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कोरोना संकट में सरकार की सहायक बनी महिलाएं

कोरोना संकट काल के दौरान स्व-सहायता समूह की महिलाएं सरकार की सहायक बनी हैं. संकट मोचक बनकर गेहूं खरीदी में सहायता कर रही हैं.

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सहायक बनी महिलाएं
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Published : Apr 30, 2021, 1:42 PM IST

छिंदवाड़ा। कोरोना महामारी के भीषण दौर में जहां लोग घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं, तो वहीं महिलाएं सरकार के लिए संकट मोचक बनकर गेहूं खरीदी में सहायता कर रही हैं.

120 खरीदी केंद्रों में से 11 केंद्रों में महिलाएं कर रही हैं खरीदी
समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए 120 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें से 11 खरीदी केंद्रों में स्व-सहायता समूह की महिलाएं काम कर रही हैं. गेहूं की क्वालिटी परखने से लेकर तुलाई और उसका परिवहन करवाने तक की जिम्मेदारी महिलाओं ने अपने कंधे पर ले रखी है.

खूटपिपरिया गांव की हकीकत
खूटपिपरिया गांव में कृष्णा स्व-सहायता समूह गेहूं उपार्जन का काम कर रही है. महिलाओं ने बताया कि कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा है, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाई है, क्योंकि उन्होंने काम ले लिया था. उसे पूरा करना अब उनका फर्ज बनता है. वहीं महिलाओं ने लोगों से अपील की कि सभी लोग कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए गाइडलाइन का पालन जरूर करें.

सहायक बनी महिलाएं


गेहूं खरीदी केंद्र पर खाद्य विभाग की कार्रवाई, 1,600 बोरी गेहूं जब्त


स्व-सहायता समूह में 10 महिलाएं करती हैं काम
कृष्णा स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि उनके समूह में कुल 10 महिलाएं हैं, जो हर दिन घरेलू काम निपटाने के बाद खरीदी केंद्र पहुंचती हैं. अगर किसी दिन कोई नहीं आ पाता है, तो भी उनकी जगह किसी और महिला को काम के लिए भेज दिया जाता है.

कंप्यूटर से लेकर गुणवत्ता तक परखती हैं महिलाएं
स्व-सहायता समूह की महिलाएं खरीदी केंद्र में एक कंप्यूटर ऑपरेटर से लेकर गेहूं की गुणवत्ता और किस स्तर पर नमी है, इसका जायजा लेने के साथ ही खरीदी में सरकार की हर संभव सहायता कर रही हैं.

छिंदवाड़ा। कोरोना महामारी के भीषण दौर में जहां लोग घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं, तो वहीं महिलाएं सरकार के लिए संकट मोचक बनकर गेहूं खरीदी में सहायता कर रही हैं.

120 खरीदी केंद्रों में से 11 केंद्रों में महिलाएं कर रही हैं खरीदी
समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए 120 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें से 11 खरीदी केंद्रों में स्व-सहायता समूह की महिलाएं काम कर रही हैं. गेहूं की क्वालिटी परखने से लेकर तुलाई और उसका परिवहन करवाने तक की जिम्मेदारी महिलाओं ने अपने कंधे पर ले रखी है.

खूटपिपरिया गांव की हकीकत
खूटपिपरिया गांव में कृष्णा स्व-सहायता समूह गेहूं उपार्जन का काम कर रही है. महिलाओं ने बताया कि कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा है, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाई है, क्योंकि उन्होंने काम ले लिया था. उसे पूरा करना अब उनका फर्ज बनता है. वहीं महिलाओं ने लोगों से अपील की कि सभी लोग कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए गाइडलाइन का पालन जरूर करें.

सहायक बनी महिलाएं


गेहूं खरीदी केंद्र पर खाद्य विभाग की कार्रवाई, 1,600 बोरी गेहूं जब्त


स्व-सहायता समूह में 10 महिलाएं करती हैं काम
कृष्णा स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि उनके समूह में कुल 10 महिलाएं हैं, जो हर दिन घरेलू काम निपटाने के बाद खरीदी केंद्र पहुंचती हैं. अगर किसी दिन कोई नहीं आ पाता है, तो भी उनकी जगह किसी और महिला को काम के लिए भेज दिया जाता है.

कंप्यूटर से लेकर गुणवत्ता तक परखती हैं महिलाएं
स्व-सहायता समूह की महिलाएं खरीदी केंद्र में एक कंप्यूटर ऑपरेटर से लेकर गेहूं की गुणवत्ता और किस स्तर पर नमी है, इसका जायजा लेने के साथ ही खरीदी में सरकार की हर संभव सहायता कर रही हैं.

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