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लॉकडाउन में व्यापार पर लगा ताला तो गलियों में घूम-घूम सब्जी-फल बेचने लगे मजबूर - सब्जी बेचने को मजबूर हैं मजदूर

मजदूरी और सुपरवाइजर की नौकरी कर परिवार पालने वाले अब अब गलियों में घूम-घूमकर सब्जी-फल बेचकर अपना घर चला रहे हैं, लॉकडाउन की वजह से छोटे व्यापारियों के रोजगार पर भी ताला लग गया है.

Supervisor becomes fruit seller
सुपरवाइजर बना फल विक्रेता
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Published : May 17, 2020, 10:01 AM IST

छिंदवाड़ा। कोरोना महामारी ने हजारों लोगों के रोजगार पर ताला जड़ दिया है, ऐसे में छिंदवाड़ा के लोगों ने रोजी-रोटी कमाने का तरीका भी बदल लिया है, जो लोग पहले मजदूरी और सुपरवाइजर की नौकरी कर अपना पेट पालते थे, वे अब गलियों में सब्जी बेचकर अपना घर चला रहे हैं. कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन की वजह से छोटे व्यापारियों का काम-धंधा पूरी तरह से बंद हो गया, जिसके चलते उनके सामने रोजी-रोटी का खतरा मंडराने लगा है. छोटे व्यापारी अपना व्यापार छोड़ अब सब्जी बेचने लगे हैं.

सुपरवाइजर बना फल विक्रेता

छोटे-मोटे धंधे अब ठंडे पड़ गए हैं, मजदूर, सुपरवाइजर और घर-घर जाकर लोहा-रद्दी खरीदने वाले भी सब्जी बेचकर गुजारा कर रहे हैं, कुछ ऐसे ही लोगों से बात करने पर पता चला कि जो पहले दूध बेचने का काम करते थे, वो भी अब रोजी-रोटी चलाने के लिए फल बेच रहे हैं. व्यापारियों ने कहा कि पहले अपने काम से पैसा कमा लेते थे, रोजी-रोटी बढ़िया चल रही थी, लेकिन लॉकडाउन में काम बंद हो गया. कुछ दिन इंतजार के बाद घर चलाने की समस्या खड़ी हो गई.

परिवार का पालन पोषण करने के लिए व्यापारी अपनी जिम्मेदारी को देखते हुए सब्जी और फल बेचने लगे हैं और हर गली-मोहल्ले में ठेला लिए अपनों की खातिर घूमने को मजबूर हैं. काम में मन नहीं लगने के बाद भी वे ये काम करने को मजबूर हैं.

छिंदवाड़ा। कोरोना महामारी ने हजारों लोगों के रोजगार पर ताला जड़ दिया है, ऐसे में छिंदवाड़ा के लोगों ने रोजी-रोटी कमाने का तरीका भी बदल लिया है, जो लोग पहले मजदूरी और सुपरवाइजर की नौकरी कर अपना पेट पालते थे, वे अब गलियों में सब्जी बेचकर अपना घर चला रहे हैं. कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन की वजह से छोटे व्यापारियों का काम-धंधा पूरी तरह से बंद हो गया, जिसके चलते उनके सामने रोजी-रोटी का खतरा मंडराने लगा है. छोटे व्यापारी अपना व्यापार छोड़ अब सब्जी बेचने लगे हैं.

सुपरवाइजर बना फल विक्रेता

छोटे-मोटे धंधे अब ठंडे पड़ गए हैं, मजदूर, सुपरवाइजर और घर-घर जाकर लोहा-रद्दी खरीदने वाले भी सब्जी बेचकर गुजारा कर रहे हैं, कुछ ऐसे ही लोगों से बात करने पर पता चला कि जो पहले दूध बेचने का काम करते थे, वो भी अब रोजी-रोटी चलाने के लिए फल बेच रहे हैं. व्यापारियों ने कहा कि पहले अपने काम से पैसा कमा लेते थे, रोजी-रोटी बढ़िया चल रही थी, लेकिन लॉकडाउन में काम बंद हो गया. कुछ दिन इंतजार के बाद घर चलाने की समस्या खड़ी हो गई.

परिवार का पालन पोषण करने के लिए व्यापारी अपनी जिम्मेदारी को देखते हुए सब्जी और फल बेचने लगे हैं और हर गली-मोहल्ले में ठेला लिए अपनों की खातिर घूमने को मजबूर हैं. काम में मन नहीं लगने के बाद भी वे ये काम करने को मजबूर हैं.

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