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बैंक ने 'लुटाई' किसानों की गाढ़ी कमाई, मदद के लिए हाथ फैला रहा अन्नदाता

छिंदवाड़ा में किसानों को बैंक से उनकी ही जमा पूंजी गायब हो गई और जररूरत के लिए जमा की गई रकम ही किसानों को उनकी जरूरत के समय नहीं मिल रही है, जिसके चलते उन्हें मुसीबत में दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है.

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जमा पूंजी के लिए परेशान किसान
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Published : Aug 11, 2020, 5:23 PM IST

छिंदवाड़ा। गर्मी की चिलचिलाती धूप हो या जाड़े की सर्द रात, दिन-रात खेतों में कड़ी मेहनत कर पाई-पाई जोड़ी गई पूंजी को किसानों ने बैंक में जमा कराई थी. इस पूंजी को किसानों ने संकट के दौर से उबरने के लिए सहेज कर रखा था, ताकि मुश्किल दौर में उन्हें किसी के सामने हाथ न फैलाने पड़े, लेकिन बैंक कर्मचारियों ने किसानों की कमाई पर डाका डाल दिया और देखते ही देखते किसानों की पूरी कमाई भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. अब किसान अपने ही पैसे के लिए प्रशासन से गुहार लगाते चक्कर काट रहे हैं.

जमा पूंजी के लिए परेशान किसान

ये मामला है पांढुर्ना विकास खंड के मोरडोंगरी सेवा सहकारी समिति का, जहां संचालित बचत बैंक में किसानों ने पैसे जमा किए थे, लेकिन बैंक के ही कर्मचारियों ने किसानों के खाते से राशि निकाल ली और जब किसान बैंक में अपना पैसा लेने पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनके खाते में पैसा ही नहीं है.

सैकड़ों किसानों का करोड़ों रुपए गायब
जानकारी के मुताबिक सहकारी समिति के करीब 175 से ज्यादा ऐसे किसान हैं, जिनका करोड़ों रुपए गबन हो गया है. किसान बताते हैं कि वे पैसे लेने आ रहे हैं तो उन्हें पैसे नहीं दिए जा रहे हैं. हर बार कोई न कोई बहाना बताकर उन्हें वापस भेज दिया जाता है. कई किसान तो बैंक से पैसा नहीं मिल पाने के कारण कर्ज में डूबते जा रहे हैं. किसानों को इलाज के लिए भी पैसे नहीं मिल रहे हैं. वहीं कोरोना काल में कोई कमाई नहीं हो रही है, ऐसे में उनके पास उनकी जमा-पूंजी ही जीवनयापन का जरिया थी, लेकिन अब तो उन्हें उनके ही पैसों के लिए दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है.

बैंक बंद होने के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई

जैसे ही ये मामला उजागर हुआ तो प्रशासन ने आनन-फानन में बैंक बंद कर दिया, लेकिन बैंक का लिपिक आज भी उसी सेवा सहकारी समिति में काम कर रहा है. किसानों का कहना है कि जब जांच चल रही है तो फिर आरोपी कर्मचारी अब तक सस्पेंड क्यों नहीं हुए. उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई क्यों नहीं हुई.

इलाज और खेती के लिए भी किसानों के पास नहीं हैं पैसे
खुद की मेहनत की कमाई का पैसा बैंक में जमा होने के बाद भी कई ऐसे किसान हैं, जिनके परिवार इन दिनों बीमारी की चपेट में हैं, लेकिन बैंक से पैसा नहीं मिलने के कारण वे दूसरी जगह से कर्ज लेकर इलाज कराने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं खेती में लागत लगाने के लिए भी किसानों को दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है, जबकि उनका खुद का पैसा बचत बैंक में जमा है.

जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान

किसानों का कहना है कि वे कई बार उनके क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से भी इस सिलसिले में मिले और उन्होंने कलेक्टर से लेकर तहसीलदार और SDM से भी गुहार लगाई कि उनका पैसा वापस दिलाया जाए, लेकिन सब लोग जांच का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेते हैं. अब हालात ये हैं कि अगर वे बैंक में पैसा मांगने जाते हैं तो उन्हें पुलिस का डर दिखाकर वापस भेज दिया जाता है.

