छिंदवाड़ा। सोयाबीन, मक्का और सब्जी का रिकार्ड उत्पादन करने वाले छिंदवाड़ा जिले के किसान अब दूध उत्पादन में जबरदस्त रुचि ले रहे हैं. देश में जहां दूध उत्पादन में आई गिरावट दर्ज की जा रही है, वहीं छिंदवाड़ा जिला अपनी जरूरत से दोगुना दूध का उत्पादन कर पड़ोसी जिलों में आपूर्ति का भागीदार बन रहा है. इसके लिए किसान न केवल उन्नत नस्ल की गाय भैंस पाल रहे हैं बल्कि उन्नत किस्म के चारा का उत्पादन भी कर रहे हैं.
उन्नत नस्ल के पशु पालन का बढ़ा रुझान
किसान न केवल उन्नत नस्ल की गाय,भैंस पाल रहे हैं बल्कि उन्नत किस्म के चारा का उत्पादन भी कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार जिले में बीते पांच सालों में दूध का उत्पादन लगातार बढ़ा है. गौवंश पालन का बढ़ना, डेयरी क्षेत्र में युवाओं का रुझान , उत्पादकों को अच्छी कीमत मिलने का एक बड़ा कारण है कि जिले में दूध का उत्पादन साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है. सबसे अहम बात यह है कि अन्य जिलों में दूध का उत्पादन भैस वंश पर आश्रित है.
- 7 लाख 12 हजार 157 गोवंश.
- 1 लाख 67 हजार 74 भैंस.
- 2 लाख 2 हजर 95 गाय (दुधारू व शुष्क).
- 77 हजार 11 भैंस ( शुष्क व दुधारू)
- 86 हजार लीटर प्रतिदिन दूध का उत्पादन.
जिले के इन गांवों में सबसे ज्यादा उत्पादन
जिले के बिछुआ, खमरपानी, उमरानला सांवरी, गोरखपुर, बदबूर, कामठी चारणांव जूनपानी खंसवाड़ा, उमरेठ , अमरवाड़ा इलाके में सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन हो रहा है.
डेयरी रोजाना खपत( लीटर में ) - सांची 4,500
- अमूल 700
- हल्दीराम 3000
- दिनशा 6000
- मदर डेयरी 4000
- बृज 2000
पैकेट दूध के खपत जिले में 20 हजार लीटर
दुग्ध संयत्र अधिकारी जेके जोरी ने बताया कि जिले में सांची दूध के अलावा अन्य कंपनियां करीब 20 हजार लीटर दूध का प्रतिदिन कलेक्शन करती हैं. सांची भी करीब 9 हजार लीटर का कलेक्शन करती है, जबकि पैकेट दूध की खपत 4,500 लीटर रोजाना है तो वहीं एक्सपर्ट डेयरी संचालक कैलाश राव का कहना है कि बारिश के महीने में गौवंश का प्रजनन काल होता है. वर्तमान में 30 से 40 प्रतिशत गोवंश का गर्भकाल चल रहा है. आने वाले 2 से 3 महीने में दूध का उत्पादन ज्यादा बढ़ जाएगा. वैसे तो दूध के उत्पादन का आंकलन अप्रैल-मई के माह में ही सटीक ढंग से किया जा सकता है.(Chhindwara Milk production, Chhindwara News)