 दिन के भीतर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे.


जान हथेली पर रखकर कर रहे काम
आयुष डॉक्टर अभिषेक जैन कहते हैं कि पिछले 1 साल से हम अपनी जान हथेली पर रखकर सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन सरकार लगातार हमें नजरअंदाज कर रही है. यदि दो दिन के भीतर हमारी मांगे नहीं मानी गईं तो हम प्रदेशभर के पैरामेडिकल स्टाफ, आयुष चिकित्सक और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे. जिससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर चली जाएंगी और इसकी तमाम जवाबदारी शासन- प्रशासन और सरकार की होगी.


खून से खत लिखने के बाद उम्मीद है कि सरकार संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की मांग पर ध्यान देगी और जल्द मांगों का निराकरण होगा.

दमोह। कोरोना महामारी में अपनी सेवाएं देने वाले संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने मुख्यमंत्री को खून से खत लिखकर नियमितीकरण की मांग की है. उन्होंने एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपकर निराकरण न होने पर हड़ताल की चेतावनी भी दी है. गौरतलब है कि कोरोना महामारी के इस दौर में लगातार अपनी सेवाएं दे रहे अस्थाई स्वास्थ्य कर्मचारियों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है. उन्होंने अपनी मांगे मनवाने के लिए विरोध स्वरूप नया तरीका इस्तेमाल किया है. अबकी बार उन्होंने अपने खून से मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर अपनी आवाज बुलंद की है. अपनी 2 सूत्रीय मांगों को लेकर समय-समय पर ज्ञापन देने वाले कर्मचारियों ने दो दिन भीतर मांगें पूरी न होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है.जिसे लेकर एक ज्ञापन आज उन्होंने अपर कलेक्टर नाथूराथ गौंड और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संगीता त्रिवेदी को सौंपा है. बता दें कि जिले में पैरामेडिकल स्टाफ, आयुष विभाग सहित तमाम अस्थाई कर्मचारियों की संख्या 200 से अधिक है.

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने खून से लिखा खत


क्या हैं मांगें
संविदा आयुष और पैरामेडिकल स्टाफ का कहना है कि वे लगातार काम कर रहे हैं लेकिन न तो उनका नियमितीकरण किया जा रहा है और न ही समान कार्य समान वेतन की मांग पूरी की जा रही है. ऐसे में उनका काम करना मुश्किल हो रहा है. अगर सरकार ने बात नहीं मानी तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य हो जाएंगे.


मांग नहीं मानी तो जाएंगे बेमियादी हड़ताल पर
स्टाफ नर्स दीपा तिवारी ने बताया कि आयुष, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी इन सभी को सरकार अलग-अलग नजरिए से देख रही है. जबकि हम मरीजों को केवल मरीज की दृष्टि से ही देखते हैं, चाहे वह कोई भी हो. हम परिवार से दूर रहकर कोरोना महामारी में लगातार 24 घंटे अपनी सेवाएं दे रहे हैं. और अपना योगदान दे रहे हैं, लेकिन फिर भी सरकार हमारी मांगे नहीं मान रही है. हमारा सरकार से आग्रह है कि वो हमारी छोटी सी सेवा को ध्यान में रखकर हमें नियमित करके समान कार्य समान वेतन दे. मामले को लेकर आयुष डॉक्टर सुरेंद्र पटेल कहते हैं कि वे लगातार सरकार से संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और समान कार्य समान वेतन देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है, यदि 2 दिन के भीतर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे.


जान हथेली पर रखकर कर रहे काम
आयुष डॉक्टर अभिषेक जैन कहते हैं कि पिछले 1 साल से हम अपनी जान हथेली पर रखकर सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन सरकार लगातार हमें नजरअंदाज कर रही है. यदि दो दिन के भीतर हमारी मांगे नहीं मानी गईं तो हम प्रदेशभर के पैरामेडिकल स्टाफ, आयुष चिकित्सक और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे. जिससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर चली जाएंगी और इसकी तमाम जवाबदारी शासन- प्रशासन और सरकार की होगी.


खून से खत लिखने के बाद उम्मीद है कि सरकार संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की मांग पर ध्यान देगी और जल्द मांगों का निराकरण होगा.

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