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सफेद सोने पर लाल्या रोग का प्रभाव, किसान हो रहे परेशान, कृषि वैज्ञानिक ने बताए उपाय

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Published : Dec 10, 2021, 2:17 PM IST

किसानों की कपास की फसल को लेकर चिंता बढ़ गई है. सौंसर और पांढुर्ना में कपास की फसल का रकबा प्रतिवर्ष बढ़ता है, लेकिन इस बार बदलते मौसम की वजह से किसान अपनी कपास की फसल को लेकर परेशान नजर आ रहे हैं, वहीं इसको लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने कई उपाय बताए हैं.

lalya disease on cotton
सफेद सोने पर लाल्या रोग का प्रभाव

छिंदवाड़ा। जिले में इस साल कपास का अधिक उत्पादन देखने को मिल रहा है, लेकिन मौसम परिवर्तन होने से कपास पर लाल्या रोग आ रहा है, जो अब फसल को चौपट कर रहा है. सौसर और पांढुर्णा के क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान कपास का उत्पादन करते हैं. लाल्या रोग आने से किसानों में चिंता की लहर दौड़ उठी है. लाल्या रोग का सीधा असर कपास की उत्पादन क्षमता पर पड़ रहा है.

chindwara cotton crop
कपास की फसल

कपास की खेती पर लाल्या रोग का कहर

छिंदवाड़ा जिले के सौसर और पांढुर्णा क्षेत्र में कपास की खेती बड़े स्तर पर की जाती है, जिससे किसान कपास की पैदावार कर अपने परिवार का भरण पोषण करता हैं. वहीं मौसम परिवर्तन होने के कारण अब किसानों के माथे पर चिंता की लकीर दिखाई देने लगी है. मौैसम में जैसे ही बदलाव आ रहे हैं वैसे ही किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. बता दें की इस बार सौसर क्षेत्र में लगभग 30 हजार हेक्टेयर में कपास की बोनी की गई है.

लाल्या रोग के कारण और लक्षण

लाल्या रोग लगने से पत्तियां लाल रंग की हो जाती हैं जिसके कारण पौधा अपने आप सूखने लगता है. पत्तियों के नीचे चिपचिपा पदार्थ और इल्लियां लगी रहती हैं जिसके कारण पत्तियों का रंग लाल होने लगता है. इसके होने का मुख्य कारण अधिक मात्रा में असीमित खाद का उपयोग करना और पानी का अधिक भराव हो जाना या पानी का खेत से नहीं निकल पाना या फिर मौसम परिवर्तन का भी प्रभाव होता है.

cotton in 30 thousand hectares
30 हजार हेक्टेयर में कपास की फसल

प्राइवेट हेलिकॉप्टर में वेडिंग वेन्यू से रवाना हुए कैटरीना-विक्की, हनीमून पर जा रहा कपल?

फसल बर्बाद को लेकर किसानों का दर्द

किसानों ने बताया कि वह अपनी मेहनत से खेतों में कपास की फसल उगाते हैं, प्राकृतिक आपदा का कहर फसलों पर पड़ा है जिसके कारण फसल बर्बाद हुई. आपदा के बाद भी जो थोड़ी बहुत फसल बची है तो अब यह लाल्या रोग किसानों की कमर तोड़ रहा है ,यह रोग लग जाने के कारण हमारी फसल की उत्पादन क्षमता पर काफी प्रभाव पड़ा है.

कृषि वैज्ञानिक ने बताए उपाय
कृषि वैज्ञानिक विजय कुमार पराड़कर ने बताया कि लाल्या रोग का मुख्य कारण अधिक यूरिया का उपयोग और पानी की खेतों से निकासी ना होना है. इससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण होने की प्रक्रिया रुक जाती है और पौधा पनप नहीं पाता, रोकथाम के लिए कीट नियंत्रण दवाई, जल निकासी की व्यवस्था, कार्बन डाइजेनिक दवाई का 1 ग्राम का छिड़काव फसल पर करें. 1 किलो डीएपी को रात को भिगोकर रख दें और छिड़काव करें जिससे इस रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है, यह छिड़काव पौधे में पत्ती से लेकर जड़ों तक किया जाए.

छिंदवाड़ा। जिले में इस साल कपास का अधिक उत्पादन देखने को मिल रहा है, लेकिन मौसम परिवर्तन होने से कपास पर लाल्या रोग आ रहा है, जो अब फसल को चौपट कर रहा है. सौसर और पांढुर्णा के क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान कपास का उत्पादन करते हैं. लाल्या रोग आने से किसानों में चिंता की लहर दौड़ उठी है. लाल्या रोग का सीधा असर कपास की उत्पादन क्षमता पर पड़ रहा है.

chindwara cotton crop
कपास की फसल

कपास की खेती पर लाल्या रोग का कहर

छिंदवाड़ा जिले के सौसर और पांढुर्णा क्षेत्र में कपास की खेती बड़े स्तर पर की जाती है, जिससे किसान कपास की पैदावार कर अपने परिवार का भरण पोषण करता हैं. वहीं मौसम परिवर्तन होने के कारण अब किसानों के माथे पर चिंता की लकीर दिखाई देने लगी है. मौैसम में जैसे ही बदलाव आ रहे हैं वैसे ही किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. बता दें की इस बार सौसर क्षेत्र में लगभग 30 हजार हेक्टेयर में कपास की बोनी की गई है.

लाल्या रोग के कारण और लक्षण

लाल्या रोग लगने से पत्तियां लाल रंग की हो जाती हैं जिसके कारण पौधा अपने आप सूखने लगता है. पत्तियों के नीचे चिपचिपा पदार्थ और इल्लियां लगी रहती हैं जिसके कारण पत्तियों का रंग लाल होने लगता है. इसके होने का मुख्य कारण अधिक मात्रा में असीमित खाद का उपयोग करना और पानी का अधिक भराव हो जाना या पानी का खेत से नहीं निकल पाना या फिर मौसम परिवर्तन का भी प्रभाव होता है.

cotton in 30 thousand hectares
30 हजार हेक्टेयर में कपास की फसल

प्राइवेट हेलिकॉप्टर में वेडिंग वेन्यू से रवाना हुए कैटरीना-विक्की, हनीमून पर जा रहा कपल?

फसल बर्बाद को लेकर किसानों का दर्द

किसानों ने बताया कि वह अपनी मेहनत से खेतों में कपास की फसल उगाते हैं, प्राकृतिक आपदा का कहर फसलों पर पड़ा है जिसके कारण फसल बर्बाद हुई. आपदा के बाद भी जो थोड़ी बहुत फसल बची है तो अब यह लाल्या रोग किसानों की कमर तोड़ रहा है ,यह रोग लग जाने के कारण हमारी फसल की उत्पादन क्षमता पर काफी प्रभाव पड़ा है.

कृषि वैज्ञानिक ने बताए उपाय
कृषि वैज्ञानिक विजय कुमार पराड़कर ने बताया कि लाल्या रोग का मुख्य कारण अधिक यूरिया का उपयोग और पानी की खेतों से निकासी ना होना है. इससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण होने की प्रक्रिया रुक जाती है और पौधा पनप नहीं पाता, रोकथाम के लिए कीट नियंत्रण दवाई, जल निकासी की व्यवस्था, कार्बन डाइजेनिक दवाई का 1 ग्राम का छिड़काव फसल पर करें. 1 किलो डीएपी को रात को भिगोकर रख दें और छिड़काव करें जिससे इस रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है, यह छिड़काव पौधे में पत्ती से लेकर जड़ों तक किया जाए.

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