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माउंट एवरेस्ट पर तिंरगा फहराने वाली भावना पहुंचीं अपने गांव, ढोल नगाड़ों के साथ हुआ जोरदार स्वागत - ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र तामिया की रहने वाली पर्वतारोही भावना डेहरिया ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर देश का परचम लहराया है. भावना की इस उपलब्धि ने जिले ही नहीं बल्कि मप्र का नाम भी ऊंचा कर दिया है. देर रात वह अपने गांव तामिया पहुंची जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ.

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Published : Jun 12, 2019, 5:12 AM IST

छिंदवाड़ा। विश्व में छिंदवाड़ा का नाम रोशन करने वाली भावना डेहरिया अपने गांव तामिया पहुंचीं. जहां लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर यानी माउंट एवरेस्ट पहुंचकर जिले का नाम रोशन करने वाली भावना का स्वागत ढोल नगाड़ों के साथ हुआ.

भावना का कहना है कि उन्हें पर्वतारोही बनने की प्रेरणा तामिया के छोटे-छोटे पहाड़ों से ही मिली थी. वे परिजनों के सहयोग से एवरेस्ट फतह कर पायी हैं. भावना ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को धन्यवाद देते हुए कहा उनके कारण ही उसका सपना पूरा हुआ है. क्योंकि मुख्यमंत्री ने ही उनको 27 लाख की सहायता राशि दी थी.

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र तामिया की रहने वाली पर्वतारोही भावना डेहरिया ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर देश का परचम लहराया है. भावना की इस उपलब्धि ने जिले ही नहीं बल्कि मप्र का नाम भी ऊंचा कर दिया है. भावना ने ये मिशन 3 अप्रैल से शुरू किया था जो 22 मई की सुबह पूरा हो गया. भावना की इस उपलब्धि से जिले सहित पूरे प्रदेश को एक बार फिर गौरवांवित होने का मौका मिला है.

माउंट एवरेस्ट पर तिंरगा फहराने वाली भावना पहुंचीं अपने गांव

तामिया की ब्लाक कॉलोनी में रहने वाले शिक्षक मुन्नालाल डेहरिया और गृहणी उमादेवी डेहरिया की बेटी भावना ने महज 27 साल की उम्र में ये कारनामा कर दिखाया है. भावना ने 3 अप्रैल से नेपाल की संस्था एशियन ट्रेकिंग प्रायवेट लिमिटेड के साथ मिशन माउंट एवरेस्ट शुरू किया था. जिसमें तयशुदा रूट के तहत दिन-प्रतिदिन वे आगे बढ़ती जा रही थीं. 20 मई को आक्सीजन सिलेंडर के साथ उन्होंने एवरेस्ट कैंप-3 (7400 मीटर) से चढ़ाई शुरू की और 21 मई को कैंप-4 पर पहुंची.

वहां से रात में उन्होंने फिर चढ़ाई की और 22 मई की सुबह माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) पहुंचकर तिरंगा फहरा दिया. परिजनों का कहना है कि भावना ने तामिया ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश सहित पूरे देश का मान बढ़ाकर साबित किया है कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं. उसे बचपन से ही साहसिक खेलों में रुचि रही. पर्वतारोही बनने के लिए सतत मेहनत की. एक भाई और चार बहनों में तीसरे नंबर की भावना संभवतया प्रदेश की पहली कम उम्र की महिला पर्वतारोही हैं.

सीएम कमनाथ ने दिये थे 27 लाख रूपये
भावना फिलहाल भोपाल के वीएनएस कॉलेज से फिजिकल एजुकेशन में एमपीएड कर रही हैं. वे वहां की छात्र संघ अध्यक्ष हैं. मप्र में कांग्रेस की सरकार बनते ही भावना को माउंट एवरेस्ट में भेजने के लिए 26 जनवरी 2019 को सीएम कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में ही उसे 27 लाख रुपए भी दिए थे.

छिंदवाड़ा। विश्व में छिंदवाड़ा का नाम रोशन करने वाली भावना डेहरिया अपने गांव तामिया पहुंचीं. जहां लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर यानी माउंट एवरेस्ट पहुंचकर जिले का नाम रोशन करने वाली भावना का स्वागत ढोल नगाड़ों के साथ हुआ.

भावना का कहना है कि उन्हें पर्वतारोही बनने की प्रेरणा तामिया के छोटे-छोटे पहाड़ों से ही मिली थी. वे परिजनों के सहयोग से एवरेस्ट फतह कर पायी हैं. भावना ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को धन्यवाद देते हुए कहा उनके कारण ही उसका सपना पूरा हुआ है. क्योंकि मुख्यमंत्री ने ही उनको 27 लाख की सहायता राशि दी थी.

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र तामिया की रहने वाली पर्वतारोही भावना डेहरिया ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर देश का परचम लहराया है. भावना की इस उपलब्धि ने जिले ही नहीं बल्कि मप्र का नाम भी ऊंचा कर दिया है. भावना ने ये मिशन 3 अप्रैल से शुरू किया था जो 22 मई की सुबह पूरा हो गया. भावना की इस उपलब्धि से जिले सहित पूरे प्रदेश को एक बार फिर गौरवांवित होने का मौका मिला है.

