छिंदवाड़ा। जिले के दिव्यांग न्याज अली की कहानी बेहद प्रेरणादायी है. न्याज अली कभी ट्रक ड्राइवर हुआ करते थे, लेकिन एक रोड एक्सीडेंट ने उनका पैर छीन लिया और वे घर में बेरंग जिंदगी जीने लगे. इस स्थिति में उनके घर में खाने के भी लाले पड़ गए.
दुर्घटना में अपना एक पैर गंवा चुके न्याज अली की पत्नी दूसरों के घरों में बर्तन साफ करके परिवार का पेट भरती थी. किसी ने न्याज को जयपुर में कृतिम पैर लगवाने की जानकारी दी और फिर वहां से न्याज की जिंदगी बदल गई. जयपुर में एडमिट रहने के दौरान ही न्याज अली ने खुद को साबित करने की सोची और खुद ही कृत्रिम पैर बनाना भी सीख लिया.
जयपुर में काम करने के दौरान न्याज को लगा कि उनके छिंदवाड़ा में भी अगर दिव्यांग पुर्नवास केन्द्र होगा, तो वो वहां के लोगों को चलना सिखाएंगे. छिंदवाड़ा आने के बाद न्याज अली ने कुछ दिन निःशुल्क भी काम करके दूसरों को चलना सिखाया और अब न्याज अली सहायक टेक्नीशियन हैं. न्याज अली हजारों लोगों को अपने पैरों पर चलना सिखा चुके हैं. न्याज कहतें हैं कि शारीरिक कमी भी हौसले के आड़े नहीं आती, बस खुद में कुछ करने की चाहत होनी चाहिए.