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ग्रहण काल खत्म होते ही खुले मंदिर, पंडितों ने दी दान-पूजन की सलाह - छिंदवाड़ा में मंदिर खुले़

छिदवाड़ा में ग्रहण काल खत्म होने के बाद साफ-सफाई करके मंदिरों के पट खोल दिए गए. पूजा-अर्चना के बाद भगवान को भोग लगाया गया.

Temples open after eclipse
ग्रहण के बाद मंदिर खुले
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Published : Jun 21, 2020, 9:18 PM IST

छिंदवाड़ा। साल के पहले सूर्य ग्रहण के कारण छिंदवाड़ा में सूरज निकलने के बाद भी दूधिया रोशनी रही. सुबह से ही सूरज और बादलों में लुका-छिपी हो रही थी, लेकिन 10 बजे के आसपास सूरज पूरी तरह चमकने लगा. ग्रहण के शुरू होते ही सूरज की रोशनी मध्यम पड़ने लगी. इससे पक्षियों के चहकने की आवाजें कम हो गईं, हालांकि, इस स्थिति में भी लोग सूरज को खुली आंखों से नहीं देख पाए. ग्रहण काल खत्म होने के बाद शुद्धीकरण कर मंदिरों के पट खोल दिए गए और पूजा-अर्चना के बाद भगवान को भोग लगाया गया.

ग्रहण काल खत्म होने पर खुले मंदिर

पं. श्रवण कृष्ण शास्त्री ने बताया कि सूर्य ग्रहण काल के दौरान सभी मंदिरों के पट बंद थे और लोग घरों में ही रहकर आराधना कर रहे थे. अब सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिरों में साफ-सफाई कर भगवान के पट खोल दिए गए हैं और पूजा कर भोग लगाया जाएगा.

Hanuman Temple chhindwara
हनुमान मंदिर

उन्होंने, बताया कि ग्रहण का असर कम करने के लिए जातकों को सबसे पहले भगवान के दर्शन करने चाहिए, इसके अलावा गरीबों को दान करना चाहिए. गरीबों को दान दक्षिणा देने से सूर्य ग्रहण का असर कम हो सकता है.

Hanuman Temple chhindwara
बजरंगबली की मूर्ति

बता दें ग्रहण के समय में अच्छे फल के लिए लोगों ने घर पर रहकर मंत्रोचार, जाप और हवन आदि किया. इसके बाद तीर्थ, स्नान और दान आदि की परंपरा है. रात को ही लोगों ने घर में खाने-पीने की वस्तुओं में कुशा या तुलसी के पत्ते डाल दिए थे. इसके अलावा ग्रहण काल में कम ही लोग घरों से बाहर निकले.

छिंदवाड़ा। साल के पहले सूर्य ग्रहण के कारण छिंदवाड़ा में सूरज निकलने के बाद भी दूधिया रोशनी रही. सुबह से ही सूरज और बादलों में लुका-छिपी हो रही थी, लेकिन 10 बजे के आसपास सूरज पूरी तरह चमकने लगा. ग्रहण के शुरू होते ही सूरज की रोशनी मध्यम पड़ने लगी. इससे पक्षियों के चहकने की आवाजें कम हो गईं, हालांकि, इस स्थिति में भी लोग सूरज को खुली आंखों से नहीं देख पाए. ग्रहण काल खत्म होने के बाद शुद्धीकरण कर मंदिरों के पट खोल दिए गए और पूजा-अर्चना के बाद भगवान को भोग लगाया गया.

ग्रहण काल खत्म होने पर खुले मंदिर

पं. श्रवण कृष्ण शास्त्री ने बताया कि सूर्य ग्रहण काल के दौरान सभी मंदिरों के पट बंद थे और लोग घरों में ही रहकर आराधना कर रहे थे. अब सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिरों में साफ-सफाई कर भगवान के पट खोल दिए गए हैं और पूजा कर भोग लगाया जाएगा.

Hanuman Temple chhindwara
हनुमान मंदिर

उन्होंने, बताया कि ग्रहण का असर कम करने के लिए जातकों को सबसे पहले भगवान के दर्शन करने चाहिए, इसके अलावा गरीबों को दान करना चाहिए. गरीबों को दान दक्षिणा देने से सूर्य ग्रहण का असर कम हो सकता है.

Hanuman Temple chhindwara
बजरंगबली की मूर्ति

बता दें ग्रहण के समय में अच्छे फल के लिए लोगों ने घर पर रहकर मंत्रोचार, जाप और हवन आदि किया. इसके बाद तीर्थ, स्नान और दान आदि की परंपरा है. रात को ही लोगों ने घर में खाने-पीने की वस्तुओं में कुशा या तुलसी के पत्ते डाल दिए थे. इसके अलावा ग्रहण काल में कम ही लोग घरों से बाहर निकले.

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