माउंट एवरेस्ट पर तिंरगा फहराने वाली भावना पहुंचीं अपने गांव

तामिया की ब्लाक कॉलोनी में रहने वाले शिक्षक मुन्नालाल डेहरिया और गृहणी उमादेवी डेहरिया की बेटी भावना ने महज 27 साल की उम्र में ये कारनामा कर दिखाया है. भावना ने 3 अप्रैल से नेपाल की संस्था एशियन ट्रेकिंग प्रायवेट लिमिटेड के साथ मिशन माउंट एवरेस्ट शुरू किया था. जिसमें तयशुदा रूट के तहत दिन-प्रतिदिन वे आगे बढ़ती जा रही थीं. 20 मई को आक्सीजन सिलेंडर के साथ उन्होंने एवरेस्ट कैंप-3 (7400 मीटर) से चढ़ाई शुरू की और 21 मई को कैंप-4 पर पहुंची.

वहां से रात में उन्होंने फिर चढ़ाई की और 22 मई की सुबह माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) पहुंचकर तिरंगा फहरा दिया. परिजनों का कहना है कि भावना ने तामिया ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश सहित पूरे देश का मान बढ़ाकर साबित किया है कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं. उसे बचपन से ही साहसिक खेलों में रुचि रही. पर्वतारोही बनने के लिए सतत मेहनत की. एक भाई और चार बहनों में तीसरे नंबर की भावना संभवतया प्रदेश की पहली कम उम्र की महिला पर्वतारोही हैं.

सीएम कमनाथ ने दिये थे 27 लाख रूपये
भावना फिलहाल भोपाल के वीएनएस कॉलेज से फिजिकल एजुकेशन में एमपीएड कर रही हैं. वे वहां की छात्र संघ अध्यक्ष हैं. मप्र में कांग्रेस की सरकार बनते ही भावना को माउंट एवरेस्ट में भेजने के लिए 26 जनवरी 2019 को सीएम कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में ही उसे 27 लाख रुपए भी दिए थे.

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माउंट एवरेस्ट पर तिंरगा फहराने वाली भावना पहुंचीं अपने गांव, ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत







छिंदवाड़ा। विश्व में छिंदवाड़ा का नाम रोशन करने वाली भावना डेहरिया अपने गांव तामिया पहुंचीं. जहां लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर यानी माउंट एवरेस्ट पहुंचकर जिले का नाम रोशन करने वाली भावना का स्वागत ढोल नगाड़ों के साथ हुआ.  



भावना का कहना है कि उन्हें पर्वतारोही बनने की प्रेरणा तामिया के छोटे-छोटे पहाड़ों से ही मिली थी. वे परिजनों के सहयोग से एवरेस्ट फतह कर पायी हैं. भावना ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को धन्यवाद देते हुए कहा उनके कारण ही उसका सपना पूरा हुआ है. क्योंकि मुख्यमंत्री ने ही उनको 27 लाख की सहायता राशि दी थी. 



आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र तामिया की रहने वाली पर्वतारोही भावना डेहरिया ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर देश का परचम लहराया है. भावना की इस उपलब्धि ने जिले ही नहीं बल्कि मप्र का नाम भी ऊंचा कर दिया है. भावना ने ये मिशन 3 अप्रैल से शुरू किया था जो 22 मई की सुबह पूरा हो गया. भावना की इस उपलब्धि से जिले सहित पूरे प्रदेश को एक बार फिर गौरवांवित होने का मौका मिला है. 



तामिया की ब्लाक कॉलोनी में रहने वाले शिक्षक मुन्नालाल डेहरिया और गृहणी उमादेवी डेहरिया की बेटी भावना ने महज 27 साल की उम्र में ये कारनामा कर दिखाया है. भावना ने 3 अप्रैल से नेपाल की संस्था एशियन ट्रेकिंग प्रायवेट लिमिटेड के साथ मिशन माउंट एवरेस्ट शुरू किया था. जिसमें तयशुदा रूट के तहत दिन-प्रतिदिन वे आगे बढ़ती जा रही थीं. 20 मई को आक्सीजन सिलेंडर के साथ उन्होंने एवरेस्ट कैंप-3 (7400 मीटर) से चढ़ाई शुरू की और 21 मई को कैंप-4 पर पहुंची. 



वहां से रात में उन्होंने फिर चढ़ाई की और 22 मई की सुबह माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) पहुंचकर तिरंगा फहरा दिया. परिजनों का कहना है कि भावना ने तामिया ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश सहित पूरे देश का मान बढ़ाकर साबित किया है कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं. उसे बचपन से ही साहसिक खेलों में रुचि रही. पर्वतारोही बनने के लिए सतत मेहनत की. एक भाई और चार बहनों में तीसरे नंबर की भावना संभवतया प्रदेश की पहली कम उम्र की महिला पर्वतारोही हैं. 



सीएम कमनाथ ने दिये थे 27 लाख रूपये

भावना फिलहाल भोपाल के वीएनएस कॉलेज से फिजिकल एजुकेशन में एमपीएड कर रही हैं. वे वहां की छात्र संघ अध्यक्ष हैं. मप्र में कांग्रेस की सरकार बनते ही भावना  को माउंट एवरेस्ट में भेजने के लिए 26 जनवरी 2019 को सीएम कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में ही उसे 27 लाख रुपए भी दिए थे. 


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