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कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसान कर रहे दोगुनी कमाई - Agricultural law

केंद्र सरकार के द्वारा लागू कृषि के नए कानून का विरोध दिल्ली में जारी है, लेकिन इसी कानूनों में से एक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए किसान दोगुनी कमाई कर रहे हैं.

Contract farming
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग
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Published : Feb 14, 2021, 8:43 AM IST

Updated : Feb 14, 2021, 11:16 AM IST

छिन्दवाड़ा। नए कृषि कानून के विरोध में इन दिनों दिल्ली की सियासत गर्म है किसान सड़कों पर प्रदर्शन तक रहे हैं, जिस नए कृषि कानून का किसान विरोध कर रहे हैं, उसी कानून में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी शामिल है, लेकिन पिछले 8 सालों से छिंदवाड़ा का किसान इसी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए लागत से 2 गुना तक मुनाफा ले रहा है, जानिए ग्राउंड रिपोर्ट.

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से बढ़ी आमदनी
  • 8 साल से किसान कर रहा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग

छिंदवाड़ा जिले के किसानों ने 2012 में निजी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत की थी, पेप्सीको ने चिप्स के लिए आलू उत्पादन के लिए किसानों से अनुबंध किया था, सबसे पहले इसके तहत महज 5 एकड़ में आलू की फसल लगाई गई थी, आज जिले में करीब 3,000 एकड़ जमीन में आलू बोया जा रहा है, हर साल सैकड़ों टन आलू निर्यात किया जाता है.

Contract farming
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से मिल रहा लाभ
  • बीज से लेकर दवाई तक उपलब्ध कराती है कंपनी

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए कंपनी और किसानों के बीच वेंडर होते हैं, कंपनी वेंडरों के जरिए किसानों से संपर्क करती है और फिर किसानों को खेतों में लगाने के लिए बीज से लेकर उसमें उपयोग की जाने वाली दवाइयां तक देती है और फिर बाद में लागत मूल्य निकालने के साथ ही निर्धारित रेट तय होता है और उसी रेट पर कंपनियां किसानों से उनकी उपज खरीदती हैं.

Contract farming
खेती कर किसान दोगुना कर रहे कमाई
  • कॉन्ट्रैक्ट के बाद फसल बेचने में नहीं आती दिक्कत

ईटीवी भारत को किसानों ने बताया कि कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट के बाद किसी प्रकार की समस्या नहीं होती, 30 से ₹40,000 प्रति एकड़ खर्च होता है और मुनाफा भी 60 से ₹70,000 प्रति एकड़ तक हो जाता है, निश्चित रेट में कंपनियां उनसे उनकी उपज खरीदती हैं और उन्हें कहीं बाहर भी नहीं ले जाना पड़ता है, किसान कलेक्शन सेंटर में अपनी उपज जमा करता है, जहां से सीधे एक कंपनी के वेयर हाउसों में उनकी उपज पहुंचती है.

Contract farming
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग बना लाभ का धंधा
  • 50 से ₹60 हजार रुपए प्रति एकड़ किसान कर रहे कमाई

छिंदवाड़ा जिले के उमरेठ बिछुवा मोहखेड़ ब्लॉक के किसानों ने कंपनी के साथ अनुबंध किया है, उमरेठ रिधोरा में करीब 80 फीसदी किसान इसी प्रकार खेती कर रहे हैं कंपनी और किसानों के बीच करार के बाद अगर बाजार में उनकी फसल के रेट ज्यादा हैं तो किसान बाजार में भी फसल बेच सकता है.

20 फरवरी से समर्थन मूल्य पर पंजीयन की तैयारी

क्या कहता है नया कानून ?

  • कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम, 2020.
  • कृषकों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ना.
  • कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उसकी उपज के दाम निर्धारित करना. बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन. दाम बढ़ने पर न्यूनतम मूल्य के साथ अतिरिक्त लाभ.
  • इस अधिनियम की मदद से बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों से हटकर प्रायोजकों पर चला जाएगा. मूल्य पूर्व में ही तय हो जाने से बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल प्रभाव किसान पर नहीं पड़ेगा.
  • इससे किसानों की पहुंच अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि उपकरण एवं उन्नत खाद बीज तक होगी.
  • इससे विपणन की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित होगी.
  • किसी भी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा 30 दिवस में स्थानीय स्तर( एसडीएम) पर करने की व्यवस्था की गई है.
  • कृषि क्षेत्र में शोध एवं नई तकनीकी को बढ़ावा देना.

