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लॉकडाउन का असर: फीके पड़े हरी मिर्च के तेवर, पौधों में ही हो रही लाल

हरी मिर्च की डिमांड बाजारों में खूब होती है, लेकिन जब से लॉकडाउन किया गया है, तब से बाजार बंद पड़े हैं. ऐसे में पौधों में ही हरी मिर्च अब लाल होती जा रही है. इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

Green chillies are becoming red
हरी मिर्च हो रही लाल
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Published : May 29, 2020, 12:42 AM IST

छिंदवाड़ा। खेती से मुनाफे की आस में किसानों ने सब्जी की खेती करना शुरू की थी, लेकिन लॉकडाउन ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. छिंदवाड़ा में एक ऐसे ही किसान हैं, जिनकी मिर्च नहीं बिकने की वजह से खेतों में ही अब हरी मिर्च लाल होने लगी है.

लॉकडाउन के चलते सब्जी उगाने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ है

बनगांव के रहने वाले किसान संतकुमार साहू ने करीब 12 एकड़ जमीन में मिर्च की खेती की है. लॉकडाउन के चलते उन्हें भाव नहीं मिला, इसलिए उन्हें करीब 25 लाख रुपये का नुकसान हुआ है.

1 एकड़ में करीब डेढ़ लाख की लगती है लागत

किसान संतकुमार साहू ने बताया कि मिर्च की खेती करने में 1 एकड़ में करीब डेढ़ लाख रुपए की लागत आती है. अगर सही भाव मिल जाए, तो डेढ़ लाख के ढाई से तीन लाख रुपए बनते हैं, लेकिन इस बार बाजार बंद रहे, इसलिए मिर्च बिकी ही नहीं. अब लागत मूल्य निकलना भी मुश्किल है.

खेतों में ही लाल हो रही हरी मिर्च

किसान का कहना है कि हर साल मिर्च कम से कम 30 रुपये किलो से 40 रुपये किलो बिकती है, लेकिन इस बार के भाव 10 रुपये से 15 रुपये किलो हैं, जिसके चलते मजदूरों की मजदूरी निकालना भी मुश्किल हो रहा है. आलम ये है कि पौधों में ही हरी मिर्च अब लाल होने लगी है.

सूखी मिर्च के 300 रुपए किलो तक भाव

किसानों के साथ में यहीं दिक्कत रहती है, सूखी मिर्च बाजारों में 300 रुपये किलो तक के भाव में बिक रही है, जबकि किसान की हरी मिर्च 10 रुपये किलो में भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं.

स्टोर करने के लिए नहीं है पुख्ता इंतजाम

हरी सब्जियों को ज्यादा दिन तक किसान स्टोर नहीं कर सकता और ना ही किसानों के पास स्टोर करने के पुख्ता इंतजाम है. अगर कोल्ड स्टोरेज या सब्जी स्टोर करने के लिए सरकार कोई व्यवस्था करें, तो किसानों को कुछ राहत मिल सकती है.

छिंदवाड़ा। खेती से मुनाफे की आस में किसानों ने सब्जी की खेती करना शुरू की थी, लेकिन लॉकडाउन ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. छिंदवाड़ा में एक ऐसे ही किसान हैं, जिनकी मिर्च नहीं बिकने की वजह से खेतों में ही अब हरी मिर्च लाल होने लगी है.

लॉकडाउन के चलते सब्जी उगाने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ है

बनगांव के रहने वाले किसान संतकुमार साहू ने करीब 12 एकड़ जमीन में मिर्च की खेती की है. लॉकडाउन के चलते उन्हें भाव नहीं मिला, इसलिए उन्हें करीब 25 लाख रुपये का नुकसान हुआ है.

1 एकड़ में करीब डेढ़ लाख की लगती है लागत

किसान संतकुमार साहू ने बताया कि मिर्च की खेती करने में 1 एकड़ में करीब डेढ़ लाख रुपए की लागत आती है. अगर सही भाव मिल जाए, तो डेढ़ लाख के ढाई से तीन लाख रुपए बनते हैं, लेकिन इस बार बाजार बंद रहे, इसलिए मिर्च बिकी ही नहीं. अब लागत मूल्य निकलना भी मुश्किल है.

खेतों में ही लाल हो रही हरी मिर्च

किसान का कहना है कि हर साल मिर्च कम से कम 30 रुपये किलो से 40 रुपये किलो बिकती है, लेकिन इस बार के भाव 10 रुपये से 15 रुपये किलो हैं, जिसके चलते मजदूरों की मजदूरी निकालना भी मुश्किल हो रहा है. आलम ये है कि पौधों में ही हरी मिर्च अब लाल होने लगी है.

सूखी मिर्च के 300 रुपए किलो तक भाव

किसानों के साथ में यहीं दिक्कत रहती है, सूखी मिर्च बाजारों में 300 रुपये किलो तक के भाव में बिक रही है, जबकि किसान की हरी मिर्च 10 रुपये किलो में भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं.

स्टोर करने के लिए नहीं है पुख्ता इंतजाम

हरी सब्जियों को ज्यादा दिन तक किसान स्टोर नहीं कर सकता और ना ही किसानों के पास स्टोर करने के पुख्ता इंतजाम है. अगर कोल्ड स्टोरेज या सब्जी स्टोर करने के लिए सरकार कोई व्यवस्था करें, तो किसानों को कुछ राहत मिल सकती है.

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