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सांसद नकुलनाथ ने CM शिवराज को लिखा पत्र, कहा- मॉडल मंडी एक्ट को एमपी में ना करें लागू

सांसद नुकलनाथ ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर केंद्र सरकार के नए मंडी एक्ट को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने पत्र के जरिए सीएम शिवराज से मांग की है कि इस एक्ट को मध्यप्रदेश में लागू ना किया जाए.

MP Nakulnath
सांसद नकुलनाथ
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Published : Sep 7, 2020, 12:57 PM IST

छिंदवाड़ा। सांसद नकुलनाथ ने कृषि उपज के क्रय-विक्रय से संबंधित नए मंडी एक्ट को किसान, व्यापारी और मजदूर विरोधी बताते हुए इसे मध्यप्रदेश में लागू ना करने की मांग की है. इस नए मंडी एक्ट में कई विसंगतियों का उल्लेख करते हुए सांसद नकुलनाथ ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर तमाम परिस्थितियों से अवगत कराया है. पत्र में नकुलनाथ ने बताया कि इस नए एक्ट के मध्यप्रदेश में लागू किये जाने से मंडी शुल्क की आय में न केवल भारी कमी आएगी, बल्कि राज्य की 259 मंडियों में कार्यरत लगभग 10 हजार कर्मचारियों का वेतन व सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारियों की पेंशन का भुगतान भी नहीं हो पाएगा. ये एक्ट प्रदेश के किसान, मंडीकर्मी व व्यापारियों के व्यापक हितों के विरुद्ध है.

'धोखाधड़ी का शिकार होंगे किसान'

नकुलनाथ ने बताया कि मंडी से बाहर खरीदी का अधिकार देने वाला ये एक्ट किसानों की कृषि उपज के मूल्य की प्रतिस्पर्धा को समाप्त कर देगा. जिससे किसानों को अपनी उपज का कम मूल्य मिलेगा और भुगतान की अनिश्चितता भी बनी रहेगी.

फसल बेचने के बाद किसानों के साथ धोखाधड़ी होने पर वे न्यायालय की शरण में भी नहीं जा सकेंगे. गौरतलब है कि मंडियों के माध्यम से निराश्रित शुल्क वसूल कर निराश्रितों को सहायता स्वरूप ये राशि वितरित की जाती है, लेकिन इस नए एक्ट से निराश्रित सहायता भी बंद हो जाएगी.

'मंडी समितियों का अस्तित्व हो जाएगा समाप्त'

सांसद नकुलनाथ ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि प्रदेश के व्यापारियों को लाइसेंस शुल्क का जो अधिक भार उठाना पड़ रहा है, उसे भी कम से कम किया जाए. सांसद नकुलनाथ का कहना है कि इस एक्ट के लागू होते ही प्रदेश की मंडियों से जुड़े हजारों पंजीकृत हम्मालों और तुलावटियों के सामने भी आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा.

किसानों के हितों की रक्षा के लिए गठित मंडी समितियों का अस्तित्व व क्षेत्राधिकार भी समाप्त हो जाएगा. लिहाजा किसी भी परिस्थितियों में ये नया एक्ट मध्यप्रदेश में लागू ना किया जाए.

छिंदवाड़ा। सांसद नकुलनाथ ने कृषि उपज के क्रय-विक्रय से संबंधित नए मंडी एक्ट को किसान, व्यापारी और मजदूर विरोधी बताते हुए इसे मध्यप्रदेश में लागू ना करने की मांग की है. इस नए मंडी एक्ट में कई विसंगतियों का उल्लेख करते हुए सांसद नकुलनाथ ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर तमाम परिस्थितियों से अवगत कराया है. पत्र में नकुलनाथ ने बताया कि इस नए एक्ट के मध्यप्रदेश में लागू किये जाने से मंडी शुल्क की आय में न केवल भारी कमी आएगी, बल्कि राज्य की 259 मंडियों में कार्यरत लगभग 10 हजार कर्मचारियों का वेतन व सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारियों की पेंशन का भुगतान भी नहीं हो पाएगा. ये एक्ट प्रदेश के किसान, मंडीकर्मी व व्यापारियों के व्यापक हितों के विरुद्ध है.

'धोखाधड़ी का शिकार होंगे किसान'

नकुलनाथ ने बताया कि मंडी से बाहर खरीदी का अधिकार देने वाला ये एक्ट किसानों की कृषि उपज के मूल्य की प्रतिस्पर्धा को समाप्त कर देगा. जिससे किसानों को अपनी उपज का कम मूल्य मिलेगा और भुगतान की अनिश्चितता भी बनी रहेगी.

फसल बेचने के बाद किसानों के साथ धोखाधड़ी होने पर वे न्यायालय की शरण में भी नहीं जा सकेंगे. गौरतलब है कि मंडियों के माध्यम से निराश्रित शुल्क वसूल कर निराश्रितों को सहायता स्वरूप ये राशि वितरित की जाती है, लेकिन इस नए एक्ट से निराश्रित सहायता भी बंद हो जाएगी.

'मंडी समितियों का अस्तित्व हो जाएगा समाप्त'

सांसद नकुलनाथ ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि प्रदेश के व्यापारियों को लाइसेंस शुल्क का जो अधिक भार उठाना पड़ रहा है, उसे भी कम से कम किया जाए. सांसद नकुलनाथ का कहना है कि इस एक्ट के लागू होते ही प्रदेश की मंडियों से जुड़े हजारों पंजीकृत हम्मालों और तुलावटियों के सामने भी आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा.

किसानों के हितों की रक्षा के लिए गठित मंडी समितियों का अस्तित्व व क्षेत्राधिकार भी समाप्त हो जाएगा. लिहाजा किसी भी परिस्थितियों में ये नया एक्ट मध्यप्रदेश में लागू ना किया जाए.

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