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यूरिया की किल्लत, सरकारी दुकानों में लगे खाद खत्म के पोस्टर - यूरिया की कमी

पहले किसान यूरिया की कमी से परेशान था और अब खाद नहीं मिलने से परेशान है.

lack of manure
दुकानों में लगे खाद खत्म के पोस्टर
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Published : Jan 4, 2020, 10:08 PM IST

छिंदवाड़ा। मुख्यमंत्री के गृह जिले छिंदवाड़ा में भी यूरिया के लिए किसानों को जूझना पड़ रहा है आलम ये है कि अब सरकारी खाद की दुकानों में यूरिया खत्म होने के पोस्टर तक चिपका दिए गए हैं.

दुकानों में लगे खाद खत्म के पोस्टर
जिलेभर में जिला विपणन संघ खाद की सप्लाई करता है और फिर सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को दी जाती है. जब किसानों को सोसायटियों के माध्यम से खाद नहीं मिल रही तो वे जिला विपणन संघ ने खाद के लिए पहुंचे. जहां पर दफ्तर के मुख्यालय पर ही पोस्टर चिपका दिया गया है कि यूरिया खत्म हो गया है.

छिंदवाड़ा। मुख्यमंत्री के गृह जिले छिंदवाड़ा में भी यूरिया के लिए किसानों को जूझना पड़ रहा है आलम ये है कि अब सरकारी खाद की दुकानों में यूरिया खत्म होने के पोस्टर तक चिपका दिए गए हैं.

दुकानों में लगे खाद खत्म के पोस्टर
जिलेभर में जिला विपणन संघ खाद की सप्लाई करता है और फिर सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को दी जाती है. जब किसानों को सोसायटियों के माध्यम से खाद नहीं मिल रही तो वे जिला विपणन संघ ने खाद के लिए पहुंचे. जहां पर दफ्तर के मुख्यालय पर ही पोस्टर चिपका दिया गया है कि यूरिया खत्म हो गया है.
Intro:छिन्दवाड़ा। प्रदेशभर में तो खाद की किल्लत है ही अब मुख्यमंत्री के गृह जिले छिंदवाड़ा में भी यूरिया के लिए किसानों को जूझना पड़ रहा है आलम तो है कि अब सरकारी खाद की दुकानों में यूरिया खत्म होने के पोस्टर तक चिपका दिए गए हैं।


Body:जिलेभर में जिला विपणन संघ से खाद की सप्लाई की जाती है और फिर सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को दी जाती है जब किसानों को सोसायटी ओं के माध्यम से खाद नहीं मिल रही तो वे जिला विपणन संघ ने खाद के लिए पहुंचे जहां पर दफ्तर के मुख्यालय पर ही पोस्टर चिपका दिया गया है कि यूरिया खत्म हो गया है।

अपनी दर्द भरी दास्तां सुनाते हुए किसान कहते हैं कि अब तक पहले ऐसी दिक्कत है यूरिया के लिए नहीं आई लेकिन ये राजा की मार है जो सहन करना पड़ रहा है एक किसान ने कहा कि जिसकी कोई नहीं सुनता और जिसकी शान ना हो वही किसान कहलाता है राजनेता किसान और जवान के नाम से राजनीति करते हैं लेकिन इस देश में किसान और जवान ही मर रहे हैं।


Conclusion:आलम ये है कि अब जिले में लोग यूरिया के लिए सड़कों पर आंदोलन करने लगे हैं।

बाइट-राजपाल ठाकुर,किसान(मुछ वाले)
बाइट-श्रीराम चंद्रवंशी,किसान
बाइट-नीलेश साहू किसान(युवक)
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