छिंदवाड़ा। जिले की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वर्ष 1854 में की गई थी। यह सेंट्रल प्राविसंस के नागपुर डिविजन में शामिल था, वर्ष 1861 में इससे नर्मदा (जबलपुर) डिविजन में शामिल किया गया. 1 अक्टूबर 1931 को सिवनी जिले को भी छिंदवाड़ा जिले में शामिल कर लिया गया, 31 अक्टूबर 1956 तक छिंदवाड़ा नर्मदा डिविजन का सबसे बड़ा जिला माना जाता था. 1 नवंबर 1956 को सिवनी जिला एक बार फिर अस्तित्व में आया और तीन तहसील के 1953 गांवों वाला छिंदवाड़ा जिला बाकी रह गया था. (MP Foundation Day) (1 november MP Sthapana Diwas) (MP 67th Foundation Day)
66 साल में लगभग चार गुना हुई जिले की आबादी: अधोसंरचनात्मक विकास के साथ 66 साल में छिंदवाड़ा की आबादी भी तेजी से बढ़ती चली गई, आंकड़ों के हिसाब से इस अवधि में जिले की आबादी में लगभग चार गुना बढ़ोतरी हुई. शासकीय रिकार्ड के मुताबिक वर्ष 1951 की जनगणना में छिंदवाड़ा की जनसंख्या 6 लाख 46 हजार 430 थी, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 23 लाख 38 हजार 382 पर पहुंच गया। लिंगानुपात की दृष्टि से 1000 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 963 है.
ऐतिहासिक है कलेक्ट्रट भवन: छिंदवाड़ा का कलेक्ट्रेट भवन प्रदेश के एतिहासिक भवनों में शामिल है, मध्यप्रदेश सरकार का गठन होने के कुछ महीने बाद ही वर्ष 1957 में कलेक्ट्रेट भवन का निर्माण शुरू हुआ था. दो साल में दो मंजिला भव्य भवन तैयार हो गया था, 12 जनवरी 1959 को तत्कालीन मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू ने इस भवन का लोकार्पण किया.
तीन तहसील से हुई तेरह तहसील: प्रदेश की स्थापना के समय जिले में महज तीन तहसील थी, इनका मुख्यालय छिंदवाड़ा, सौंसर और अमरवाड़ा था. जन सुविधा की दृष्टि से जिले में नई तहसीलों का गठन होता गया और वर्तमान में जिले में 13 तहसील क्षेत्र अस्तित्व में हैं, परासिया, और चौरई विकासखंड में दो तहसील हैं, जबकि अन्य विकासखंड में एक ही तहसील क्षेत्र है. वर्तमान में पांढुर्ना, सौंसर, बिछुआ, चांद, चौरई, अमरवाड़ा, हर्रई, तामिया, . जुन्नारदेव, परासिया, उमरेठ, मोहखेड़ और छिंदवाड़ा तहसील क्षेत्र हैं.
MP Foundation Day: 66 साल बाद कितना बदला झाबुआ, देखिए ETV Bharat की ग्राउंड रिपोर्ट
जिले से आदिवासी नेता परसराम धुर्वे बने पहले मंत्री: जब मध्यप्रदेश का गठन हुआ तब छिंदवाड़ा से चार विधायक चुने जाते थे, वर्ष 2008 तक जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या आठ तक पहुंच गई. इसमें पांदुर्ना, सौंसर, छिंदवाड़ा, चौरई, अमरवाड़ा, दमुआ, जुन्नारदेव और परासिया शामिल थीं, वर्ष 2013 में यह संख्या सात हो गई. दमुआ विधानसभा क्षेत्र जुन्नारदेव और अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में मर्ज हो गया, जिले से पहले मंत्री परसराम धुर्वे थे, जिन्होंने वन मंत्रालय का दायित्व संभाला.