छिंदवाड़ा। अतिवृष्टि के चलते पहले ही बर्बाद हो चुका किसान अब शिवराज सरकार की योजनाओं के चलते बर्बादी की कगार पर पहुंच रहा है. दरअसल खरीफ की फसल के लिए पंजीयन शुरू हो गया है लेकिन मक्के की फसल का पंजीयन सरकार ने बंद कर दिया है. मध्यप्रदेश में सर्वाधिक मक्के का उत्पादन छिंदवाड़ा जिले में किया जाता है. इस बार जिले में करीब 2 लाख 60 हेक्टेयर जमीन में मक्का लगाया गया था, लेकिन बारिश के चलते काफी फसल बर्बाद हुई है, और अब समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए पंजीयन नहीं हो रहा, जिससे किसान परेशान हैं.
केंद्र ने तय किया समर्थन मूल्य, लेकिन नहीं होगी खरीदी: केंद्र सरकार ने मक्के का समर्थन मूल्य 1962 रुपये तय किया है, लेकिन मध्यप्रदेश में खरीदी के लिए कोई योजना नहीं है. इसलिए खरीफ में धान, सोयाबीन, ज्वार और बाजरा की फसलों का पंजीयन हो रहा है, लेकिन मक्के की फसल का पंजीयन नहीं हुआ.
छिंदवाड़ा जिले में प्रति एकड़ मक्के का उत्पादन 25 से 30 क्विंटल होता था, लेकिन अतिवृष्टि और मौसम की मार के चलते इस बार उपज 10 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ ही हुई है जिसके चलते किसानों के सामने अब आर्थिक संकट खड़ा हो रहा है.
छिंदवाड़ा को कॉर्न सिटी का तमगा, लेकिन अब परेशान हैं अन्नदाता: साल 2018 में छिंदवाड़ा में देश का इकलौता कॉर्न फेस्टिवल हुआ था. उसी समय से छिंदवाड़ा को कॉर्न सिटी का तमगा मिला था. लेकिन कॉर्न सिटी का तमगा दिलाने वाला अन्नदाता अब अपनी उपज बेचने के लिए दर-दर भटक रहा है.
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