छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (chhindwara institute of medical institute) से संबंद्धता रखने वाले जिला अस्पताल की 5 मंजिला बिल्डिंग में लगाए गए आगजनी से निपटने के लिए उपकरण चलने से पहले ही खराब हो गए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इन्हें चलाने के लिए कोई ऑपरेटर भी नहीं है. इसका खुलासा नगर निगम की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है.
कोई नहीं है उपयोगकर्ता
जिला अस्पताल की बिल्डिंग बनाते समय आगजनी की घटना से निपटने के लिए जरूरी उपकरणों में फायर हाइडेंट लाइन, डिटेक्टर, स्मोक डिटेक्टर, ऑटोमेटिक फायर स्प्रिंकलर तो लगा दिए गए हैं, लेकिन इन्हें ऑपरेट करने वाला कोई नहीं है. हालात ये है कि इनके अगल बगल में लोग अब पीकदान बनाने लगे हैं. (fire safety device in chhindwara)
नियुक्त होना चाहिए फायरमैन
जिला अस्पताल में लगे फायर उपकरणों की जानकारी के लिए जब ईटीवी भारत ने फायर सेफ्टी इंजीनियर नासिर खान से बात की तो उन्होंने बताया कि बिल्डिंग में उपकरण लगाने से आगजनी की घटनाएं नहीं रोकी जा सकतीं. इन्हें ऑपरेट करने के लिए बकायदा एक प्रशिक्षित फायरमैन नियुक्त होना चाहिए, लेकिन जिला अस्पताल में ऐसा कोई नहीं है और न ही कोई फायरमैन है. अस्पताल में कोई प्रशिक्षित व्यक्ति भी नहीं है, जो दुर्घटना होने पर इन उपकरणों का उपयोग कर सके. (fire alarm in chhindwara)
एक्सपायरी फायर सिलेंडरों के भरोसे है जिला अस्पताल
फायर सेफ्टी इंजीनियर नासिर खान ने ईटीवी भारत को बताया कि फायर एक्सटिंग्विशर सिलेंडर हर साल रिफिल किया जाना जरूरी है. वर्ना ये किसी काम के नहीं होते हैं. जब ईटीवी भारत की टीम जिला अस्पताल में हकीकत जानने पहुंची, तो यहां दो साल पहले रिफिल किए गए फायर एक्सटिंग्विशर दीवार पर लटके मिले. जो सिर्फ दिखावे के लिए ही थे.
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सीएमएचओ ने बताया कि आखिर जिला अस्पताल की बहुमंजिला इमारत में आगजनी से निपटने के क्या इंतजाम हैं, तो उन्होंने वहीं सरकारी रटा रटाया हुआ जवाब दोहरा दिया. सभी फायर उपकरण लगे हैं और इन्हें चलाने की भी व्यवस्था है. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि वक्त वक्त पर कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जाती है, लेकिन जिस अस्पताल में एक्सपायरी डेट के अग्निशामक यंत्र लगे हो वहां भला क्या उम्मीद लगाई जा सकती है.