छिंदवाड़ा। यूरिया को लेकर किसानों का संघर्ष कोई पुराना नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले में छिंदवाड़ा में किसान यूरिया के लिए परेशान हो रहा है. किसान अपनी ओर से यूरिया के लिए परमिट तक क्लियर कर चुके हैं. लेकिन यूरिया मिलने की तस्वीर अभी साफ नहीं हुई है. किसानों का मानना है कि वह चार पांच दिन से परेशान हो रहे है, दफ्तरों के चक्कर भी लगा चुके हैं. इसके बावजूद भी किसानों को यूरिया नहीं दी जा रही है.
प्रदेश की शिवराज सरकार किसानों की हितैषी सरकार मानी जाती है. लेकिन छिंदवाड़ा का किसान यूरिया संकट के लिए परेशान हो रहा है. किसान निगाहें लगाकर इस उम्मीद में बैठा है कि उसे जल्द ही यूरिया मिल जाएगी और वो अपने अन्य कृषि से जुड़े कार्य भी कर पाएगा.
खाद की कमी नहीं भंडारण में हो रही समस्या
यूरिया की कमी के मामले में जिला विपणन अधिकारी का कहना है, यूरिया खाद जिले में पर्याप्त मात्रा में आ रही है. लेकिन रेलवे प्रशासन के पास खाली कराने की व्यवस्था नहीं है. दरअसल, छिंदवाड़ा रेलवे स्टेशन में एकमात्र रैक है जिसमें यूरिया के अलावा सीमेंट और आनाज खाली होता है. इसलिए एक यूरिया की रैक खाली होने में 4 से 5 दिन लग रहा है.
किसान कर रहे प्रदर्शन
किसान यूरिया के लिए कहीं सड़कों पर जाम लगाकर यूरिया की मांग कर रहा है, तो कहीं चौरई में सरकारी का खाद बिक्री केंद्र इफको बाजार का घेराव किया जा रहा है. किसानों को यूरिया के लिए जुन्नार देव में थाने तक का घेराव करना पड़ा.
उप चुनाव बनी फांस
किसानों का कहना है कि इस समय प्रदेश में कांग्रेस और सत्ताधारी बीजेपी मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव पर फोकस कर रही है. इस समय नेताओं को किसानों की नहीं बल्कि चुनाव की चिंता है. आलम यह है कि खाद को पुलिस की निगरानी में बेचना पड़ रहा है.
मक्का के लिए प्रसिद्ध छिंदवाड़ा
छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा मक्के की उपज होती है. प्रदेश में सबसे ज्यादा मक्के की उपज छिंदवाड़ा में होती है. इसलिए इस शहर को कॉर्न सिटी के नाम से जाना जाता है. मक्के में सबसे ज्यादा यूरिया की जरूरत होती है. लेकिन जिले में यूरिया की किल्लत है, इसलिए किसानों को आंदोलन करना पड़ रहा है. हर विधानसभा क्षेत्र का किसान अब इतना परेशान हो चुका है कि सड़कों पर उतर आया है.