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सरकारी जमीनों पर हो रहा अवैध कब्जा, पीएम आवस योजना के बनाए जा रहे मकान

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Published : May 12, 2020, 9:36 AM IST

छतरपुर की चंदला नगर परिषद में शासकीय भूमि पर पीएम आवास की अनुमति के साथ किश्त कर दी गई और अब शासकीय भूमि पर नगरीय प्रशासन की मिलीभगत से कई निर्माण कार्य चल रहे है.

छतरपुर
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छतरपुर। जिले के चंदला नगर परिषद में पीएम आवास योजना में इस कदर भ्रष्टाचार चल रहा है कि, पात्र हो या न हो आवास का लाभ सभी को मिल रहा है, मामला यहीं खत्म नहीं हैं होता है चंदला परिषद में पीएम आवास के लिए एक अलग गाइड लाइन है, यहां पर शासकीय भूमि पर भी पीएम आवास का प्रकरण स्वीकृत कर किश्त जारी कर दी गई, इतना ही नहीं बल्कि परिषद के अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन करते हुए निर्माण कारण भी शुरू करा दिया है.

देश की सबसे बड़ी और हितमूलक योजना में जिम्मेदारों ने कायदे कानून को ताक पर रखकर आवासों को बिना मापदंड के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया. इतना ही नहीं, नगर परिषद ने बिना जांच के जिन हितग्राहियों को आवास आवंटन किये है, उनके द्वारा शासकीय भूमि पर निर्माण किया जा रहा है. ऐसे ही कुछ मामले नगर पंचायत चंदला के है, जहां लोग प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले आवासों को शासकीय भूमि पर निर्माण करवा रहे हैं, ऐसा भी नहीं है की, इस मामले से नगर परिषद के अधिकारी कर्मचारियों को कुछ पता नहीं है.

दिया तले अंधेरा आंख मूंदकर मकानों की फाइले हुई स्वीकृत

नगर परिषद से जारी सूची अनुसार लवकुशनगर मार्ग पर स्थित वार्ड नं. 1 में सेवा सहकारी समिति भवन के पीछे से लगी सुरक्षित शासकीय भूमि खसरा नम्बर 2359 पर 40×50 के तीन आवास आवंटित किये गये हैं, जिसमें रमेश कुशवाहा, कंधी कुशवाहा और राममिलन कुशवाहा हितग्राही हैं. इसी तरह वार्ड- 8 में रामेश्वर वर्मा का आवास बन कर तैयार है, जो शासकीय भूमि पर है. नगर में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जड़ाऊ माता मंदिर के पीछे शासकीय भूमि खसरा नं. 67 पर ओम काली बेड़िया को आवंटित आवास निर्माणाधीन है.

इसी प्रकार नगर में दर्जनों लोगों के प्रधानमंत्री आवास शासकीय भूमि पर निर्माण हो चुके हैं और कुछ हो रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि, जब इनके आवास आवंटन की प्रक्रिया सम्पन्न हुई, तो परिषद में जिम्मेदारों ने जांच करने की जरूरत नहीं समझी और आंख मूंद कर फाइलों को स्वीकृत कर दिया.

इस पूरे मामले में राजस्व विभाग की भूमिका पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. बिडम्बना यह है कि, नगर में तहसील मुख्यालय, राजस्व निरीक्षक मुख्यालय और पटवारी निवास होने के बाद भी यहां दिया तले अंधेरा की कहावत चरितार्थ हो रही है. इन जवाबदारों ने शासकीय भूमि पर बेजा कब्जे को न रोकने की कोशिश की और न कोई पहल, जिससे साफ है कि जानबूझकर इस प्रकार की गतिविधियां होने दी गई.

आंख बंद कर बना दिये जाते है प्रमाण पत्र

नगर में दर्जन भर से ज्यादा शासकीय भूमि पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत किये गये है. जिनमे कई आवास बन चुके है और कई निर्माणाधीन हैं. सूत्रों के अनुसार नगर परिषद कार्यालय में पदस्थ लिपिकों द्वारा चंद रुपयों की खातिर हितग्राही द्वारा बताई गई भूमि की जांच न करवा कर सीधे हितग्राही द्वारा बताए वार्ड नम्बर में प्लाट के आधार पर प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है, जिससें लोगों को शासकीय भूमि पर कब्जा कर उसमें निर्माण करने में आसानी हो जाती है.

जांच के बाद हो सकता है खुलासा

जांच के बाद यह भी खुलासा हो जाएगा कि, कितनी फाइलों में इस तरह फर्जी तरीके से बनाये प्रमाण पत्र संलग्न हैं. जिसमें शासकीय भूमि को नगर परिषद की भूमि बता कर फर्जीवाड़ा किया गया है. लवकुशनगर एसडीएम अविनाश रावत का कहना है कि मामला संज्ञान में आने के बाद मामले की जांच कराई जाएगी दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी.

