छिंदवाड़ा। कहते हैं आस्था और विश्वास एक दूसरे के पूरक होते हैं और इन दोनों के बिना भक्त का भगवान से कोई नाता नहीं बनता और जब इस भाव पर आस्था-विश्वास की चादर चढ़ती है तो तैयार होता है भक्ति का अनूठा संगम. बस इसी भक्ति की शक्ति यहां हर उस भक्त को खींच लाती है, जिसके मन की मुराद अधूरी रह जाती है, जो नारियल वाले बाबा के दरबार में पहुंचकर पूरी हो जाती है.नारियल वाले बाबा के दरबार में इंसान चुंबक की तरह खिंचा चला आता है. छिंदवाड़ा के केसरी नंदन मंदिर में लगी भक्तों की ये लंबी-लंबी कतारें ऐसी ही आस्था और विश्वास का उदाहरण है. जहां भक्त अपनी मन्नतें लेकर भगवान राम के चिरसेवक हनुमानजी के दरबार पर पहुंचते हैं.
कहा जाता है कि इस मंदिर में विराजे हनुमान जी गर्भ गृह से प्रकट हुये थे. जो आज भी जमीन के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुंह करके विराजमान हैं. अयोध्या के बाद देश में ऐसा ये दूसरा मंदिर है. इस मंदिर की खास बात ये भी है कि प्रसाद के रुप में यहां चढ़ाया जाने वाला नारियल फोड़ा नहीं जाता, बल्कि उसे बांध दिया जाता है. जिसके चलते इस मंदिर को नारियल वाले बाबा का मंदिर भी कहा जाता है. जिससे संपूर्ण मंदिर परिसर नारियल की दीवारों से ढका नजर आता है.
आस्था के इस केंद्र को भक्त चमत्कारिक भी मानते हैं, कहा जाता है कि हनुमान जी की दिव्य मूर्ति यहां खुदाई के दौरान निकली थी, जिसके साथ अंगद का पैर, रहस्यमई दीवारें, आकृतियां भी सामने आई थी. जिनके दर्शन आज भी यहां किये जा सकते हैं. मान्यता है कि मुराद पूरी करने के लिये भक्त लिफाफे पर भगवान राम का नाम लिखकर यहां रख जाते हैं और मन्नत पूरी होते ही भंडारे का आयोजन करवाते हैं. जिससे यहां साल भर भक्तों की भीड़ देखी जाती है.नारियल वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध हनुमानजी का ये मंदिर पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है. जहां पूरे साल देश-विदेश से भक्त अपनी मुराद लेकर यहां पहुंचते हैं क्योंकि नारियल वाले बाबा के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता.