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ई-ट्राइसिकल के लिए सालों से भटक रहा दिव्यांग, मिला सिर्फ आश्वासन

प्रशासन कि लापरवाही का मामला सामने आया है जहां एक दिव्यांग युवक ई-ट्राइसिकल के लिए भटक रहा है. युवक को कलेक्टरेट परिसर में ई-ट्राइसिकल तो दूर व्हील चेयर तक नहीं मिल रही है.

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ई-ट्राइसिकल के लिए भटक रहा दिव्यांग
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Published : Dec 10, 2019, 4:14 PM IST

छिंदवाड़ा। शहर की सड़कों पर कंकड़ पत्थर के बीच घुटनों के बल चलते दिव्यांग बुद्धलाल वर्मा की आंखों में बस एक ही सपना है कि उसे बैटरी से चलने वाली ई-ट्राइसिकल मिल जाए. पिछले चार-पांच सालों से सरकारी दरवाजों की दहलीज पर ये दिव्यांग ना जाने कितने आवेदन दे चुका है.

ई-ट्राइसिकल के लिए भटक रहा दिव्यांग

मिले सिर्फ वादे, साइकिल नहीं मिली

अमरवाड़ा विधानसभा के बाबूटोला के रहने वाले बुद्ध लाल वर्मा ने ना जाने कितने राजनेताओं और अधिकारियों से ई-ट्राइसिकल के लिए गुहार लगाई है लेकिन रास्ते पर भटकते इस दिव्यांग की छोटी सी इच्छा किसी ने भी पूरी नहीं की. हमेशा इसे सिर्फ सिफारिशें और वादे ही मिले.

मुख्यमंत्री कमलनाथ से जब इस युवा ने गुहार लगाई तो कुछ उम्मीदें जागी. मुख्यमंत्री के कहने के बाद कलेक्ट्रेट परिसर में अर्जी लगाने पहुंचा लेकिन यहां भी सिर्फ उसे सिफारिश पत्र मिल रहे हैं. बैटरी चलित साइकिल तो बहुत दूर की बात है. कलेक्ट्रेट परिसर में घूमने के लिए उसे व्हील चेयर तक नहीं मिल पा रही है.

व्हील चेयर तक नहीं मिली

दिव्यांग बुद्ध लाल वर्मा बताते हैं कि जब उन्होंने ई-ट्राइसिकल के लिए आवेदन दिया तो उनसे कहा गया कि वो 10वीं पास नहीं है इसलिए उन्हें साइकिल नहीं मिल सकती, अपने गांव से 50 किलोमीटर दूर वे कलेक्ट्रेट के चक्कर लगाते-लगाते थक गए हैं. हालात ये है कि अब वो मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं.

छिंदवाड़ा। शहर की सड़कों पर कंकड़ पत्थर के बीच घुटनों के बल चलते दिव्यांग बुद्धलाल वर्मा की आंखों में बस एक ही सपना है कि उसे बैटरी से चलने वाली ई-ट्राइसिकल मिल जाए. पिछले चार-पांच सालों से सरकारी दरवाजों की दहलीज पर ये दिव्यांग ना जाने कितने आवेदन दे चुका है.

ई-ट्राइसिकल के लिए भटक रहा दिव्यांग

मिले सिर्फ वादे, साइकिल नहीं मिली

अमरवाड़ा विधानसभा के बाबूटोला के रहने वाले बुद्ध लाल वर्मा ने ना जाने कितने राजनेताओं और अधिकारियों से ई-ट्राइसिकल के लिए गुहार लगाई है लेकिन रास्ते पर भटकते इस दिव्यांग की छोटी सी इच्छा किसी ने भी पूरी नहीं की. हमेशा इसे सिर्फ सिफारिशें और वादे ही मिले.

मुख्यमंत्री कमलनाथ से जब इस युवा ने गुहार लगाई तो कुछ उम्मीदें जागी. मुख्यमंत्री के कहने के बाद कलेक्ट्रेट परिसर में अर्जी लगाने पहुंचा लेकिन यहां भी सिर्फ उसे सिफारिश पत्र मिल रहे हैं. बैटरी चलित साइकिल तो बहुत दूर की बात है. कलेक्ट्रेट परिसर में घूमने के लिए उसे व्हील चेयर तक नहीं मिल पा रही है.

व्हील चेयर तक नहीं मिली

दिव्यांग बुद्ध लाल वर्मा बताते हैं कि जब उन्होंने ई-ट्राइसिकल के लिए आवेदन दिया तो उनसे कहा गया कि वो 10वीं पास नहीं है इसलिए उन्हें साइकिल नहीं मिल सकती, अपने गांव से 50 किलोमीटर दूर वे कलेक्ट्रेट के चक्कर लगाते-लगाते थक गए हैं. हालात ये है कि अब वो मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं.

Intro:छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा की सड़कों पर कंकड़ पत्थर के बीच घुटनों के बल चलते दिव्यांग बुद्धलाल वर्मा की आंखों में बस एक ही सपना है कि उसे बैटरी से चलने वाली साइकिल मिल जाए पिछले चार-पांच सालों से सरकारी दरवाजों की दहलीज लांघ चुका ये दिव्यांग ना जाने कितने आवेदन दे चुका है।


Body:छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा विधानसभा के बाबूटोला के रहने वाले बुद्ध लाल वर्मा बुध लाल वर्मा ने ना जाने कितने राजनेताओं और अधिकारियों से अपनी गुहार लगाई हो लेकिन रास्ते पर भटकते इस गरीब की छोटी सी इच्छा किसी ने भी पूरी नहीं कि हमेशा इससे सिर्फ सिफारिशें और वादे ही मिले।

मुख्यमंत्री कमलनाथ से जब इस युवा ने गुहार लगाई तो इसकी कुछ उम्मीदें जागी मुख्यमंत्री के कहने के बाद छिंदवाड़ा के कलेक्टर परिसर में अर्जी लगाते नजर आ रहा है लेकिन यहां पर भी सिर्फ उसे सिफारिशें पत्र मिल रहे हैं बैटरी चलित साइकिल तो बहुत दूर की बात है कलेक्टर परिसर में घूमने के लिए उसे व्हील चेयर तक नहीं मिल पा रही है।


Conclusion:कलेक्टर दफ्तर के मुख्य द्वार पर एक बड़ा बोर्ड लगा है कि दिव्यांगों के लिए व्हील चेयर उपलब्ध है लेकिन यह सिर्फ दिखावा नजर आ रहा है
दिव्यांग बुद्ध लाल वर्मा बताते हैं कि जब उन्होंने बैटरी चली साइकिल के लिए आवेदन दिया तो उनसे कहा गया कि वे 10वीं पास नहीं है इसलिए उन्हें साइकिल नहीं मिल सकती अपने गांव से 50 किलोमीटर दूर वे कलेक्टर के चक्कर लगाते लगाते थक गए हैं हालात यह हैं कि अब वे मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं।

बाइट-बुद्धलाल वर्मा,दिव्यांग
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