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लॉकडाउन का दर्द: जान जोखिम में डाल रहे मजदूर, बसों की छत पर चढ़कर कर रहे सफर - barigarh

लोग जान जोखिम में डालकर अपने घर पहुंच रहे हैं. कोरोना महामारी के चलते फंसे मजदूर कहीं पैदल, कहीं ट्रक तो कहीं बस की छत पर बैठकर अपने घर पहुंच रहे हैं.

Workers reaching home by reaching roof of bus in chhatarpur
बस की छत पर पहुंचकर घर पहुंच रहे मजदूर
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Published : May 12, 2020, 4:25 PM IST

छतरपुर। कोरोना वायरस ने जिंदगी जैसे एक जगह कैद कर दी हो. कोरोना वायरस महामारी का सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है. दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी कमाने गए मजदूर कोरोना के डर से पलायन कर रहे हैं. कहीं प्रशासन की मदद से तो कहीं पैदल ही हजारों किलोमीटर का रास्ता तय कर रहे हैं. कोरोना महामारी के बीच प्रवासी मजदूर हर कीमत पर अपने घर पहुंचना चाहते है. फिर चाहे उन्हें सफर में कितना भी जोख़िम उठाना पड़ जाए. ऐसा ही कुछ नजारा लवकुश नगर में देखने को मिला. जहां छतरपुर से बस में सवार होकर लवकुश नगर और बारीगढ़ क्षेत्र के मजदूर एक लंबा सफर तय करते हुए आए.

दांव पर लगा रहे जिंदगी

कहने को तो सरकारें प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचाने के लिये प्रयासरत हैं लेकिन गरीब मजदूरों को सही सलामत कैसे उनके घर तक पहुंचाया जाए, उसके लिये प्रशासन द्वारा किये जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. तभी तो बस की छत पर जिंदगी को दांव में लगाकर महिलाओं को बच्चों सहित सफर करना पड़ रहा है. सोमवार सुबह छतरपुर से चली गुरू कृपा बस करीब 9 बजे लवकुशनगर पहुंची, जहां छत पर महिलाओं सहित नौनिहालों को देख लोग दंग रह गए. इन मजदूरों में घर पहुंचने की झटपटाहट साफ देखी जा रही थी.

छतरपुर। कोरोना वायरस ने जिंदगी जैसे एक जगह कैद कर दी हो. कोरोना वायरस महामारी का सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है. दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी कमाने गए मजदूर कोरोना के डर से पलायन कर रहे हैं. कहीं प्रशासन की मदद से तो कहीं पैदल ही हजारों किलोमीटर का रास्ता तय कर रहे हैं. कोरोना महामारी के बीच प्रवासी मजदूर हर कीमत पर अपने घर पहुंचना चाहते है. फिर चाहे उन्हें सफर में कितना भी जोख़िम उठाना पड़ जाए. ऐसा ही कुछ नजारा लवकुश नगर में देखने को मिला. जहां छतरपुर से बस में सवार होकर लवकुश नगर और बारीगढ़ क्षेत्र के मजदूर एक लंबा सफर तय करते हुए आए.

दांव पर लगा रहे जिंदगी

कहने को तो सरकारें प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचाने के लिये प्रयासरत हैं लेकिन गरीब मजदूरों को सही सलामत कैसे उनके घर तक पहुंचाया जाए, उसके लिये प्रशासन द्वारा किये जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. तभी तो बस की छत पर जिंदगी को दांव में लगाकर महिलाओं को बच्चों सहित सफर करना पड़ रहा है. सोमवार सुबह छतरपुर से चली गुरू कृपा बस करीब 9 बजे लवकुशनगर पहुंची, जहां छत पर महिलाओं सहित नौनिहालों को देख लोग दंग रह गए. इन मजदूरों में घर पहुंचने की झटपटाहट साफ देखी जा रही थी.

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