दमोह। कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो. जिस पहाड़ की सतह पर कभी घास भी नहीं उग सकती थी, वहां पौधे रोपने की शुरुआत एक ऐसे शख्स ने की जो पेड़-पौधों से बच्चों की तरह प्रेम करता है. वन विभाग के चौकीदार गयाप्रसाद वनविहीन पहाड़ियों में पौधरोपण के लिए रोल मॉडल बन गए हैं. वीरान पहाड़ी कहलाने वाली मड़ियादो के शिलापरी जंगल की सूरत एक दम बदल गई है.
बुलंद इरादे और मेहनत से पहाड़ी पर पिछले 25 सालों में एक लाख से ज्यादा पेड़ फूलने-फलने लगे हैं. करीब 30 हेक्टेयर में फैला पहाड़ खूबसूरत वादियों में तब्दील हो गया है. जंगल की सुरक्षा करने वाले गयाप्रसाद यादव की 25 साल की मेहनत ने शिलापरी गांव के पहाड़ पर विशाल जंगल खड़ा कर दिया है. इस जंगल में सागौन सहित अन्य किस्म के एक लाख से ज्यादा पेड़ लगे हुए हैं, जो गयाप्रसाद यादव की कहानी खुद बयां कर रहे हैं.
60 साल के गयाप्रसाद ने दस रुपए से चौकीदार की नौकरी शुरू की थी. पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण प्रहरी के तौर पर (BSW) जन अभियान परिषद की टीम ने गयाप्रसाद यादव का हटा के रंगमहल में सम्मान किया है. पेड़ों को बच्चों की तरह पालने वाले गयाप्रसाद को जब यह सम्मान मिला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.