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सावधान, हाथी आ रहे हैं! शहडोल में 'आकाशवाणी' से गजराज की सूचना, हाथी मानव द्वंद रोकने न्यू ट्रिक - SHAHDOL AKASHWANI PROGRAM

शहडोल के ब्यौहारी क्षेत्र में हाथियों का दल विचरण कर रहा है. हाथी मानव द्वंद रोकने आकाशवाणी के माध्यम से हाथियों की सूचना देकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. पढ़िए शहडोल से अखिलेश शुक्ला की रिपोर्ट.

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शहडोल में हाथियों के लिए आकाशवाणी कार्यक्रम (Getty Image)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 28, 2024, 7:44 PM IST

Updated : Dec 28, 2024, 10:53 PM IST

शहडोल: बीते कुछ महीने से देश में हाथी सुर्खियों में बने हुए हैं. खासकर मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाका शहडोल संभाग ज्यादातर सुर्खियों में रहा. क्योंकि शहडोल संभाग के अनूपपुर, उमरिया में आए दिन हाथियों का मूवमेंट देखने को मिलते ही रहता है. हाल ही में बांधवगढ़ में हाथियों की दर्दनाक घटना किसी से छिपी नहीं है. इन सभी घटनाओं के बाद अब मिशन हाथी के तहत नए-नए प्रयोग किये जा रहे हैं. जिससे हाथी-मानव द्वंद की स्थिति निर्मित न हो और हाथी भी सुरक्षित रहें और लोग भी सुरक्षित रहें.

अब हाथियों को लेकर 'आकशवाणी'
शहडोल जिले में आए दिन हाथियों का मूवमेंट देखने को मिलता है. क्योंकि बांधवगढ़ में हाथियों ने अपना परमानेंट एड्रेस बना लिया है. इसके अलावा भी छत्तीसगढ़ के रास्ते भी आए दिन हाथी यहां पहुंचते रहते हैं. जंगल से लेकर किसानों के खेतों तक अपनी धमा चौकड़ी मचाते रहते हैं, जिससे हाथी मानव द्वंद जैसी स्थितियां बनती रहती हैं. मानव हाथी द्वंद पर ब्रेक लग सके इसके लिए आकाशवाणी केंद्र से भी लोगों को अलर्ट किया जा रहा है. वन विभाग के इस नए प्रयोग को लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं और लोगों को इससे काफी सहूलियत भी मिल रही है.

ELEPHANTS GROUP ENTRY SHAHDOL
ब्यौहारी क्षेत्र में विचरण कर रहा हाथियों का दल (ETV Bharat)

शहडोल में हाथियों की एंट्री
शहडोल साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं कि, ''अभी हाल ही में दो जंगली हाथियों का दल संजय टाइगर रिजर्व से होते हुए शहडोल में आया है. हालांकि हाथी निगरानी दल इस पर नजर बनाए हुए हैं और उनके मूवमेंट पर बदलाव भी दिख रहा है. जहां हाथियों का मूवमेंट है उसको लेकर आकाशवाणी शहडोल को सूचित किया जा रहा है. उनके डायरेक्टर के माध्यम से जिस भी गांव के आसपास हाथी दल होते हैं, उस गांव का नाम और हाथियों की करंट लोकेशन आकशवाणी के माध्यम से प्रसारित की जाती है.''

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आकाशवाणी से गजराज की जानकारी (ETV Bharat)

इस दिन से की शुरुआत
साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं कि, ''हमने 26 दिसंबर से पीसीसी वाइल्डलाइफ के निर्देशन पर यह कार्यक्रम शुरू किया. शाम को 7:00 बजे इवनिंग में जो कार्यक्रम प्रसारित होते हैं उसमें ये सूचना जारी की जा रही है. हमारे वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यशाला में निर्देश दिए गए थे जिसके बाद ही हमने पहल की और इसे शुरू करवाया. उन्हीं के निर्देशन पर हमने ये त्वरित काम किया है. इसे अभी और आगे बढ़ाने की भी कोशिश की जा रही है.''

