छिन्दवाड़ा। गुरुकुल से लेकर संस्कृत महाविद्यालय और त्रेता युग से हनुमानजी की अलग-अलग कहानियों का सुंदर चित्रण, ये अदभुत नजारा आपको विश्व प्रसिद्ध जामसांवली हनुमान मंदिर में नजर आएगा. महाकाल लोक की तर्ज पर सौंसर के जामसांवली मंदिर को भी हनुमान लोक के रूप में विकसित किया जाएगा. 314 करोड़ की लागत से बनने वाले इस हनुमान लोक में तमाम सुविधाएं मौजूद रहेंगी. एक साथ हजारों हनुमान भक्त दर्शन कर सकेंगे.
ऐसा होगा हनुमान लोक: 24 अगस्त को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सौंसर में बनने वाले हनुमान लोक का भूमिपूजन करने आ रहे हैं. हनुमान लोक का स्वरूप राज्य सरकार द्वारा बनाए गए प्रस्तावित मास्टर प्लान में 19 बिंदुओं पर आधारित रहेगा. गुरुकुल और संस्कृत महाविद्यालय बनाए जाने की प्लॉनिंग तैयार की गई है. इसके अलावा मूर्तिकला, पेंटिंग और कलाकृतियों के माध्यम से त्रेता युग से हनुमानजी की कहानियों का चित्रण किया जाएगा. इसके अलावा हनुमानजी के किष्किंधा जन्मस्थान का चित्रण, उनके बचपन की कहानियां और सूर्यदेव की कहानियों को दर्शाया जाएगा.
साढ़े 26 एकड़ में बनेगा परिसर: मुख्य प्रवेश मराठावाड़ा वास्तुकला से प्रेरित है तथा प्रवेश द्वार से मंदिर तक लगभग 500 मीटर लंबा चिरंजीवी पथ का निर्माण प्रस्तावित है. इस भवन में ट्रस्ट ऑफिस, कम्युनिटी सेंटर, जन सुविधायें, टिकट काउंटर, कंट्रोल रूम, इत्यादि प्रस्तावित हैं. जिसका क्षेत्रफल लगभग 37 हजार वर्गफुट है. लगभग 5 हजार वर्गफुट क्षेत्रफल में आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण प्रस्तावित हैं. रामलीला एवं अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए लगभग 12 हजार वर्गफुट का ओपन एयर थियेटर तैयार किया जा रहा है जो कि जलाशय के किनारे पर प्रस्तावित है. प्रसाद, पूजन सामग्री, माला/हार एवं भोजन व्यवस्था के लिए लगभग 120 पक्की दुकानों का निर्माण प्रस्तावित है.
मंदिर के समीप बहने वाली बरसाती नदी का सौंदर्यीकरण किया जाना प्रस्तावित है. हनुमान लोक के मुख्य प्रवेश द्वार से प्रथम प्रांगण में श्री हनुमान की बालरूप कलाओं (चिरंजीवी पथ) का चित्रण एवं कलाकृतियों के माध्यम से होगा. ये लगभग 90 हजार वर्गफुट क्षेत्र में किया जाएगा. द्वितीय प्रांगण में हनुमान जी के भक्ति रूप का चित्रण मूर्तियां एवं कलाकृतियों के माध्यम होगा. ये लगभग 62 हजार वर्गफुट में विकसित किया जाएगा.
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पर्यटन हब के रूप में विकसित होगा क्षेत्र: सौंसर क्षेत्र धार्मिक पर्यटन हब के रूप में विकसित होगा. महाकाल लोक की तरह यहां भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आएंगे. क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा. पर्यटन हब बनने से होटल सहित अन्य सुविधाएं यहां बढ़ेंगी. श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से ट्रेवल टूरिस्ट इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिलेगा. गुरुकुल, संस्कृत महाविद्यालय, अष्टसिद्धी केंद्र और योगशाला के शुरू होने से धार्मिक शिक्षा केंद्र जिले में खुलेंगे जिसकी अभी तक कमी है.