ETV Bharat / state

घाटे में कॉर्न सिटी के किसान, नहीं करना चाहते मक्के की खेती

छिंदवाड़ा में मक्का किसान इन दिनों बेहद परेशान है, इसकी सबसे बड़ी वजह से खुद मक्के का बीज जो मार्केट में महंगे दामों पर मिल रहा है,परेशान किसान अब मक्का छोड़कर खेतों में कोई दूसरी फसल लगाने पर को मजबूर हो रहा है.

farmers
किसान परेशान
author img

By

Published : Jun 9, 2020, 9:55 AM IST

Updated : Jun 9, 2020, 1:53 PM IST

छिंदवाड़ा। कॉर्न सिटी के नाम से मशहूर छिंदवाड़ा में हर साल मक्के की बंपर पैदावार होती है. हर साल लोगों का पेट भरने के लिए किसान दिन-रात मेहनत करते हैं. लेकिन हमेशा घाटा अन्नदाता का ही होता है. यही हाल एक बार फिर खरीफ फसल की बोवनी के दौरान मक्का किसानों के साथ देखने को मिल रहा है. किसानों को खेतों में लगाने के लिए बीज सोने के भाव पर मिल रहे हैं. वहीं फसल आने के बाद यही किसान उस फसल को कौड़ियों के भाव में बेचने को मजबूर हो जाते हैं.

घाटे में कॉर्न सिटी के किसान


जिले में होती है मक्के की बंपर खेती

प्रदेश में सबसे ज्यादा मक्के का उत्पादन छिंदवाड़ा में होता है, जिस वजह से जिले को कॉर्न सिटी का दर्जा मिला है. वहीं जानकारी के मुताबिक पूरे छिंदवाड़ा जिले में करीब दो लाख 90 हजार हेक्टेयर में मक्के की फसल लगाई जाती है.

ये भी पढ़ें- कॉर्न सिटी में मक्का किसान परेशान, उपज फेंकने को मजबूर


बीज 500 रुपए किलो तो फसल 10 रुपए किलो
किसानों ने बताया कि खेतों में बोने के लिए मक्के का बीज 300 रुपए किलो से 500 रुपए किलो बाजार में मिल रहा है. वहीं जब फसल पककर तैयार होती है तो किसानों को महज 9 से 10 रुपए किलो में अपनी फसल बेचनी पड़ती है.

ये भी पढ़ें- मक्का किसान परेशान, कॉर्न फेस्टिवल पर उठा रहे सवाल !


बीजों की आसमान छूती कीमत और फिर बाजार में सही भाव नहीं मिलने के चलते किसानों का अब मक्के की फसल से रुझान कम हो रहा है. किसानों का कहना है कि बीज इतना महंगा मिल रहा है जिस वजह से अब दूसरी फसल खेतों में लगाने की सोच रहे हैं. यही वजह है कि अब कई किसान सोयाबीन, अरहर और मूंगफली की खेती करना शुरू कर रहे हैं.

48 हजार हेक्टेयर कम हो सकती है खेती

कृषि विभाग के मुताबिक छिंदवाड़ा जिले में इस साल मक्के की खेती पिछले साल की अपेक्षा करीब 48 हजार हेक्टेयर कम हो सकती है. कृषि विभाग में डिप्टी डॉयरेक्टर जेआर हेड़ाऊ ने बताया कि पिछले साल जिले में दो लाख 98 हजार हेक्टेयर जमीन में मक्के की फसल किसानों ने लगाई थी. जो इस साल घटकर दो लाख 50 हजार से 2 लाख 70 हजार हेक्टेयर तक होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भले ही देश में औसतन सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन करने वाला जिला छिंदवाड़ा है, लेकिन पिछले साल फॉल आर्मीवर्म की बीमारी के चलते किसानों की मक्के की फसल कम हुई थी. जिससे बाजार भाव बहुत कम मिले. इसलिए इस साल किसानों का रुझान मक्के को लेकर कम हुआ है.

