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अंधविश्वास के चलते ग्रामीणों ने एक परिवार को किया बहिष्कृत, प्रशासन ने किया हस्तक्षेप - लीखावाड़ी गांव में एक परिवार को किया बहिष्कृत

छिंदवाड़ा जिले की परासिया तहसील के लीखावाड़ी गांव के परिवार के पांच लोगों को बीमार होने की वजह से ग्रामीणों ने उनका बहिष्कार कर दिया. मामले की जानकारी मिलने के बाद प्रशासन ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए उनका इलाज कराए जाने की व्यवस्था की है.

लीखावाड़ी गांव
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Published : Sep 4, 2019, 11:58 PM IST

छिंदवाड़ा। जिले के लीखावाड़ी गांव से अंधविश्वास का एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. जहां बीमारी से पीड़ित एक परिवार को गांव के लोगों ने उसे बहिष्कृत कर दिया. हालांकि प्रशासन ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए उनका इलाज कराए जाने की व्यवस्था की है.

बीमारी के चलते एक परिवार को किया गया बहिष्कृत

लीखावाड़ी गांव में एक ही परिवार के पांच लोग अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित हैं. जिनमें 55 साल की एक वृद्धा तुलसा बाई लंबे समय से बेडशूल से गृसित है. जिससे उनके शरीर में घाव पड़ गए हैं. घावों में कीड़े लगने से बह गंभीर बीमारी से जूझ रही है. लेकिन ग्रामीणों ने इसे देवी का प्रकोप मानते हुए पूरे परिवार को ही बहिष्कृत कर दिया. ग्रामीणों कहना है कि धार्मिक और पड़िहार की मान्यताओं के अनुसार शुद्धिकरण करने के बाद ही उन्हें समाज में मिलाया जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में 15 साल में यह इस तरह की यह तीसरी घटना है.

प्रशासन ने किया हस्तक्षेप
मामले की जानकारी लगते ही परासिया तहसीलदार वीर बीएम धुर्वे और डॉक्टर सुधा बक्शी मौके पर पहुंची. जहां उन्होंने पीड़ितों को इलाज के लिए अस्पताल में भिजवाया है. डॉ. सुधा बक्शी ने कहा कि अगर पीड़ितों का इलाज ठीक से कराया गया होता तो इतनी बड़ी बीमारी नहीं बनती. लेकिन उनका इलाज शुरु करवा दिया गया है. जिससे वे जल्द ही ठीक हो जाएगे.

छिंदवाड़ा। जिले के लीखावाड़ी गांव से अंधविश्वास का एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. जहां बीमारी से पीड़ित एक परिवार को गांव के लोगों ने उसे बहिष्कृत कर दिया. हालांकि प्रशासन ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए उनका इलाज कराए जाने की व्यवस्था की है.

बीमारी के चलते एक परिवार को किया गया बहिष्कृत

लीखावाड़ी गांव में एक ही परिवार के पांच लोग अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित हैं. जिनमें 55 साल की एक वृद्धा तुलसा बाई लंबे समय से बेडशूल से गृसित है. जिससे उनके शरीर में घाव पड़ गए हैं. घावों में कीड़े लगने से बह गंभीर बीमारी से जूझ रही है. लेकिन ग्रामीणों ने इसे देवी का प्रकोप मानते हुए पूरे परिवार को ही बहिष्कृत कर दिया. ग्रामीणों कहना है कि धार्मिक और पड़िहार की मान्यताओं के अनुसार शुद्धिकरण करने के बाद ही उन्हें समाज में मिलाया जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में 15 साल में यह इस तरह की यह तीसरी घटना है.

प्रशासन ने किया हस्तक्षेप
मामले की जानकारी लगते ही परासिया तहसीलदार वीर बीएम धुर्वे और डॉक्टर सुधा बक्शी मौके पर पहुंची. जहां उन्होंने पीड़ितों को इलाज के लिए अस्पताल में भिजवाया है. डॉ. सुधा बक्शी ने कहा कि अगर पीड़ितों का इलाज ठीक से कराया गया होता तो इतनी बड़ी बीमारी नहीं बनती. लेकिन उनका इलाज शुरु करवा दिया गया है. जिससे वे जल्द ही ठीक हो जाएगे.

Intro:छिंदवाड़ा । आपको यदि कोई लगतार कई दिनों तक एक ही कमरे मैं बंद करके रखा जाए और बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए तो आप पर क्या बीतेगी परन्तु एक ऐसा ही अजीबोगरीब और गंभीर मामला सामने आया है जहा ग्रामीणों ने एक परिवार के 5 सदस्यों को बीमारी होने के चलते घर से बाहर निकलने का फरमान जारी कर दिया है।

       

      Body:छिंदवाड़ा जिले के परासिया क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम लीखावाड़ी गाँव मैं एक ही परिवार की बुजुर्ग,उसकी पत्नी, बहु और नाती व नातिन के एक साथ बीमार होने पर गाँव के लोगो ने अघोषित बहिष्कार का एलान कर दिया है परिवार के एक पुरुष को छोड़कर सभी सदस्यों को घर से बाहर निकलने का फरमान जारी कर दिया है सामजिक निर्णय के अनुसार अब परिवार के लोगो को धार्मिक और पड़िहार की मान्यताओं के अनुसार शुद्धिकरण करने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
जाँच मैं सामने आया की लीखावाड़ी निवासी केवल यदुवंशी उम्र 60 वर्ष जिन्हे दमा सांस की बीमारी है उनकी पत्नी 55 वर्षीय वृद्धा तुलसा बाई लम्बे समय से बिस्तर पर सोये होने के कारण बेडशूल से पीड़ित है और वृद्धा के शरीर और घाव मैं कीड़े पड़ गए थे वही केवल का नाती एवं नातिन सहित बहु को भी गंभीर बीमारी ने पकड़ लिया था जिसके बाद दोनों बच्चो का इलाज निजी हॉस्पिटल मैं चल रहा है। 

समाज मानता है दैवीय प्रकोप

वही इस क्षेत्र मैं यदुवंशी समाज के लोग ज्यादा निवास करते है जिनका कहना है की यह देवता का प्रकोप है इसलिए उन्हें अंदर बंद कमरे मैं रखा जाए और इनका मुँह न देखे समाज का पडिहार आकर स्वयं गेट खोलेगा और बुजुर्ग का नदी मैं जाकर शुद्धिकरण किया जायेगा ।

प्रशासन ने किया हस्तक्षेप
खबर लगते ही परासिया के तहसीलदार वीर बीएम दुर्वे एवं डॉ सुधा बक्शी मौके पर पहुंची और जानकारी ली गई पीड़ितों को देखा गया और इलाज के लिए परिजनों को अस्पताल भिजवाने की समझाइश और मरीजों को हवा मैं रहने की समझईश दी गई है। Conclusion:ग्रामीणों का कहना है कि गाँव में 15 साल मैं तीसरी घटना है वृद्धा का शुद्धिकरण नहीं होने तक सभी धार्मिक आयोजन स्थगित रहेंगे गाँव के मंदिर मैं सुबह शाम आरती भी नहीं होगी ।



बाइट - 1 - वीर बीएम धुर्वे ,तहसीलदार (पीली शर्ट)
बाइट - 2 - डॉ सुधा बक्शी ( परासिया )
बाइट - 3 - राम यदुवशी ,परिजन ( इनर में)
बाइट - 4 - केवलराम,मुखिया चेक शर्ट में
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