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अपने पैर गंवाकर भी हजारों लोगों को सिखाया चलना, जानिए दिव्यांग न्याज अली की कहानी - न्याज अली सहायक टेक्निशियन

छिंदवाड़ा के न्याज अली ने एक रोड एक्सीडेंट में अपना पैर गंवा दिया था. इसके बाद अपने इलाज के दौरान उन्होंने कृत्रिम पैर बनाना सीखा और अभी तक वो हजारों लोगों को चलना सिखा चुके हैं.

Divyang Nyaz Ali in chhidnwara
जानिए दिव्यांग न्याज अली की कहानी
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Published : Dec 3, 2019, 11:50 AM IST

Updated : Dec 3, 2019, 2:17 PM IST

छिंदवाड़ा। जिले के दिव्यांग न्याज अली की कहानी बेहद प्रेरणादायी है. न्याज अली कभी ट्रक ड्राइवर हुआ करते थे, लेकिन एक रोड एक्सीडेंट ने उनका पैर छीन लिया और वे घर में बेरंग जिंदगी जीने लगे. इस स्थिति में उनके घर में खाने के भी लाले पड़ गए.

दुर्घटना में अपना एक पैर गंवा चुके न्याज अली की पत्नी दूसरों के घरों में बर्तन साफ करके परिवार का पेट भरती थी. किसी ने न्याज को जयपुर में कृतिम पैर लगवाने की जानकारी दी और फिर वहां से न्याज की जिंदगी बदल गई. जयपुर में एडमिट रहने के दौरान ही न्याज अली ने खुद को साबित करने की सोची और खुद ही कृत्रिम पैर बनाना भी सीख लिया.

जानिए दिव्यांग न्याज अली की कहानी

जयपुर में काम करने के दौरान न्याज को लगा कि उनके छिंदवाड़ा में भी अगर दिव्यांग पुर्नवास केन्द्र होगा, तो वो वहां के लोगों को चलना सिखाएंगे. छिंदवाड़ा आने के बाद न्याज अली ने कुछ दिन निःशुल्क भी काम करके दूसरों को चलना सिखाया और अब न्याज अली सहायक टेक्नीशियन हैं. न्याज अली हजारों लोगों को अपने पैरों पर चलना सिखा चुके हैं. न्याज कहतें हैं कि शारीरिक कमी भी हौसले के आड़े नहीं आती, बस खुद में कुछ करने की चाहत होनी चाहिए.

छिंदवाड़ा। जिले के दिव्यांग न्याज अली की कहानी बेहद प्रेरणादायी है. न्याज अली कभी ट्रक ड्राइवर हुआ करते थे, लेकिन एक रोड एक्सीडेंट ने उनका पैर छीन लिया और वे घर में बेरंग जिंदगी जीने लगे. इस स्थिति में उनके घर में खाने के भी लाले पड़ गए.

दुर्घटना में अपना एक पैर गंवा चुके न्याज अली की पत्नी दूसरों के घरों में बर्तन साफ करके परिवार का पेट भरती थी. किसी ने न्याज को जयपुर में कृतिम पैर लगवाने की जानकारी दी और फिर वहां से न्याज की जिंदगी बदल गई. जयपुर में एडमिट रहने के दौरान ही न्याज अली ने खुद को साबित करने की सोची और खुद ही कृत्रिम पैर बनाना भी सीख लिया.

जानिए दिव्यांग न्याज अली की कहानी

जयपुर में काम करने के दौरान न्याज को लगा कि उनके छिंदवाड़ा में भी अगर दिव्यांग पुर्नवास केन्द्र होगा, तो वो वहां के लोगों को चलना सिखाएंगे. छिंदवाड़ा आने के बाद न्याज अली ने कुछ दिन निःशुल्क भी काम करके दूसरों को चलना सिखाया और अब न्याज अली सहायक टेक्नीशियन हैं. न्याज अली हजारों लोगों को अपने पैरों पर चलना सिखा चुके हैं. न्याज कहतें हैं कि शारीरिक कमी भी हौसले के आड़े नहीं आती, बस खुद में कुछ करने की चाहत होनी चाहिए.

Intro:छिंदवाड़ा । लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती, ऐसी ही कुछ अलग कहानी है दिव्यांग न्याज अली की ,न्याज अली कभी ट्रक ड्राईवर हुआ करते थे एक दिन रोड एक्सीडेंट ने पैर छीन लिया और वे घर में बेरंग जिंदगी जीने लगे। और तो और घऱ में खाने के लाले भी पड़ गए।

Body:न्याज ट्रक ड्राइवर थे औऱ एक दिन दुर्घटना में अपना एक पैर गवा चुके न्याज अली कि पत्नी दूसरों के घरों में बर्तन साफकर परिवार का पेट भरती थी किसी ने न्याज को जयपुर में कृतिम पैर लगवाने की जानकारी दी और फिर वहाँ से न्याज की जिंदगी बदली,जयपुर में एडमिट रहने के दौरान ही न्याज अली ने खुद को साबित करने की सोची और खुद ही कृत्रिम पैर बनाना भी सीख लिया।
जयपुर में काम करने के दौरान न्याज को लगा की आखिर उनके छिंदवाड़ा में भी अगर विकलांग पुर्नवास केन्द्र होगा तो क्यों ना वो वहाँ के लोगों को चलना सिखाए छिंदवाड़ा आने के बाद न्याज अली ने कुछ दिन निशुल्क भी काम करके दूसरों को चलना सिखाया और अब न्याज अली सहायक टेक्निशियन है ।
Conclusion:अबतक न्याज अली हजारों लोगों को अपने पैरों से चला चुके हैं न्याज कहतें हैं कि शारिरिक कमी भी भी हौसले के आड़ें नहीं आती बस खुद में कुछ करने की चाहत होनी चाहिए ।
बाइट- न्याज अली,दिव्यांग सहायक टैक्निशियन
Last Updated : Dec 3, 2019, 2:17 PM IST
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