छिंदवाड़ा। कोरोना वायरस ने भारत समेत पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है. पिछले पांच महीने में इस महामारी की वजह से जहां सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए, तो वहीं हजारों लोग सड़कों पर आ गए. कोरोना के बाद किए गए लॉकडाउन से कई लोग बेरोजगार हो गए, तो कइयों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया. एक से बढ़कर एक शानदार फोटो खींचने वाले फोटोग्राफर पहली बार विश्व फोटोग्राफी दिवस पर परेशान हैं. सरकारी गाइडलाइन के अनुसार आगे भी इस साल तकरीबन सभी तरह के कार्यक्रम में फोटोग्राफी पर पाबंदी लगवाई गई है. लिहाजा फोटोग्राफर बेरोजगार हो गए हैं. ऐसे में परिवार का गुजारा भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है. परिवार चलाने के लिए कुछ सब्जी बेचने लगे, तो कुछ फल- फूल बेचने को मजबूर हो गए.
शादी- विवाह के अलावा दूसरे कार्यक्रमों की खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद करने वाले फोटोग्राफरों का हाल बेहाल हैं. उनका कहना है कि, शादी के सीजन के दौरान कोरोना आया और सबकुछ चौपट कर गया. यही वजह है कि, कोरोना काल में उनके पास कमाई का कोई और जरिया नहीं है और वे बच्चों को फीस भी नहीं भर पा रहे हैं. फोटोग्राफरों का कहना है कि, इस महामारी से उनकी जिंदगी की तस्वीर बदरंग सी हो गई है.
कुछ फोटोग्राफरों का कहा है कि, ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा. पिछले पांच माह से घर बैठे हुए हैं. ये हाल जिले के ज्यादातर फोटोग्राफरों का है. उनका कहना है कि, इतना समय खराब होगा, कभी कल्पना भी नहीं की थी, उनके कंधों पर परिवार की भी जिम्मेदारी है. जमा पूंजी भी खत्म हो रही है, ऐसे में आगे क्या होगा कुछ नहीं पता.
दुनियाभर की खूबसूरती को समेटने का बेहतरीन जरिया है तस्वीरे ही हैं जो यादों को बरसों तक जिंदा रखती हैं. दुनियाभर में 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन इस बार खुद फोटोग्राफर परेशान हैं, क्योंकि कोरोना ने उन्हें एक तरह से अपाहिज बना दिया है.
आज है विश्व फोटोग्राफी दिवस
19 अगस्त यानी आज के दिन हर साल पूरी दुनिया में विश्व फोटोग्राफी- डे मनाया जाता है. यह दिन उन लोगों को समर्पित है, जिन्होंने आपके स्पेशल मोमेंट को कैमरे में कैद कर उसे खास बना दिया. पहले कैमरे बहुत कम लोगों के पास हुआ करते थे, लेकिन आज के समय मोबाइल ने कैमरे की जगह ले ली है. इस त्योहार को मनाने के पीछे एक मकसद दुनियाभर के फोटोग्राफरों को प्रोत्साहित करना भी है.