जांच प्रतिवेदन का इंतजार

सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक का कहना है कि जांच प्रतिवेदन आने वाला है. उसके बाद ही कार्रवाई की जाएगी और फिर किसानों को उनका पैसा वापस मिल सकेगा. समिति प्रबंधक भले ही किसानों को जल्द पैसे मिलने की बात कह रहे हैं, लेकिन जरूरत के लिए जमा किए पैसे किसानों को जरूरत पर ही नहीं मिल रहे, ऐसे में किसान साहूकारों से कर्ज लेने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन में खत्म हुए करोड़ों रोजगार, व्यापारियों को 40 से 50 हजार करोड़ का हुआ नुकसान

छिंदवाड़ा। गर्मी की चिलचिलाती धूप हो या जाड़े की सर्द रात, दिन-रात खेतों में कड़ी मेहनत कर पाई-पाई जोड़ी गई पूंजी को किसानों ने बैंक में जमा कराई थी. इस पूंजी को किसानों ने संकट के दौर से उबरने के लिए सहेज कर रखा था, ताकि मुश्किल दौर में उन्हें किसी के सामने हाथ न फैलाने पड़े, लेकिन बैंक कर्मचारियों ने किसानों की कमाई पर डाका डाल दिया और देखते ही देखते किसानों की पूरी कमाई भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. अब किसान अपने ही पैसे के लिए प्रशासन से गुहार लगाते चक्कर काट रहे हैं.

जमा पूंजी के लिए परेशान किसान

ये मामला है पांढुर्ना विकास खंड के मोरडोंगरी सेवा सहकारी समिति का, जहां संचालित बचत बैंक में किसानों ने पैसे जमा किए थे, लेकिन बैंक के ही कर्मचारियों ने किसानों के खाते से राशि निकाल ली और जब किसान बैंक में अपना पैसा लेने पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनके खाते में पैसा ही नहीं है.

सैकड़ों किसानों का करोड़ों रुपए गायब
जानकारी के मुताबिक सहकारी समिति के करीब 175 से ज्यादा ऐसे किसान हैं, जिनका करोड़ों रुपए गबन हो गया है. किसान बताते हैं कि वे पैसे लेने आ रहे हैं तो उन्हें पैसे नहीं दिए जा रहे हैं. हर बार कोई न कोई बहाना बताकर उन्हें वापस भेज दिया जाता है. कई किसान तो बैंक से पैसा नहीं मिल पाने के कारण कर्ज में डूबते जा रहे हैं. किसानों को इलाज के लिए भी पैसे नहीं मिल रहे हैं. वहीं कोरोना काल में कोई कमाई नहीं हो रही है, ऐसे में उनके पास उनकी जमा-पूंजी ही जीवनयापन का जरिया थी, लेकिन अब तो उन्हें उनके ही पैसों के लिए दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है.

बैंक बंद होने के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई

जैसे ही ये मामला उजागर हुआ तो प्रशासन ने आनन-फानन में बैंक बंद कर दिया, लेकिन बैंक का लिपिक आज भी उसी सेवा सहकारी समिति में काम कर रहा है. किसानों का कहना है कि जब जांच चल रही है तो फिर आरोपी कर्मचारी अब तक सस्पेंड क्यों नहीं हुए. उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई क्यों नहीं हुई.

इलाज और खेती के लिए भी किसानों के पास नहीं हैं पैसे
खुद की मेहनत की कमाई का पैसा बैंक में जमा होने के बाद भी कई ऐसे किसान हैं, जिनके परिवार इन दिनों बीमारी की चपेट में हैं, लेकिन बैंक से पैसा नहीं मिलने के कारण वे दूसरी जगह से कर्ज लेकर इलाज कराने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं खेती में लागत लगाने के लिए भी किसानों को दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है, जबकि उनका खुद का पैसा बचत बैंक में जमा है.

जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान

किसानों का कहना है कि वे कई बार उनके क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से भी इस सिलसिले में मिले और उन्होंने कलेक्टर से लेकर तहसीलदार और SDM से भी गुहार लगाई कि उनका पैसा वापस दिलाया जाए, लेकिन सब लोग जांच का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेते हैं. अब हालात ये हैं कि अगर वे बैंक में पैसा मांगने जाते हैं तो उन्हें पुलिस का डर दिखाकर वापस भेज दिया जाता है.

जांच प्रतिवेदन का इंतजार

सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक का कहना है कि जांच प्रतिवेदन आने वाला है. उसके बाद ही कार्रवाई की जाएगी और फिर किसानों को उनका पैसा वापस मिल सकेगा. समिति प्रबंधक भले ही किसानों को जल्द पैसे मिलने की बात कह रहे हैं, लेकिन जरूरत के लिए जमा किए पैसे किसानों को जरूरत पर ही नहीं मिल रहे, ऐसे में किसान साहूकारों से कर्ज लेने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन में खत्म हुए करोड़ों रोजगार, व्यापारियों को 40 से 50 हजार करोड़ का हुआ नुकसान

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