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छिंदवाड़ा में किसान की आत्महत्या पर मचा सियासी घमासान, कांग्रेस ने कहा- बीजेपी कर रही दुष्प्रचार

छिंदवाड़ा की धर्म टेकड़ी चौकी क्षेत्र के मेघा सिवनी गांव में 55 साल के आदिवासी की मौत का कारण कर्ज माफी का फायदा नहीं मिलना बताया जा रहा है. हालांकि कांग्रेस ने इस बात से साफ इंकार कर दिया है. साथ ही बीजेपी पर मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप भी लगाया है.

नरेंद्र सलूजा, मीडिया समन्वयक, मध्यप्रदेश कांग्रेस
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Published : Apr 26, 2019, 11:36 PM IST

भोपाल। लोकसभा चुनाव के मौसम में मुख्यमंत्री कमलनाथ का जिला छिंदवाड़ा आदिवासी की आत्महत्या को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है. छिंदवाड़ा की धर्म टेकड़ी चौकी क्षेत्र के मेघा सिवनी गांव में 55 साल के आदिवासी की मौत का कारण कर्ज माफी का फायदा नहीं मिलना बताया जा रहा है. हालांकि कांग्रेस ने इस बात से साफ इंकार कर दिया है. कांग्रेस का कहना है कि पुलिस की जांच और शपथ पत्र में दिए गए मृतक की पत्नी और बच्चों के बयान से साफ हो गया है कि किसान ने आत्महत्या कर्ज माफी का फायदा न मिलने के कारण नहीं की है.


जांच में पता चला है कि बुजुर्ग शराब पीने का आदी था. कांग्रेस का कहना है कि बुजुर्ग के ऊपर किसी तरह का कर्ज नहीं था. व्यक्तिगत तौर पर उसने एक साहूकार से भले 9 हजार रुपए लिए थे, लेकिन साहूकार भी पैसों की मांग नहीं कर रहा था. कांग्रेस का आरोप है कि जांच में हकीकत सामने आ जाने के बाद भी बीजेपी इस मामले पर राजनीति कर रही है और जनता को गुमराह करने का काम कर रही है. दरअसल, आदिवासी बुजुर्ग का शव फांसी के फंदे पर लटका मिला था. चुनावी मौसम में कुछ ही देर में यह खबर हवा की तरह फैल गई कि कर्ज माफी का फायदा न मिलने के कारण किसान ने आत्महत्या की है.

नरेंद्र सलूजा, मीडिया समन्वयक, मध्यप्रदेश कांग्रेस


घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने जांच की तो सामने आया कि बुजुर्ग शराब पीने का आदी था. जांच में पता चला कि मृतक आदिवासी की बेटी की शादी में गांव के पटेल ने 9 हजार रूपये का कर्ज दिया था, लेकिन वह भी कभी मांगने नहीं आया. आदिवासी के मकान बनाने में पटेल ने मदद की थी, लेकिन उसने रुपयों की मांग इसलिए नहीं की, क्योंकि आदिवासी बुजुर्ग का बेटा पटेल के पास ही काम करता था. इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि जिस किसान अरकू मामा ने आत्महत्या की है, उसके बारे में उनकी पत्नी और बच्चों ने शपथ पत्र पर बयान दिए हैं.


बयान में बताया है कि उनकी फसल ही नहीं थी, तो फिर कर्ज किस बात का. उसके ऊपर किसी बैंक का कर्ज भी नहीं था क्योंकि उसका कोई खाता नहीं था. उसने व्यक्तिगत तौर पर किसी साहूकार से 9 हजार का कर्ज लिया था, जिसको लेकर भी उस पर किसी तरह का दबाव नहीं था. आत्महत्या की वजह कोई पारिवारिक परेशानी रही होगी, जिसको लेकर उसने यह कदम उठाया. उन्हें पहले शपथ पत्र और उसके परिवार के लोगों के बयान देखना चाहिए, तो सारी वास्तविकता सामने आ जाएगी. उनका कहना है कि बीजेपी इसे मुद्दा बनाकर जनता को असल मुद्दों से भटकाने का काम कर रही है. लेकिन उसकी सच्चाई पहले ही सामने आ चुकी है इसलिए अब बीजेपी मौन साध रही है, अन्यथा बीजेपी इस मुद्दे के दुष्प्रचार में जुट गई थी.

भोपाल। लोकसभा चुनाव के मौसम में मुख्यमंत्री कमलनाथ का जिला छिंदवाड़ा आदिवासी की आत्महत्या को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है. छिंदवाड़ा की धर्म टेकड़ी चौकी क्षेत्र के मेघा सिवनी गांव में 55 साल के आदिवासी की मौत का कारण कर्ज माफी का फायदा नहीं मिलना बताया जा रहा है. हालांकि कांग्रेस ने इस बात से साफ इंकार कर दिया है. कांग्रेस का कहना है कि पुलिस की जांच और शपथ पत्र में दिए गए मृतक की पत्नी और बच्चों के बयान से साफ हो गया है कि किसान ने आत्महत्या कर्ज माफी का फायदा न मिलने के कारण नहीं की है.


जांच में पता चला है कि बुजुर्ग शराब पीने का आदी था. कांग्रेस का कहना है कि बुजुर्ग के ऊपर किसी तरह का कर्ज नहीं था. व्यक्तिगत तौर पर उसने एक साहूकार से भले 9 हजार रुपए लिए थे, लेकिन साहूकार भी पैसों की मांग नहीं कर रहा था. कांग्रेस का आरोप है कि जांच में हकीकत सामने आ जाने के बाद भी बीजेपी इस मामले पर राजनीति कर रही है और जनता को गुमराह करने का काम कर रही है. दरअसल, आदिवासी बुजुर्ग का शव फांसी के फंदे पर लटका मिला था. चुनावी मौसम में कुछ ही देर में यह खबर हवा की तरह फैल गई कि कर्ज माफी का फायदा न मिलने के कारण किसान ने आत्महत्या की है.

नरेंद्र सलूजा, मीडिया समन्वयक, मध्यप्रदेश कांग्रेस


घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने जांच की तो सामने आया कि बुजुर्ग शराब पीने का आदी था. जांच में पता चला कि मृतक आदिवासी की बेटी की शादी में गांव के पटेल ने 9 हजार रूपये का कर्ज दिया था, लेकिन वह भी कभी मांगने नहीं आया. आदिवासी के मकान बनाने में पटेल ने मदद की थी, लेकिन उसने रुपयों की मांग इसलिए नहीं की, क्योंकि आदिवासी बुजुर्ग का बेटा पटेल के पास ही काम करता था. इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि जिस किसान अरकू मामा ने आत्महत्या की है, उसके बारे में उनकी पत्नी और बच्चों ने शपथ पत्र पर बयान दिए हैं.


बयान में बताया है कि उनकी फसल ही नहीं थी, तो फिर कर्ज किस बात का. उसके ऊपर किसी बैंक का कर्ज भी नहीं था क्योंकि उसका कोई खाता नहीं था. उसने व्यक्तिगत तौर पर किसी साहूकार से 9 हजार का कर्ज लिया था, जिसको लेकर भी उस पर किसी तरह का दबाव नहीं था. आत्महत्या की वजह कोई पारिवारिक परेशानी रही होगी, जिसको लेकर उसने यह कदम उठाया. उन्हें पहले शपथ पत्र और उसके परिवार के लोगों के बयान देखना चाहिए, तो सारी वास्तविकता सामने आ जाएगी. उनका कहना है कि बीजेपी इसे मुद्दा बनाकर जनता को असल मुद्दों से भटकाने का काम कर रही है. लेकिन उसकी सच्चाई पहले ही सामने आ चुकी है इसलिए अब बीजेपी मौन साध रही है, अन्यथा बीजेपी इस मुद्दे के दुष्प्रचार में जुट गई थी.

Intro:भोपाल। लोकसभा चुनाव के मौसम मुख्यमंत्री कमलनाथ का जिला छिंदवाड़ा आदिवासी की आत्महत्या को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है। छिंदवाड़ा जिले में कर्ज माफी से किसान की मौत की खबर सत्ताधारी दल कांग्रेस ने सिरे से खारिज कर दिया है। कांग्रेस का कहना है कि पुलिस की जांच और शपथ पत्र में दिए गए मृतक आदिवासी किसान के पत्नी और बच्चों के बयान से साफ हो गया है कि छिंदवाड़ा की धर्मटेकड़ी चौकी क्षेत्र के मेघा सिवनी गांव में 55 साल के आदिवासी की मौत कर्ज माफी का फायदा न मिलने के कारण नहीं हुई है। जांच में पता चला है कि बुजुर्ग शराब पीने का आदी था। बुजुर्ग के ऊपर किसी तरह का कर्ज नहीं था। व्यक्तिगत तौर पर उसने एक साहूकार से भले 9 हजार रुपए लिए थे, लेकिन साहूकार भी पैसों की मांग नहीं कर रहा था। कांग्रेस का आरोप है कि जांच में हकीकत सामने आ जाने के बाद भी बीजेपी इस मामले पर राजनीति कर रही है और जनता को गुमराह करने का काम कर रही है।


Body:दरअसल छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से लगे मेघा सिवनी गांव में 55 साल के आदिवासी बुजुर्ग का शव फांसी के फंदे पर लटका मिला था। चुनावी मौसम में कुछ ही देर में यह खबर पहली कि कर्ज माफी का फायदा ना मिलने के कारण आदिवासी किसान ने आत्महत्या कर ली। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने जांच की तो सामने आया कि बुजुर्ग शराब पीने का आदी था. जांच में पता चला कि मृतक आदिवासी की बेटी की शादी गांव के पटेल ने 9 हजार रूपये का कर्ज दिया था, लेकिन वह भी कभी नहीं मांगने आया। आदिवासी के मकान बनाने में पटेल ने मदद की थी।लेकिन उसने रुपयों की मांग इसलिए नहीं की, क्योंकि आदिवासी बुजुर्ग का बेटा पटेल के पास ही काम करता था।


Conclusion:इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि जिस किसान अरकू मामा ने आत्महत्या की है। उसके बारे में उनकी पत्नी और बच्चों ने शपथ पत्र पर बयान दिए हैं। बयान में बताया है कि उनकी फसल ही नहीं थी, तो फिर कर्ज किस बात का। उसके ऊपर किसी बैंक का कर्ज भी नहीं था,क्योंकि उसका कोई खाता नहीं था।उसने व्यक्तिगत तौर पर किसी साहूकार से 9 हजार का कर्ज लिया था, जिसको लेकर भी उस पर किसी तरह का दबाव नहीं था। आत्महत्या की वजह कोई पारिवारिक परेशानी रही होगी, जिसको लेकर उसने यह कदम उठाया। भाजपा इसे मुद्दा बनाने का काम कर रही है।उन्हें पहले शपथ पत्र और उसके परिवार के लोगों के बयान देखना चाहिए, तो सारी वास्तविकता सामने आ जाएगी।भाजपा मुद्दों से भटकाने का काम कर रही है। जनता को गुमराह करने का काम कर रही है। लेकिन उसकी सच्चाई पहले ही सामने आ चुकी है। इसलिए अब भाजपा मौन साध रही है, अन्यथा भाजपा इस मुद्दे में दुष्प्रचार में जुट गई थी।
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