शहडोल आकाशवाणी जिले के कार्यक्रम अधिकारी अविनाश दिवाकर बताते हैं कि, ''वन विभाग की पहल से अभी हाथियों के बारे में जानकारी को लेकर पहल की गई है. जनहित में ये सूचना जारी की जा रहा है और इसे आगे भी किया जाएगा. लेकिन आगे और किस तरह के कार्यक्रम होंगे, इसको लेकर अभी कुछ तय नहीं हुआ है. अभी पत्राचार आदि किए जाएंगे उसके बाद प्लानिंग तैयार की जाएगी. दो-चार दिनों में इसमें भी आगे कुछ करने का प्लान है. जो भी होगा वन विभाग के सहयोग से होगा.''

अभी इन गांवों में बन रहा मूवमेंट
साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं कि, ''15 से 20 जंगली हाथियों का एक दल ब्यौहारी क्षेत्र में विचरण कर रहा है. वन क्षेत्र से बाहर निकलने पर हाथी दल अंबार गांव, शहरगढ़, झिरिया, चरखा, दाल, गैर, खरैहरा परपटा, तिखवा, गाजर गांव में प्रवेश कर सकते हैं, ऐसी सूचना प्रसारित करवाई गई थी. जिसमें ग्रामीणों को सजग भी किया गया था कि इन जगहों पर ग्रामीण सावधान रहें. गांव से सटे आसपास के जंगलों में ना जाएं, हाथी अगर सामने आ भी जाते हैं, तो उन्हें परेशान ना करें, उकसाएं नहीं.''

हाथी मित्रदल से मिलेगी मदद
साउथ डीएफओ श्रद्ध पेन्द्रे बताती है कि, ''अवेयरनेस और प्रशिक्षण को लेकर हमने हाथी मित्र दल भी नियुक्त किया है. समय-समय पर उनको ट्रेनिंग भी देंगे, जरूरत पड़ी तो हाथी वाले जो एरिया हैं वहां लेकर जाएंगे. गांव वालों को भी हाथी के बिहेवियर, हाथ एरिया में आए तो क्या करना चाहिए, कैसे उनसे बचाव करें, यह सब बताएंगे. हमने योजनाएं बनाकर वरिष्ठों को भेजा है. जैसे ही हमारी योजनाओं को हरी झण्डी मिलेगी, तो हम उन्हें फॉलो भी करेंगे.''

आकशवाणी में अभी और है प्लानिंग
साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं कि, ''अभी तो सिर्फ लोकेशन की जानकारी आकाशवाणी के माध्यम से दे रहे हैं. आगे चलकर साप्ताहिक या मंथली जिस भी तरह का प्रोग्राम तय होता है, आकाशवाणी के डायरेक्टर से बात करके एक कार्यक्रम बनाएंगे. जिसमें हाथी से कैसे बचाव होना चाहिए, हाथी को लेकर जागरूक करना, हाथी जिन रूट से होकर जा रहे हैं, उनका इतिहास क्या होता है, उसके बारे में बताएंगे. अब वो कार्यक्रम साप्ताहिक होगा या मंथली इसके बारे में डिटेल में समीक्षा की जाएगी.''

घना जंगल हाथियों को भा रहा
अधिकारी बताती हैं कि, ''हाथी में एक बात और अभी देखने को मिली है कि, अगर जंगलों की अवैध कटाई ना हो, जंगल घने बने रहें, तो हाथी गांव की ओर नहीं आएंगे. शहडोल में हाथियों को अच्छा खासा जंगल मिल गया है. घना जंगल है लंबा एरिया है तो वहां वह पिछले 21 दिन से बने हुए हैं. तीन हफ्ते से बाहर नहीं आ रहे हैं और चौथा हफ्ता भी चालू हो गया है.''

बांधवगढ़ में भी बड़ी तैयारी
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा बताते हैं कि, ''अभी जो बांधवगढ़ में हादसा हुआ था उसके बाद से हाथी मैनेजमेंट को लेकर गवर्नमेंट ने 35 अफसरों को ट्रेनिंग के लिए भेजा था. उसे लेकर भी अभी हाल में बैठक हुई थी कि आखिर वो क्या सीख कर आए हैं और आगे हाथियों को लेकर क्या मैनेजमेंट करना है. हाथी मानव द्वंद रोकने के लिए लगातार गांव में बैठक हो रही हैं. हाथियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए काम किया जा रहा है.''

