छिंदवाड़ा। आदिवासी विधानसभा जुन्नारदेव के चिकटबर्री, टेमरु और कुकरपानी ऐसे मतदान केंद्र है, जहां पर वोटिंग कराने में प्रशासन को पसीना छूट जाता है. दरअसल गांव पहुंचने के लिए कन्हान नदी पार करना होता है, जहां पर अब तक पुल नहीं बना है. पुल नहीं होने की वजह से अगर बारिश हो जाए तो नदी में बाढ़ आ जाती है और पोलिंग पार्टियों को नाव के जरिए यहां पहुंचना पड़ता है. त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में भी पोलिंग पार्टियों को नाव के सहारे नदी पार कर मतदान करवाना पड़ा था.
पुल नहीं होने से होती है परेशानी: जुन्नारदेव विधानसभा में अधिकतर सतपुड़ा की पहाड़ियों का इलाका लगता है, इन्हीं के बीच चिकटबर्री और कुकरपानी गांव है. गांव पहुंचने के लिए कन्हान नदी पार कर जाना पड़ता है, कन्हान नदी में पुल नहीं होने की वजह से बारिश होने पर गांव का संपर्क सड़क मार्ग से टूट जाता है. नदी में पानी कम होने पर यहां से बड़े चक्के वाले वाहन निकल जाते हैं, इसलिए पोलिंग पार्टी या दूसरे लोग यहां से आना-जाना कर पाते हैं, लेकिन बारिश होने में समस्या होती है.
सरकारी कर्मचारी भी नाव से नदी पार करने को मजबूर: बारिश का मौसम हो या फिर नदी में अधिक पानी होने पर गांव में सरकारी योजनाओं का लाभ और दूसरे कामों के लिए सरकारी कर्मचारी अधिकारी नाव में बैठकर नदी पार करते हैं और गांव में पहुंचते हैं. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान भी जब बारिश का मौसम था, तो मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए नाव की व्यवस्था की गई थी. इतना ही नहीं बारिश के दिनों में जब स्वास्थ्य विभाग के अमले को टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण काम करने होते हैं, तो वे इन्हीं नाव के सहारे गांव में पहुंचते हैं.
एमपी विधानसभा चुनाव में नहीं आएगी परेशानी: एमपी विधानसभा चुनाव 2023 के लिए 17 नवंबर को होने वाले मतदान में किसी प्रकार की परेशानी नहीं जाएगी, रिटर्निंग ऑफिसर और जुन्नारदेव SDM नेहा सोनी ने बताया कि "विधानसभा निर्वाचन के लिए किसी भी मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए समस्या नहीं है, कुछ जगह नदियों में पुल नहीं है. लेकिन पानी कम होने की वजह से वाहनों का आवागमन जारी है, लगातार ज्यादा से ज्यादा लोगों से मतदान करने की अपील भी की गई है."
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ग्रामीणों सहित स्कूली बच्चे भी कलेक्टर से लगा चुके हैं गुहार: बारिश के दिनों में सबसे ज्यादा दिक्कत स्कूली बच्चों को होती है. गांव में पांचवी कक्षा तक स्कूल है, इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को दूसरे गांव के स्कूलों में जाना होता है, लेकिन बारिश की वजह से नदी पार करना मुश्किल होता है. इसलिए कई बच्चे पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं, अगर कोई गांव में बीमार हो जाए तो उन्हें डोली के सारे गांव से सड़क मार्ग तक लाया जाता है. इसको लेकर ग्रामीण सहित स्कूली बच्चों ने कलेक्टर कार्यालय में प्रदर्शन कर पुल बनाने की मांग भी कर चुके हैं, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई.