छिंदवाड़ा। साढ़े 3 सालों से बांध निर्माण स्थल के पास धरना दे रहे मोहगांव जलाशय के पीड़ित किसान शुक्रवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. कलेक्टर से मिलने की जिद को लेकर रात में महिलाएं बच्चे समेत धरने पर बैठे रहे. किसानों को मनाने के लिए एडीएम, एसडीएम सहित पुलिस का अमला पहुंचा लेकिन किसान कलेक्टर से मुलाकात की जिद पर अड़े रहे.
कलेक्टर छुट्टी पर, देर रात एडीएम पहुंचे मनाने: दरअसल छिंदवाड़ा कलेक्टर शीतला पटले छुट्टी पर थीं. किसानों से बात करने के लिए एडीएम ओमप्रकाश सनोडिया, एसडीएम अतुल सिंह, कोतवाली थाना टीआई सुमेर सिंह जागेत मौके पर पहुंचे. लेकिन किसानों का कहना था कि वह कलेक्टर से ही मुलाकात कर अपनी बात करेंगे. इस दौरान एसडीएम ने किसानों से चर्चा करते हुए कहा कि ''कलेक्टर मैडम छुट्टी पर हैं, जैसे ही मैडम वापस आएंगी वे सभी किसानों को कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में बैठाकर कलेक्टर मैडम से व्यक्तिगत चर्चा करवा देंगे.'' लेकिन किसानों का कहना था कि ''वे पिछले साढ़े 3 सालों से परेशान हैं अब उनके पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह बार-बार मोहगांव से छिंदवाड़ा तक पहुंच सकें. इसलिए कलेक्टर कार्यालय के सामने ही अनिश्चितकालीन धरना देंगे.''
इसलिए किसान कर रहे आंदोलन: सौसर विधानसभा के मोहगांव जलाशय का निर्माण प्रस्तावित किया गया था. 2013 में जमीन का अधिग्रहण किया गया लेकिन मनमर्जी मुआवजा दिया गया. किसानों की मांग है कि 2013-14 के नए जमीन अधिग्रहण कानून के हिसाब से उनकी जमीन का मुआवजा दिया जाए, तभी बांध का काम आगे करने देंगे. फिलहाल अभी बांध का काम रुका हुआ है.
साढ़े 3 सालों से लगातार जारी है आंदोलन: पिछले साढ़े तीन सालों से किसान लगातार धरना स्थल पर ही आंदोलन कर रहे हैं. पहले धरना 6- 6 घंटे दिन में होता था लेकिन इसके बाद भी जब सरकार ने किसानों की बात नहीं सुनी तो अब किसानों ने बांध निर्माण स्थल पर ही तंबू लगाकर धरना शुरू कर दिया है. किसानों का खाना और सोना भी वहीं पर हो रहा है.
कई बार अधिकारियों को दे चुके हैं ज्ञापन: किसानों ने बताया कि ''उनके पास छिंदवाड़ा पहुंचने के लिए बैलगाड़ी ही एकमात्र साधन है. एक साल पहले सैकड़ों की संख्या में किसान छिंदवाड़ा पहुंचे भी थे. लेकिन बीच रास्ते में ही प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया. उन्होंने कई बार स्थानीय स्तर से लेकर जिला स्तर तक अपने आवेदन दिए, लेकिन अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है.''
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प्राण त्यागने की चेतावनी: किसानों का कहना है कि ''जब तक सरकार उनकी मांग पूरी नहीं करेगी तब तक वह आंदोलन करते रहेंगे. अगर जरूरत पड़ी तो वे धरना स्थल पर ही अपने प्राण दे देंगे, लेकिन आंदोलन खत्म नहीं करेंगे.'' मानसूनी बारिश के बीच भी बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चों के साथ कलेक्टर कार्यालय के सामने रात में धरना देते रहे हैं.
आदिवासियों की नहीं सुन रही सरकार: किसानों का कहना है कि ''साढ़े तीन सालों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं लेकिन आदिवासी और ग्रामीण इलाका होने के चलते शायद प्रशासन और सरकार तक उनकी आवाज नहीं पहुंच रही है. उन्होंने जनप्रतिनिधियों को भी अपनी मांगों से अवगत कराया है. लेकिन जनप्रतिनिधि भी सिर्फ आश्वासन देते नजर आते हैं.'' लगातार मॉनसूनी बारिश के बीच महिलाओं समेत अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर किसान धरना दे रहे हैं. किसानों का कहना है कि साल 2018 से हम आंदोलन कर रहे हैं लेकिन अनिश्चितकालीन धरना उनका जनवरी 2020 से शुरू हुआ.