शहडोल: बीते कुछ महीने से देश में हाथी सुर्खियों में बने हुए हैं. खासकर मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाका शहडोल संभाग ज्यादातर सुर्खियों में रहा. क्योंकि शहडोल संभाग के अनूपपुर, उमरिया में आए दिन हाथियों का मूवमेंट देखने को मिलते ही रहता है. हाल ही में बांधवगढ़ में हाथियों की दर्दनाक घटना किसी से छिपी नहीं है. इन सभी घटनाओं के बाद अब मिशन हाथी के तहत नए-नए प्रयोग किये जा रहे हैं. जिससे हाथी-मानव द्वंद की स्थिति निर्मित न हो और हाथी भी सुरक्षित रहें और लोग भी सुरक्षित रहें.

अब हाथियों को लेकर 'आकशवाणी'
शहडोल जिले में आए दिन हाथियों का मूवमेंट देखने को मिलता है. क्योंकि बांधवगढ़ में हाथियों ने अपना परमानेंट एड्रेस बना लिया है. इसके अलावा भी छत्तीसगढ़ के रास्ते भी आए दिन हाथी यहां पहुंचते रहते हैं. जंगल से लेकर किसानों के खेतों तक अपनी धमा चौकड़ी मचाते रहते हैं, जिससे हाथी मानव द्वंद जैसी स्थितियां बनती रहती हैं. मानव हाथी द्वंद पर ब्रेक लग सके इसके लिए आकाशवाणी केंद्र से भी लोगों को अलर्ट किया जा रहा है. वन विभाग के इस नए प्रयोग को लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं और लोगों को इससे काफी सहूलियत भी मिल रही है.

ELEPHANTS GROUP ENTRY SHAHDOL
ब्यौहारी क्षेत्र में विचरण कर रहा हाथियों का दल (ETV Bharat)

शहडोल में हाथियों की एंट्री
शहडोल साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं कि, ''अभी हाल ही में दो जंगली हाथियों का दल संजय टाइगर रिजर्व से होते हुए शहडोल में आया है. हालांकि हाथी निगरानी दल इस पर नजर बनाए हुए हैं और उनके मूवमेंट पर बदलाव भी दिख रहा है. जहां हाथियों का मूवमेंट है उसको लेकर आकाशवाणी शहडोल को सूचित किया जा रहा है. उनके डायरेक्टर के माध्यम से जिस भी गांव के आसपास हाथी दल होते हैं, उस गांव का नाम और हाथियों की करंट लोकेशन आकशवाणी के माध्यम से प्रसारित की जाती है.''

shahdol akashwani program
आकाशवाणी से गजराज की जानकारी (ETV Bharat)

इस दिन से की शुरुआत
साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं कि, ''हमने 26 दिसंबर से पीसीसी वाइल्डलाइफ के निर्देशन पर यह कार्यक्रम शुरू किया. शाम को 7:00 बजे इवनिंग में जो कार्यक्रम प्रसारित होते हैं उसमें ये सूचना जारी की जा रही है. हमारे वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यशाला में निर्देश दिए गए थे जिसके बाद ही हमने पहल की और इसे शुरू करवाया. उन्हीं के निर्देशन पर हमने ये त्वरित काम किया है. इसे अभी और आगे बढ़ाने की भी कोशिश की जा रही है.''

शहडोल आकाशवाणी जिले के कार्यक्रम अधिकारी अविनाश दिवाकर बताते हैं कि, ''वन विभाग की पहल से अभी हाथियों के बारे में जानकारी को लेकर पहल की गई है. जनहित में ये सूचना जारी की जा रहा है और इसे आगे भी किया जाएगा. लेकिन आगे और किस तरह के कार्यक्रम होंगे, इसको लेकर अभी कुछ तय नहीं हुआ है. अभी पत्राचार आदि किए जाएंगे उसके बाद प्लानिंग तैयार की जाएगी. दो-चार दिनों में इसमें भी आगे कुछ करने का प्लान है. जो भी होगा वन विभाग के सहयोग से होगा.''