ये भी पढें- छिंदवाड़ा के किसानों का मक्के से भंग हो रहा मोह, छिन सकता है कॉर्न सिटी का खिताब


बता दें, किसानों को खेती करने में लागत बहुत ज्यादा आती है लेकिन उस हिसाब से खाद और बीज के भाव नहीं होने से अब किसानों को खेती करना भी काफी महंगा साबित हो रहा है.

छिंदवाड़ा। कॉर्न सिटी के नाम से मशहूर छिंदवाड़ा में हर साल मक्के की बंपर पैदावार होती है. हर साल लोगों का पेट भरने के लिए किसान दिन-रात मेहनत करते हैं. लेकिन हमेशा घाटा अन्नदाता का ही होता है. यही हाल एक बार फिर खरीफ फसल की बोवनी के दौरान मक्का किसानों के साथ देखने को मिल रहा है. किसानों को खेतों में लगाने के लिए बीज सोने के भाव पर मिल रहे हैं. वहीं फसल आने के बाद यही किसान उस फसल को कौड़ियों के भाव में बेचने को मजबूर हो जाते हैं.

घाटे में कॉर्न सिटी के किसान


जिले में होती है मक्के की बंपर खेती

प्रदेश में सबसे ज्यादा मक्के का उत्पादन छिंदवाड़ा में होता है, जिस वजह से जिले को कॉर्न सिटी का दर्जा मिला है. वहीं जानकारी के मुताबिक पूरे छिंदवाड़ा जिले में करीब दो लाख 90 हजार हेक्टेयर में मक्के की फसल लगाई जाती है.

ये भी पढ़ें- कॉर्न सिटी में मक्का किसान परेशान, उपज फेंकने को मजबूर


बीज 500 रुपए किलो तो फसल 10 रुपए किलो
किसानों ने बताया कि खेतों में बोने के लिए मक्के का बीज 300 रुपए किलो से 500 रुपए किलो बाजार में मिल रहा है. वहीं जब फसल पककर तैयार होती है तो किसानों को महज 9 से 10 रुपए किलो में अपनी फसल बेचनी पड़ती है.

ये भी पढ़ें- मक्का किसान परेशान, कॉर्न फेस्टिवल पर उठा रहे सवाल !


बीजों की आसमान छूती कीमत और फिर बाजार में सही भाव नहीं मिलने के चलते किसानों का अब मक्के की फसल से रुझान कम हो रहा है. किसानों का कहना है कि बीज इतना महंगा मिल रहा है जिस वजह से अब दूसरी फसल खेतों में लगाने की सोच रहे हैं. यही वजह है कि अब कई किसान सोयाबीन, अरहर और मूंगफली की खेती करना शुरू कर रहे हैं.

48 हजार हेक्टेयर कम हो सकती है खेती

कृषि विभाग के मुताबिक छिंदवाड़ा जिले में इस साल मक्के की खेती पिछले साल की अपेक्षा करीब 48 हजार हेक्टेयर कम हो सकती है. कृषि विभाग में डिप्टी डॉयरेक्टर जेआर हेड़ाऊ ने बताया कि पिछले साल जिले में दो लाख 98 हजार हेक्टेयर जमीन में मक्के की फसल किसानों ने लगाई थी. जो इस साल घटकर दो लाख 50 हजार से 2 लाख 70 हजार हेक्टेयर तक होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भले ही देश में औसतन सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन करने वाला जिला छिंदवाड़ा है, लेकिन पिछले साल फॉल आर्मीवर्म की बीमारी के चलते किसानों की मक्के की फसल कम हुई थी. जिससे बाजार भाव बहुत कम मिले. इसलिए इस साल किसानों का रुझान मक्के को लेकर कम हुआ है.

ये भी पढें- छिंदवाड़ा के किसानों का मक्के से भंग हो रहा मोह, छिन सकता है कॉर्न सिटी का खिताब


बता दें, किसानों को खेती करने में लागत बहुत ज्यादा आती है लेकिन उस हिसाब से खाद और बीज के भाव नहीं होने से अब किसानों को खेती करना भी काफी महंगा साबित हो रहा है.

Last Updated : Jun 9, 2020, 1:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.