छिंदवाड़ा। हाल ही में आसमान से बरसी आफत ने सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को पहुंचाया है. देश भर में सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन के लिए मशूहर प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बारिश ने ऐसा कहर बरपाया है कि किसानों का दिवाला निकल गया है. आलम ये है कि पौधों की जड़ें सड़ने लगी हैं. रही-सही कसर तेज आंधी ने पूरी कर दी. जिसकी वजह से पूरी फसल खेतों में ही बिछ गई है. अब इन खेतों में मक्के के उत्पादन की उम्मीद ना के बराबर रह गई है.
किसानों ने सरकार से की मुआवजे की मांग
किसानों का कहना है कि गेहूं की फसल ओले के कारण बर्बाद हो गई थी. अब तेज बारिश ने मक्के की फसल चौपट कर दी. लॉकडाउन में बमुश्किल खेतों में मक्के की बुआई की थी. पहले मक्के को फॉल आर्मीवर्म रोग ने आगोश में लिया. जैसे तैसे उससे उभरे तो बारिश ने सब कुछ तबाह कर दिया. किसानों ने सरकार से मुआवजे की गुहार लगाई है.
कृषि वैज्ञानिक की सलाह
वहीं कृषि वैज्ञानिक विजय कुमार पराड़कर का कहना है कि फॉल आर्मीवर्म मक्के के लिए खतरनाक होता है, लेकिन इस बार फॉल आर्मीवर्म के प्रभावित इलाके में कम हैं, लेकिन जड़ों में गलन और तनों में सड़न के चलते काफी नुकसान हो रहा है. बारिश की ज्यादा मात्रा और पौधों का अधिक ऊंचाई के चलते मक्के की फसल गिर रही है और किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.
इसके अलावा कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि मक्का की बुआई करते समय ये ध्यान रखना चाहिए कि कतारों के बीच 60 से लेकर 75 सेंटीमीटर का अंतर रहे, ताकि जब फसल की ग्रोथ हो तो हवा का बहाव हो सके. साथ ही कीटनाशकों का छिड़काव आसानी से किया जा सके.