अभी इन गांवों में बन रहा मूवमेंट
साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं कि, ''15 से 20 जंगली हाथियों का एक दल ब्यौहारी क्षेत्र में विचरण कर रहा है. वन क्षेत्र से बाहर निकलने पर हाथी दल अंबार गांव, शहरगढ़, झिरिया, चरखा, दाल, गैर, खरैहरा परपटा, तिखवा, गाजर गांव में प्रवेश कर सकते हैं, ऐसी सूचना प्रसारित करवाई गई थी. जिसमें ग्रामीणों को सजग भी किया गया था कि इन जगहों पर ग्रामीण सावधान रहें. गांव से सटे आसपास के जंगलों में ना जाएं, हाथी अगर सामने आ भी जाते हैं, तो उन्हें परेशान ना करें, उकसाएं नहीं.''

हाथी मित्रदल से मिलेगी मदद
साउथ डीएफओ श्रद्ध पेन्द्रे बताती है कि, ''अवेयरनेस और प्रशिक्षण को लेकर हमने हाथी मित्र दल भी नियुक्त किया है. समय-समय पर उनको ट्रेनिंग भी देंगे, जरूरत पड़ी तो हाथी वाले जो एरिया हैं वहां लेकर जाएंगे. गांव वालों को भी हाथी के बिहेवियर, हाथ एरिया में आए तो क्या करना चाहिए, कैसे उनसे बचाव करें, यह सब बताएंगे. हमने योजनाएं बनाकर वरिष्ठों को भेजा है. जैसे ही हमारी योजनाओं को हरी झण्डी मिलेगी, तो हम उन्हें फॉलो भी करेंगे.''

आकशवाणी में अभी और है प्लानिंग
साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं कि, ''अभी तो सिर्फ लोकेशन की जानकारी आकाशवाणी के माध्यम से दे रहे हैं. आगे चलकर साप्ताहिक या मंथली जिस भी तरह का प्रोग्राम तय होता है, आकाशवाणी के डायरेक्टर से बात करके एक कार्यक्रम बनाएंगे. जिसमें हाथी से कैसे बचाव होना चाहिए, हाथी को लेकर जागरूक करना, हाथी जिन रूट से होकर जा रहे हैं, उनका इतिहास क्या होता है, उसके बारे में बताएंगे. अब वो कार्यक्रम साप्ताहिक होगा या मंथली इसके बारे में डिटेल में समीक्षा की जाएगी.''

घना जंगल हाथियों को भा रहा
अधिकारी बताती हैं कि, ''हाथी में एक बात और अभी देखने को मिली है कि, अगर जंगलों की अवैध कटाई ना हो, जंगल घने बने रहें, तो हाथी गांव की ओर नहीं आएंगे. शहडोल में हाथियों को अच्छा खासा जंगल मिल गया है. घना जंगल है लंबा एरिया है तो वहां वह पिछले 21 दिन से बने हुए हैं. तीन हफ्ते से बाहर नहीं आ रहे हैं और चौथा हफ्ता भी चालू हो गया है.''

बांधवगढ़ में भी बड़ी तैयारी
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा बताते हैं कि, ''अभी जो बांधवगढ़ में हादसा हुआ था उसके बाद से हाथी मैनेजमेंट को लेकर गवर्नमेंट ने 35 अफसरों को ट्रेनिंग के लिए भेजा था. उसे लेकर भी अभी हाल में बैठक हुई थी कि आखिर वो क्या सीख कर आए हैं और आगे हाथियों को लेकर क्या मैनेजमेंट करना है. हाथी मानव द्वंद रोकने के लिए लगातार गांव में बैठक हो रही हैं. हाथियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए काम किया जा रहा है.''

Last Updated : Dec 28, 2024, 10:53 PM IST
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