छिंदवाड़ा। हाथ में लोहे की हुक, जुनून जहरीले सांपों को पकड़ने का, मकसद उन्हें जीवनदान देने का, कुछ ऐसा ही जज्बा और हौसला पांढुर्णा के सर्प मित्र अमित सांबारे में दिखाई दे रहा है, जो सभी जहरीले सांपों को पकड़ता है, लेकिन इस सर्प मित्र को इन सांपों की जान बचाने के एवज में बेरोजगारी मिल रही है. ये सर्प मित्र सांपों की जान तो जरूर बचा रहा है, लेकिन उन सांपों की जान बचाने के एवज में उसे कुछ नहीं मिल रहा, आखिर वो बेरोजगारी से जूझ रहा है. सांपों की खबर उसके कानों तक आते ही वो दौड़ पड़ता है और उन सांपों का रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित जंगल में छोड़ देता है.
826 सांपों को दिया जीवनदान
सर्प मित्र अमित बताते हैं कि, पांढुर्णा में सबसे ज्यादा सर्पदंश की घटना अधिक हो रही थीं. जिसको देखते हुए उसने रामटेक जाकर सांपों को पकड़ने की ट्रेनिंग ली. छिंदवाड़ा के सर्पमित्र हेमंत गोंदरे से ट्रेनिंग लेकर जहरीले सांपों को पकड़ने का काम शुरू कर दिया. सर्प मित्र अमित ने बताया कि, पांढुर्णा में सबसे ज्यादा कोबरा प्रजाती के सांपों की संख्या है, अमित ने एक साल में कुल 826 जहरीले सांपों को पकड़ा है, जिनमें कोबरा प्रजाति के 416, रसलवायपर 102 और कॉमनकरेत 82 सांप पकड़कर उन्हें सुरक्षित जंगल ले जाकर छोड़ दिया है.
एक साल में दान मे मिले 5 हजार रुपए और एक किट
सर्प मित्र अमित के मुताबिक उसको सांप पकड़ते हुए एक साल हो गया है. इस एक साल में सांपों की जान बचाने के एवज में उसे दान स्वरूप 5 हजार रुपए और एक सुरक्षा किट मिली है. ये दोनों सहयोग सांई पालकी समिति और हरहर नर्मदे पर्यावरण मंच की टीम द्वारा दी गई है. उसके बाद इस सर्प मित्र को कोई सहयोग नहीं मिला है, लेकिन सरकार की तरफ से कई मदद नहीं मिली है.