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किसानों की किस्मत बदलने के लिए अभूतपूर्व हैं कृषि कानूनः कैलाश सोनी

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Published : Oct 6, 2020, 5:49 PM IST

राज्यसभा सांसद कैलाश सोनी मंगलवार को छिंदवाड़ा पहुंचे, जहां उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हाल ही में लागू कृषि कानूनों पर चर्चा की. साथ ही इन कानूनों को किसानों के हित में बताया.

Rajya Sabha MP Kailash Soni
राज्यसभा सांसद कैलाश सोनी

छिंदवाड़ा। भाजपा कार्यालय में राज्यसभा सांसद कैलाश सोनी ने कृषि कानून के फायदे गिनाते हुए बताया कि देश की संसद ने किसानों के व्यापक हित में कृषि व्यापार विपणन अधिनियम, कॉन्टेक्ट फार्मिंग (एग्रीमेन्ट कृषि व्यापार) और अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम बनाए हैं, जो लोग या संगठन इनका विरोध कर रहे हैं, वे किसान विरोधी मानसिकता से ग्रसित हैं. इन अधिनियमों का विरोध कर वे गलत फहमियां पैदा करने का असफल प्रयास कर रहे हैं. उनकी मंशा है कि किसान बेड़ियों में ही जकड़ा रहे. इन अधिनियमों के माध्यम से किसानों के आत्मनिर्भर होने का जो रास्ता साफ हुआ है वह बाधित हो जाए.

बीजेपी प्रेस कॉन्फ्रेंस

जबकि उक्त अधिनियम से हिन्दुस्तान के किसानों को सारे बंधनों से मुक्त कर स्वतंत्रता प्रदान करते हुए आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे. साथ ही भारत को सारी दुनिया को अन्न खिलाने का हब निर्मित करेंगे. राज्यसभा सांसद कैलाश सोनी ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से इस देश में कारखानों में निर्मित एवं अन्य वस्तुओं का मूल्य निर्माण करने वालों को निर्धारित करने की छूट थी. केवल किसानों द्वारा पैदा किए गए अनाजों के दाम तय करने का हक किसानों को नहीं था. उनकी सारी जिन्सों का मूल्य आढ़तिये (व्यापारी) या सरकार निर्धारित करते रहे हैं. पहली बार उपरोक्त कानूनों के तय हो जाने के बाद किसान अपनी फसल की कीमत खुद निर्धारित करेंगे.

उन्होंने कहा कि जो लोग किसानों का भला नहीं सोचते वे वर्तमान मंडी व्यवस्था को लेकर भी अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं, जबकि वर्तमान मंडी की व्यवस्थाएं यथावत जारी रहेंगी. साथ ही सरकार द्वारा घोषित एमएसपी (मिनिमम सपोर्ट प्राईज) जो भारत सरकार द्वारा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर लागत का डेढ़ गुना यथावत जारी रहेगा. वर्तमान व्यवस्था खुले व्यापार के लिए तीसरे फोरम के रूप में स्थापित की गई हैं. आश्चर्य का विषय है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व घोषणा पत्र में भी ऐसे कानून बनाने की बात कही गई थी लेकिन अब वहीं किसानों को बरगलाने में सक्रिय है. हिन्दुस्तान भर के तकनीकी विशेषज्ञों की राय, बहुतायत प्रदेशों की राय संग्रहित करके यह निर्णय लिया गया है जो सारा फायदा किसानों को देगा.

राज्यसभा सांसद ने कहा कि कोविड-19 के चलते जहां सारे देश में अन्य सभी व्यवस्थाएं, उत्पादन एक तरह से ठप हो चुके थे. उस समय भी किसानों का कार्य उसी गति से चलता रहा. किसान का उत्पादन इस बात का प्रमाण है कि अन्य प्रांतों में या अपने घर से दूरस्थ काम करने वाले लोग अपने-अपने घर वापस आ गए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण आधुनिक खेती और हर हाथ को काम जिसके लिये भारत सरकार ने आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. एक लाख करोड़ का किसान कोष बनाया गया है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि प्रत्येक किसान को वर्ष में 6 हजार रुपये वहीं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 4 हजार रुपये, किसानी के कार्यो के लिये ब्याज दरों में छूट, भरपूर बिजली, किसान क्रेडिट कार्ड, कौशल विकास का प्रषिक्षण देकर सूक्ष्म, लघु व्यवसायों का निर्माण के साथ भंडारण के संबंध में निरस्त किया गया. अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन भी देश के सभी प्रांतों के मुख्यमंत्रियों की समिति की सिफारिश पर किया गया है, जिसका लाभ यह होगा कि कोई भी कितना भी अनाज बिना बंधन के रख सकेगा. मंडियों की आय सरकार द्वारा की जा रही धान गेंहू व दलहन की खरीद से होती रहेंगी. किसान यदि मंडी में अपनी उपज बेचना चाहता है तो बेच सकता है. किसान के साथ ही व्यापारी भी कान्ट्रेक्ट फार्मिंग में शामिल हो अपनी आय संपूर्ण देश में बढ़ा सकेगा.

