छिंदवाड़ा। जिले के सांसद नकुलनाथ ने जैन धर्मावलंबियों के तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर जी की पवित्रता व पर्यावरण की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुये एक पत्र झारखंड के सीएम और केंद्रीय मंत्री को लिखा है. उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से यह मांग की है कि जैन तीर्थ सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल नहीं बनाया जाए. ऐसा करने से उक्त पवित्र स्थल की पवित्रता पूर्व की भांति ही बनी रहेगी. (letter written to jharkhand cm and union minister)
पर्यटन स्थल घोषित होने से पवित्रता हो जाएगी नष्टः सांसद नकुलनाथ ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन व केंद्रीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन भूपेंद्र यादव को लिखा कि झारखंड प्रदेश के गिरिडीह जिले में जैन तीर्थ सम्मेद शिखरजी स्थित है. इस स्थल पर 24 तीर्थांकरों में से 20 ने मोक्ष की प्राप्ति की थी. इससे पूरे विश्व के जैन समाज की सम्मेद शिखर से अटूट धार्मिक आस्थायें जुड़ी हुई है. सांसद नकुलनाथ ने अपने पत्र में आगे लिखा कि केंद्रीय वन मंत्रालय ने जैन तीर्थ स्थल को वन्य जीव अभ्यारण का हिस्सा बताने के साथ ही पर्यावरण पर्यटन की अनुमति प्रदान की है. जिससे तीर्थ स्थल की स्वतंत्रत पहचान व पवित्रता नष्ट होने की कगार पर है. सरकार के इस फैसले से समूचे जैन समाज में रोष व्याप्त है और देशभर में इस फैसले के खिलाफ सकल जैन समाज प्रदर्शन कर रहा है. (purity will be destroyed tourist destination)
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सम्मेद शिखर जी को तीर्थ स्थल ही रहने दिया जाएः जैन समाज की धार्मिक भावनाओं और उनकी आस्था को ठेस पहुंचाने वाले सरकार के द्वारा लिए गए फैसले से जिले के साथ ही देशभर के जैन समाज के लोग आहत है. सरकार के द्वारा लिए गए इस फैसले को लेकर सांसद नकुलनाथ ने केंद्रीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन व झारखंड के सीएम को लिखे अपने पत्र के माध्यम से आग्रह किया कि सम्मेद शिखर जैन तीर्थ स्थल की पवित्रता और इसमें निहित समाज की अपार आस्था को दृष्टिगत रखते हुये सरकार अपने इस फैसले को बदलने का कष्ट करे. ताकि सम्मेद शिखर जी को संरक्षित तीर्थ क्षेत्र का दर्जा प्रदान कर सर्वधर्म समभाव का उदाहरण पेश किया जा सके. अंत में सांसद नकुलनाथ ने झारखंड के सीएम और केंद्रीय मंत्री से यह अपेक्षा की है कि उक्त पत्र को वे गम्भीरतापूर्वक लेते हुये जैन समाज व धार्मिक स्थलों के संरक्षण के लिए अविलंब निर्णय लेंगे. (Sammed shikhar ji place of pilgrimage)