छिंदवाड़ा । देश को आजाद कराने में कई लोगों का योगदान रहा है. ऐसे ही कई जांबाज हैं जिन्होंने छात्र जीवन से ही सब कुछ देश के लिए न्योछावर कर दिया था. उन्हीं में से एक हैं प्रतुल चंद्र द्विवेदी, जिन्होंने छात्र जीवन में ही हॉस्टल में लगे अंग्रेजी झंडे को उखाड़कर तिरंगा फहरा दिया था.
कौन थे प्रतुल चंद द्विवेदी
सन 1943 में प्रतुलचंद्र द्विवेदी ने जबलपुर के रॉबर्टसन कॉलेज से स्नातक किया था. रॉबर्टसन कॉलेज अब साइंस कॉलेज के नाम से जाना जाता है. आजादी के पहले कॉलेज के हॉस्टल में ब्रिटिश हुकूमत का झंडा फहरता था. प्रतुल चंद्र द्विवेदी ने हॉस्टल से अंग्रेजों का झंडा उतारकर तिरंगा फहरा दिया था.
इस दौरान सिपाहियों ने उन पर गोली भी चलाई थी, जो उनके बाजू को छूकर निकली थी. वे गोली से बाल-बाल बच गए थे. प्रतुलचंद्र द्विवेदी इमरजेंसी के दौरान 19 महीने जेल में भी रहे. प्रतुल 1952 में भारतीय जनसंघ की स्थापना से ही समाज सेवा में सक्रिय हो गए थे.
कौन थे प्रतुल चंद द्विवेदी
छिंदवाड़ा आने के बाद उन्होंने इसे अपना कार्यक्षेत्र बनाया और इस दौरान 1975 में देश में लगे आपातकाल के दौरान भी 19 महीने जेल में रहे. प्रतुल चंद द्विवेदी ने 1980 में कमलनाथ के मुकाबले में जनता पार्टी से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. इस दौरान वे कमलनाथ से करीब 70 हजार वोटों से हार गए थे.
प्रतुल चंद द्विवेदी छिंदवाड़ा की जनता में इतने लोकप्रिय थे कि विपक्ष भी उनका सम्मान करता था. कमलनाथ के मुकाबले लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद भी उनके संबंध इतने अच्छे थे कि विपक्ष भी उनसे कभी मदभेद नहीं रखता था. प्रतुल चंद द्विवेदी मतभेदों के आधार पर राजनीति का जीता जागता उदाहरण हैं. छिंदवाड़ा में उनकी मूर्ति पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्थापित करवाई और उसका अनावरण भी किया था.