छिंदवाड़ा। भाजपा कार्यालय में राज्यसभा सांसद कैलाश सोनी ने कृषि कानून के फायदे गिनाते हुए बताया कि देश की संसद ने किसानों के व्यापक हित में कृषि व्यापार विपणन अधिनियम, कॉन्टेक्ट फार्मिंग (एग्रीमेन्ट कृषि व्यापार) और अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम बनाए हैं, जो लोग या संगठन इनका विरोध कर रहे हैं, वे किसान विरोधी मानसिकता से ग्रसित हैं. इन अधिनियमों का विरोध कर वे गलत फहमियां पैदा करने का असफल प्रयास कर रहे हैं. उनकी मंशा है कि किसान बेड़ियों में ही जकड़ा रहे. इन अधिनियमों के माध्यम से किसानों के आत्मनिर्भर होने का जो रास्ता साफ हुआ है वह बाधित हो जाए.

बीजेपी प्रेस कॉन्फ्रेंस

जबकि उक्त अधिनियम से हिन्दुस्तान के किसानों को सारे बंधनों से मुक्त कर स्वतंत्रता प्रदान करते हुए आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे. साथ ही भारत को सारी दुनिया को अन्न खिलाने का हब निर्मित करेंगे. राज्यसभा सांसद कैलाश सोनी ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से इस देश में कारखानों में निर्मित एवं अन्य वस्तुओं का मूल्य निर्माण करने वालों को निर्धारित करने की छूट थी. केवल किसानों द्वारा पैदा किए गए अनाजों के दाम तय करने का हक किसानों को नहीं था. उनकी सारी जिन्सों का मूल्य आढ़तिये (व्यापारी) या सरकार निर्धारित करते रहे हैं. पहली बार उपरोक्त कानूनों के तय हो जाने के बाद किसान अपनी फसल की कीमत खुद निर्धारित करेंगे.

उन्होंने कहा कि जो लोग किसानों का भला नहीं सोचते वे वर्तमान मंडी व्यवस्था को लेकर भी अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं, जबकि वर्तमान मंडी की व्यवस्थाएं यथावत जारी रहेंगी. साथ ही सरकार द्वारा घोषित एमएसपी (मिनिमम सपोर्ट प्राईज) जो भारत सरकार द्वारा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर लागत का डेढ़ गुना यथावत जारी रहेगा. वर्तमान व्यवस्था खुले व्यापार के लिए तीसरे फोरम के रूप में स्थापित की गई हैं. आश्चर्य का विषय है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व घोषणा पत्र में भी ऐसे कानून बनाने की बात कही गई थी लेकिन अब वहीं किसानों को बरगलाने में सक्रिय है. हिन्दुस्तान भर के तकनीकी विशेषज्ञों की राय, बहुतायत प्रदेशों की राय संग्रहित करके यह निर्णय लिया गया है जो सारा फायदा किसानों को देगा.

राज्यसभा सांसद ने कहा कि कोविड-19 के चलते जहां सारे देश में अन्य सभी व्यवस्थाएं, उत्पादन एक तरह से ठप हो चुके थे. उस समय भी किसानों का कार्य उसी गति से चलता रहा. किसान का उत्पादन इस बात का प्रमाण है कि अन्य प्रांतों में या अपने घर से दूरस्थ काम करने वाले लोग अपने-अपने घर वापस आ गए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण आधुनिक खेती और हर हाथ को काम जिसके लिये भारत सरकार ने आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. एक लाख करोड़ का किसान कोष बनाया गया है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि प्रत्येक किसान को वर्ष में 6 हजार रुपये वहीं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 4 हजार रुपये, किसानी के कार्यो के लिये ब्याज दरों में छूट, भरपूर बिजली, किसान क्रेडिट कार्ड, कौशल विकास का प्रषिक्षण देकर सूक्ष्म, लघु व्यवसायों का निर्माण के साथ भंडारण के संबंध में निरस्त किया गया. अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन भी देश के सभी प्रांतों के मुख्यमंत्रियों की समिति की सिफारिश पर किया गया है, जिसका लाभ यह होगा कि कोई भी कितना भी अनाज बिना बंधन के रख सकेगा. मंडियों की आय सरकार द्वारा की जा रही धान गेंहू व दलहन की खरीद से होती रहेंगी. किसान यदि मंडी में अपनी उपज बेचना चाहता है तो बेच सकता है. किसान के साथ ही व्यापारी भी कान्ट्रेक्ट फार्मिंग में शामिल हो अपनी आय संपूर्ण देश में बढ़ा सकेगा.

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