छिन्दवाड़ा। नए कृषि कानून के विरोध में इन दिनों दिल्ली की सियासत गर्म है किसान सड़कों पर प्रदर्शन तक रहे हैं, जिस नए कृषि कानून का किसान विरोध कर रहे हैं, उसी कानून में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी शामिल है, लेकिन पिछले 8 सालों से छिंदवाड़ा का किसान इसी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए लागत से 2 गुना तक मुनाफा ले रहा है, जानिए ग्राउंड रिपोर्ट.

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से बढ़ी आमदनी
  • 8 साल से किसान कर रहा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग

छिंदवाड़ा जिले के किसानों ने 2012 में निजी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत की थी, पेप्सीको ने चिप्स के लिए आलू उत्पादन के लिए किसानों से अनुबंध किया था, सबसे पहले इसके तहत महज 5 एकड़ में आलू की फसल लगाई गई थी, आज जिले में करीब 3,000 एकड़ जमीन में आलू बोया जा रहा है, हर साल सैकड़ों टन आलू निर्यात किया जाता है.

Contract farming
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से मिल रहा लाभ
  • बीज से लेकर दवाई तक उपलब्ध कराती है कंपनी

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए कंपनी और किसानों के बीच वेंडर होते हैं, कंपनी वेंडरों के जरिए किसानों से संपर्क करती है और फिर किसानों को खेतों में लगाने के लिए बीज से लेकर उसमें उपयोग की जाने वाली दवाइयां तक देती है और फिर बाद में लागत मूल्य निकालने के साथ ही निर्धारित रेट तय होता है और उसी रेट पर कंपनियां किसानों से उनकी उपज खरीदती हैं.

Contract farming
खेती कर किसान दोगुना कर रहे कमाई
  • कॉन्ट्रैक्ट के बाद फसल बेचने में नहीं आती दिक्कत

ईटीवी भारत को किसानों ने बताया कि कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट के बाद किसी प्रकार की समस्या नहीं होती, 30 से ₹40,000 प्रति एकड़ खर्च होता है और मुनाफा भी 60 से ₹70,000 प्रति एकड़ तक हो जाता है, निश्चित रेट में कंपनियां उनसे उनकी उपज खरीदती हैं और उन्हें कहीं बाहर भी नहीं ले जाना पड़ता है, किसान कलेक्शन सेंटर में अपनी उपज जमा करता है, जहां से सीधे एक कंपनी के वेयर हाउसों में उनकी उपज पहुंचती है.

Contract farming
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग बना लाभ का धंधा
  • 50 से ₹60 हजार रुपए प्रति एकड़ किसान कर रहे कमाई

छिंदवाड़ा जिले के उमरेठ बिछुवा मोहखेड़ ब्लॉक के किसानों ने कंपनी के साथ अनुबंध किया है, उमरेठ रिधोरा में करीब 80 फीसदी किसान इसी प्रकार खेती कर रहे हैं कंपनी और किसानों के बीच करार के बाद अगर बाजार में उनकी फसल के रेट ज्यादा हैं तो किसान बाजार में भी फसल बेच सकता है.

20 फरवरी से समर्थन मूल्य पर पंजीयन की तैयारी

क्या कहता है नया कानून ?

  • कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम, 2020.
  • कृषकों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ना.
  • कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उसकी उपज के दाम निर्धारित करना. बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन. दाम बढ़ने पर न्यूनतम मूल्य के साथ अतिरिक्त लाभ.
  • इस अधिनियम की मदद से बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों से हटकर प्रायोजकों पर चला जाएगा. मूल्य पूर्व में ही तय हो जाने से बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल प्रभाव किसान पर नहीं पड़ेगा.
  • इससे किसानों की पहुंच अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि उपकरण एवं उन्नत खाद बीज तक होगी.
  • इससे विपणन की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित होगी.
  • किसी भी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा 30 दिवस में स्थानीय स्तर( एसडीएम) पर करने की व्यवस्था की गई है.
  • कृषि क्षेत्र में शोध एवं नई तकनीकी को बढ़ावा देना.
Last Updated : Feb 14, 2021, 11:16 AM IST
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