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भारी बारिश ने अन्नदाता पर बरपाया कहर, मक्के की फसल हुई बर्बाद

छिंदवाड़ा में हुई तेज बारिश ने मक्के की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

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मक्का की फसल हुई बर्बाद
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Published : Aug 29, 2020, 12:56 PM IST

छिंदवाड़ा। हाल ही में आसमान से बरसी आफत ने सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को पहुंचाया है. देश भर में सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन के लिए मशूहर प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बारिश ने ऐसा कहर बरपाया है कि किसानों का दिवाला निकल गया है. आलम ये है कि पौधों की जड़ें सड़ने लगी हैं. रही-सही कसर तेज आंधी ने पूरी कर दी. जिसकी वजह से पूरी फसल खेतों में ही बिछ गई है. अब इन खेतों में मक्के के उत्पादन की उम्मीद ना के बराबर रह गई है.

भारी बारिश ने अन्नदाता पर बरपाया कहर

किसानों ने सरकार से की मुआवजे की मांग

किसानों का कहना है कि गेहूं की फसल ओले के कारण बर्बाद हो गई थी. अब तेज बारिश ने मक्के की फसल चौपट कर दी. लॉकडाउन में बमुश्किल खेतों में मक्के की बुआई की थी. पहले मक्के को फॉल आर्मीवर्म रोग ने आगोश में लिया. जैसे तैसे उससे उभरे तो बारिश ने सब कुछ तबाह कर दिया. किसानों ने सरकार से मुआवजे की गुहार लगाई है.

Yellow plants
पीले पड़ने लगे पौधे

कृषि वैज्ञानिक की सलाह

वहीं कृषि वैज्ञानिक विजय कुमार पराड़कर का कहना है कि फॉल आर्मीवर्म मक्के के लिए खतरनाक होता है, लेकिन इस बार फॉल आर्मीवर्म के प्रभावित इलाके में कम हैं, लेकिन जड़ों में गलन और तनों में सड़न के चलते काफी नुकसान हो रहा है. बारिश की ज्यादा मात्रा और पौधों का अधिक ऊंचाई के चलते मक्के की फसल गिर रही है और किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.

Crop laid on the ground due to strong storm
तेज आंधी से फसल जमीन पर बिछी

इसके अलावा कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि मक्का की बुआई करते समय ये ध्यान रखना चाहिए कि कतारों के बीच 60 से लेकर 75 सेंटीमीटर का अंतर रहे, ताकि जब फसल की ग्रोथ हो तो हवा का बहाव हो सके. साथ ही कीटनाशकों का छिड़काव आसानी से किया जा सके.

छिंदवाड़ा। हाल ही में आसमान से बरसी आफत ने सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को पहुंचाया है. देश भर में सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन के लिए मशूहर प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बारिश ने ऐसा कहर बरपाया है कि किसानों का दिवाला निकल गया है. आलम ये है कि पौधों की जड़ें सड़ने लगी हैं. रही-सही कसर तेज आंधी ने पूरी कर दी. जिसकी वजह से पूरी फसल खेतों में ही बिछ गई है. अब इन खेतों में मक्के के उत्पादन की उम्मीद ना के बराबर रह गई है.

भारी बारिश ने अन्नदाता पर बरपाया कहर

किसानों ने सरकार से की मुआवजे की मांग

किसानों का कहना है कि गेहूं की फसल ओले के कारण बर्बाद हो गई थी. अब तेज बारिश ने मक्के की फसल चौपट कर दी. लॉकडाउन में बमुश्किल खेतों में मक्के की बुआई की थी. पहले मक्के को फॉल आर्मीवर्म रोग ने आगोश में लिया. जैसे तैसे उससे उभरे तो बारिश ने सब कुछ तबाह कर दिया. किसानों ने सरकार से मुआवजे की गुहार लगाई है.

Yellow plants
पीले पड़ने लगे पौधे

कृषि वैज्ञानिक की सलाह

वहीं कृषि वैज्ञानिक विजय कुमार पराड़कर का कहना है कि फॉल आर्मीवर्म मक्के के लिए खतरनाक होता है, लेकिन इस बार फॉल आर्मीवर्म के प्रभावित इलाके में कम हैं, लेकिन जड़ों में गलन और तनों में सड़न के चलते काफी नुकसान हो रहा है. बारिश की ज्यादा मात्रा और पौधों का अधिक ऊंचाई के चलते मक्के की फसल गिर रही है और किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.

Crop laid on the ground due to strong storm
तेज आंधी से फसल जमीन पर बिछी

इसके अलावा कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि मक्का की बुआई करते समय ये ध्यान रखना चाहिए कि कतारों के बीच 60 से लेकर 75 सेंटीमीटर का अंतर रहे, ताकि जब फसल की ग्रोथ हो तो हवा का बहाव हो सके. साथ ही कीटनाशकों का छिड़काव आसानी से किया जा सके.

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