छिंदवाड़ा। प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण प्रदेश के कई जिले जलमग्न हो गए हैं, जिस वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं इस प्राकृतिक आपदा से फिर किसानों पर मार पड़ी है. लगातार हो रही बारिश से अन्नदाता परेशान हैं. पहले ही कोरोना और लॉडाउन की मार फिर टिड्डियों का प्रहार और अब झमाझम बारिश. प्रदेश में एक बार फिर किसानों की आंखे भरने लगी हैं और उनकी परेशानी दोगुनी हो गई है.
खेतों में भरा लबालब पानी
छिंदवाड़ा में इस साल अन्नदाता को कई अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है. पहले लॉकडाउन के चलते अन्नदाता को परिवहन बंद होने और बाजार बंद होने के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ा, जिस कारण उनकी लागत भी नहीं निकल पाई. उसके बाद टिड्डी दल के आतंक से किसानों ने अपनी फसल बचाई. उसके बाद जैसे-तैसे किसान ने फिर कमर कसी और अपने खेतों में फसल और सब्जियां लगाई, लेकिन पिछले 48 घंटों से ज्यादा समय से हो रही बारिश से खेतों में लबालब पानी भर गया है. ऐसे में अब किसानों की मक्के की फसल खेतों में ही गिर गई है.
मध्यप्रदेश में कई जिलों में मौसम को लेकर अलर्ट जारी किया गया था. छिंदवाड़ा जिले में भी यलो अलर्ट था. करीब 48 घंटों से हो रही तेज बारिश से सभी जगह पानी ही पानी हो गया है. जिस कारण खेतों में लगी फसल और सब्जियां बर्बाद हो गई हैं. ये सब देख किसान मायूस हैं.
परिवहन बंद होने से पड़ा असर
परिवहन बंद रहने के कारण सब्जियों का आवागमन बहुत जगह नहीं हो पा रहा है, जिस कारण किसान अपनी सब्जियों को बाजार तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
किसान ने बताया कि यूरिया के लिए वहां लाइन में घंटों खड़े रहना पड़ता है, उसके बाद भी उन्हें यूरिया उपलब्ध नहीं हो पाया. दो-दो,तीन-तीन दिन धक्के खाने के बाद जैसा-तैसे उन्हें यूरिया मिला तो वह भी पर्याप्त नहीं.
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मुनाफा छोड़ो लागत भी नहीं निकल रही
लॉकडाउन और प्राकृतिक आपदा के चलते किसान अब सरकार की ओर से मदद की उम्मीद से नजर लगाए हुए हैं. प्राकृतिक आपदा का कहर बारिश के रूप में किसानों के ऊपर टूटा है. खेतों में लगी फसल चौपट हो गई है. अब किसान के मुनाफा को तो छोड़िए उन्हें लागत निकलने के भी आसार नहीं लग रहे हैं.