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ऑपरेशन के लिए दिनभर इंतजार करते रहे मरीज, शाम को पता चला कि डॉक्टर छुट्टी पर हैं

छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. दरअसल करीब 40 महिलाएं नसबंदी के लिए पहुंची थीं, अस्पताल सारी प्रक्रिया पूरी करता रहा. कई घंटों बाद पता चला की डॉक्टर तो छुट्टी पर हैं.

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ऑपरेशन के लिए दिनभर इंतजार करते रहे मरीज
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Published : Dec 16, 2019, 11:51 PM IST

छिन्दवाड़ा। मुख्यमंत्री कमलनाथ भले ही छिंदवाड़ा में दूसरे प्रदेशों से आए मरीजों के इलाज कराने का दावा करते हों, लेकिन हकीकत में उनके ही शहर के मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. मामला नसबंदी शिविर का है, जहां जिला अस्पताल में दिनभर इंतजार करने के बाद पता चलता है कि ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर तो छुट्टी पर हैं.

ऑपरेशन के लिए दिनभर इंतजार करते रहे मरीज


दरअसल जिला अस्पताल में हर सोमवार को नसबंदी शिविर लगाया जाता है, जिसके चलते जिलेभर से नसबंदी कराने वाले लोग यहां आते हैं. इस सोमवार को भी करीब 40 महिलाएं नसबंदी कराने के लिए जिला अस्पताल पहुंची थीं. अस्पताल प्रबंधन ने बकायदा उनका रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरवाया और टोकन नंबर भी दिया, लेकिन जब काफी देर तक डॉक्टर नहीं आए तो लोगों ने इसकी शिकायत अस्पताल प्रबंधन से की. शिकायत करने के बाद पता चला कि ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर तो छुट्टी पर हैं.


नसबंदी के लिए जिले में एकमात्र सर्जन
इस मामले में ईटीवी भारत ने सिविल सर्जन से बात की तो उन्होंने बताया कि जिले भर में नसबंदी का ऑपरेशन करने वाले एकमात्र डॉक्टर हैं, जो छुट्टी पर हैं. सवाल यह उठता है कि जब डॉक्टर छुट्टी पर थे, तो फिर मरीजों को सुबह से बैठाकर सारी प्रक्रिया क्यों पूरी कराई गई.


दिनभर भूखे-प्यासे परेशान होते रहे मरीज
बता दें कि नसबंदी के लिए मरीजों को खाली पेट रहना पड़ता है. जिसके चलते सभी मरीज सुबह से खाली पेट ऑपरेशन का इंतजार कर रहे थे. प्रबंधन की बदइंतजामी के चलते करीब 40 मरीज दिन भर भूखे-प्यास से परेशान होते रहे.

छिन्दवाड़ा। मुख्यमंत्री कमलनाथ भले ही छिंदवाड़ा में दूसरे प्रदेशों से आए मरीजों के इलाज कराने का दावा करते हों, लेकिन हकीकत में उनके ही शहर के मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. मामला नसबंदी शिविर का है, जहां जिला अस्पताल में दिनभर इंतजार करने के बाद पता चलता है कि ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर तो छुट्टी पर हैं.

ऑपरेशन के लिए दिनभर इंतजार करते रहे मरीज


दरअसल जिला अस्पताल में हर सोमवार को नसबंदी शिविर लगाया जाता है, जिसके चलते जिलेभर से नसबंदी कराने वाले लोग यहां आते हैं. इस सोमवार को भी करीब 40 महिलाएं नसबंदी कराने के लिए जिला अस्पताल पहुंची थीं. अस्पताल प्रबंधन ने बकायदा उनका रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरवाया और टोकन नंबर भी दिया, लेकिन जब काफी देर तक डॉक्टर नहीं आए तो लोगों ने इसकी शिकायत अस्पताल प्रबंधन से की. शिकायत करने के बाद पता चला कि ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर तो छुट्टी पर हैं.


नसबंदी के लिए जिले में एकमात्र सर्जन
इस मामले में ईटीवी भारत ने सिविल सर्जन से बात की तो उन्होंने बताया कि जिले भर में नसबंदी का ऑपरेशन करने वाले एकमात्र डॉक्टर हैं, जो छुट्टी पर हैं. सवाल यह उठता है कि जब डॉक्टर छुट्टी पर थे, तो फिर मरीजों को सुबह से बैठाकर सारी प्रक्रिया क्यों पूरी कराई गई.


दिनभर भूखे-प्यासे परेशान होते रहे मरीज
बता दें कि नसबंदी के लिए मरीजों को खाली पेट रहना पड़ता है. जिसके चलते सभी मरीज सुबह से खाली पेट ऑपरेशन का इंतजार कर रहे थे. प्रबंधन की बदइंतजामी के चलते करीब 40 मरीज दिन भर भूखे-प्यास से परेशान होते रहे.

Intro:छिन्दवाड़ा। भले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंदवाड़ा में दूसरे प्रदेश के मरीजों को बुलाकर इलाज कराने का दावा करते हो लेकिन हकीकत में जिला अस्पताल में उनके ही शहर के मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। मामला नसबंदी शिविर का है।


Body:जिला अस्पताल में हर सोमवार को नसबंदी शिविर लगाया जाता है जिसके चलते जिलेभर से नसबंदी कराने वाले लोग यहां आते हैं सोमवार को भी करीब 40 महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों को लेकर सुबह यहां आई अस्पताल प्रबंधन ने बकायदा उनका रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरवाया और टोकन नंबर भी दिया लेकिन जब काफी देर तक डॉक्टर नहीं आए तो परिजनों ने शिकायत प्रबंधन से की तब पता चला कि ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर तो छुट्टी पर हैं।

नसबन्दी के लिए जिले में एकमात्र सर्जन।
जब इस मामले में ईटीवी भारत ने सिविल सर्जन से बात की तो उन्होंने बताया कि जिले भर में नसबंदी का ऑपरेशन करने वाले एकमात्र डॉक्टर हैं जो छुट्टी पर हैं, सवाल यह उठता है कि जब डॉक्टर छुट्टी पर थे तो फिर मरीजों को सुबह से बैठाकर सारी प्रक्रिया क्यों पूरी कराई गई थी और हंगामा करने के बाद ही जानकारी क्यों लगी कि डॉक्टर छुट्टी पर है।

दिनभर भूखे प्यासे परेशान होते रहे मरीज

नसबंदी ऑपरेशन के लिए मरीजों को खाली पेट रहना पड़ता है जिसके चलते सभी मरीज सुबह से खाली पेट ऑपरेशन का इंतजार कर रहे थे 2 बजे तक जब डॉक्टर नहीं आए तो परिजनों ने इसकी जानकारी ली तो पता चला कि डॉक्टर छुट्टी पर है प्रबंधन की लापरवाही के चलते करीब 40 मरीज दिन भर भूखे प्यास से परेशान होते रहे।




Conclusion:इसी अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ना कहें तो क्या कहें जिले में एकमात्र नसबंदी सर्जन है और वो भी छुट्टी पर है इसके बाद भी जिले भर की महिलाओं को ऑपरेशन के लिए बुलाया गया और उनसे सारी प्रक्रियाएं भी कराई गई जब मरीजों ने हंगामा मचाया तब पता चला है कि डॉक्टर छुट्टी पर है।

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