छतरपुर। जिले के चंदला नगर परिषद में पीएम आवास योजना में इस कदर भ्रष्टाचार चल रहा है कि, पात्र हो या न हो आवास का लाभ सभी को मिल रहा है, मामला यहीं खत्म नहीं हैं होता है चंदला परिषद में पीएम आवास के लिए एक अलग गाइड लाइन है, यहां पर शासकीय भूमि पर भी पीएम आवास का प्रकरण स्वीकृत कर किश्त जारी कर दी गई, इतना ही नहीं बल्कि परिषद के अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन करते हुए निर्माण कारण भी शुरू करा दिया है.

देश की सबसे बड़ी और हितमूलक योजना में जिम्मेदारों ने कायदे कानून को ताक पर रखकर आवासों को बिना मापदंड के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया. इतना ही नहीं, नगर परिषद ने बिना जांच के जिन हितग्राहियों को आवास आवंटन किये है, उनके द्वारा शासकीय भूमि पर निर्माण किया जा रहा है. ऐसे ही कुछ मामले नगर पंचायत चंदला के है, जहां लोग प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले आवासों को शासकीय भूमि पर निर्माण करवा रहे हैं, ऐसा भी नहीं है की, इस मामले से नगर परिषद के अधिकारी कर्मचारियों को कुछ पता नहीं है.

दिया तले अंधेरा आंख मूंदकर मकानों की फाइले हुई स्वीकृत

नगर परिषद से जारी सूची अनुसार लवकुशनगर मार्ग पर स्थित वार्ड नं. 1 में सेवा सहकारी समिति भवन के पीछे से लगी सुरक्षित शासकीय भूमि खसरा नम्बर 2359 पर 40×50 के तीन आवास आवंटित किये गये हैं, जिसमें रमेश कुशवाहा, कंधी कुशवाहा और राममिलन कुशवाहा हितग्राही हैं. इसी तरह वार्ड- 8 में रामेश्वर वर्मा का आवास बन कर तैयार है, जो शासकीय भूमि पर है. नगर में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जड़ाऊ माता मंदिर के पीछे शासकीय भूमि खसरा नं. 67 पर ओम काली बेड़िया को आवंटित आवास निर्माणाधीन है.

इसी प्रकार नगर में दर्जनों लोगों के प्रधानमंत्री आवास शासकीय भूमि पर निर्माण हो चुके हैं और कुछ हो रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि, जब इनके आवास आवंटन की प्रक्रिया सम्पन्न हुई, तो परिषद में जिम्मेदारों ने जांच करने की जरूरत नहीं समझी और आंख मूंद कर फाइलों को स्वीकृत कर दिया.

इस पूरे मामले में राजस्व विभाग की भूमिका पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. बिडम्बना यह है कि, नगर में तहसील मुख्यालय, राजस्व निरीक्षक मुख्यालय और पटवारी निवास होने के बाद भी यहां दिया तले अंधेरा की कहावत चरितार्थ हो रही है. इन जवाबदारों ने शासकीय भूमि पर बेजा कब्जे को न रोकने की कोशिश की और न कोई पहल, जिससे साफ है कि जानबूझकर इस प्रकार की गतिविधियां होने दी गई.

आंख बंद कर बना दिये जाते है प्रमाण पत्र

नगर में दर्जन भर से ज्यादा शासकीय भूमि पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत किये गये है. जिनमे कई आवास बन चुके है और कई निर्माणाधीन हैं. सूत्रों के अनुसार नगर परिषद कार्यालय में पदस्थ लिपिकों द्वारा चंद रुपयों की खातिर हितग्राही द्वारा बताई गई भूमि की जांच न करवा कर सीधे हितग्राही द्वारा बताए वार्ड नम्बर में प्लाट के आधार पर प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है, जिससें लोगों को शासकीय भूमि पर कब्जा कर उसमें निर्माण करने में आसानी हो जाती है.

जांच के बाद हो सकता है खुलासा

जांच के बाद यह भी खुलासा हो जाएगा कि, कितनी फाइलों में इस तरह फर्जी तरीके से बनाये प्रमाण पत्र संलग्न हैं. जिसमें शासकीय भूमि को नगर परिषद की भूमि बता कर फर्जीवाड़ा किया गया है. लवकुशनगर एसडीएम अविनाश रावत का कहना है कि मामला संज्ञान में आने के बाद मामले की जांच कराई जाएगी दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी.

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