ETV Bharat / state

एक तो कुपोषण की मार, उस पर मुंह मोड़ रही सरकार

सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी प्रदेश से कुपोषण का दंश खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. छतरपुर की रहने वाली 20 वर्षीय पूजा साहू बचपन से ही कुपोषण की शिकार है, जिसकी लंबाई महज 4 फीट है.

victim of malnutrition Pooja Sahu
कुपोषण की शिकार, मदद की दरकार
author img

By

Published : Nov 29, 2019, 3:52 PM IST

छतरपुर। कर्री गांव की रहने वाली पूजा साहू की उम्र तो 20 साल की है, लेकिन उनकी उम्र उनकी लंबाई से बिल्कुल अलग है. पूजा की लंबाई महज 4 फीट की है. पूजा जन्म से ही कुपोषण का शिकार थी लेकिन धीरे-धीरे ये बीमारी गंभीर होती गई, जिसकी वजह से उन्हें पैरालाइज हो गया. पूजा अब चल फिर नहीं सकती है, लेकिन उनका शरीर और दिमाग पूरी तरह से दुरुस्त हैं.

कुपोषण की शिकार, मदद की दरकार

पूजा पांचवी तक ही पढ़ी है. उनके पिता किसानी का काम करते हैं, जिस वजह से रोज काम छोड़कर पूजा की पढ़ाई पर ध्यान देना मुश्किल होता था. परिवार वालों ने कई डॉक्टरों से इलाज भी कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. पूजा आगे पढ़ना चाहती थी और फैशन डिजाइनर बनना चाहती थी, लेकिन हालातों के सामने वो मजबूर है, पूजा अब अपने घर में ही जुगाड़ के सामान से तरह-तरह के साज-सज्जा का सामान तैयार कर लेती हैं.

पूजा का कहना है कि भले ही वो दिव्यांग हो, लोग मजाक उड़ाते हों, लेकिन उनके हौसले बुलंद हैं. दिव्यांग होने के बावजूद भी वो मंगलसूत्र बनाने का काम करती हूं, जहां एक मंगलसूत्र से 50-100 रुपये मिल जाते है.

सरपंच-सचिव की मनमानी

पूजा के पिता संतोष साहू का कहना है कि पूजा को पेंशन मिल जाए. 100 प्रतिशत दिव्यांग होने के बावजूद भी सरपंच सचिव ने प्रमाण पत्र नहीं किया है. और ना ही किसी प्रकार का सहयोग किया, पिछले 15 सालों से उनकी बेटी को आर्थिक मदद नहीं मिल रही है.

नहीं मिली आर्थिक मदद

पूजा की मां आशा साहू का कहना है सरपंच सचिव के पास कई बार जा चुके हैं, लेकिन कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती, जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन परिस्थितियों में भी पूजा अपने परिवार वालों का ख्याल रखती है. छोटे-छोटे काम कर पैसे कमा लेती हैं. लेकिन उसे एक अदद मदद की दरकार है.

छतरपुर। कर्री गांव की रहने वाली पूजा साहू की उम्र तो 20 साल की है, लेकिन उनकी उम्र उनकी लंबाई से बिल्कुल अलग है. पूजा की लंबाई महज 4 फीट की है. पूजा जन्म से ही कुपोषण का शिकार थी लेकिन धीरे-धीरे ये बीमारी गंभीर होती गई, जिसकी वजह से उन्हें पैरालाइज हो गया. पूजा अब चल फिर नहीं सकती है, लेकिन उनका शरीर और दिमाग पूरी तरह से दुरुस्त हैं.

कुपोषण की शिकार, मदद की दरकार

पूजा पांचवी तक ही पढ़ी है. उनके पिता किसानी का काम करते हैं, जिस वजह से रोज काम छोड़कर पूजा की पढ़ाई पर ध्यान देना मुश्किल होता था. परिवार वालों ने कई डॉक्टरों से इलाज भी कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. पूजा आगे पढ़ना चाहती थी और फैशन डिजाइनर बनना चाहती थी, लेकिन हालातों के सामने वो मजबूर है, पूजा अब अपने घर में ही जुगाड़ के सामान से तरह-तरह के साज-सज्जा का सामान तैयार कर लेती हैं.

पूजा का कहना है कि भले ही वो दिव्यांग हो, लोग मजाक उड़ाते हों, लेकिन उनके हौसले बुलंद हैं. दिव्यांग होने के बावजूद भी वो मंगलसूत्र बनाने का काम करती हूं, जहां एक मंगलसूत्र से 50-100 रुपये मिल जाते है.

सरपंच-सचिव की मनमानी

पूजा के पिता संतोष साहू का कहना है कि पूजा को पेंशन मिल जाए. 100 प्रतिशत दिव्यांग होने के बावजूद भी सरपंच सचिव ने प्रमाण पत्र नहीं किया है. और ना ही किसी प्रकार का सहयोग किया, पिछले 15 सालों से उनकी बेटी को आर्थिक मदद नहीं मिल रही है.

नहीं मिली आर्थिक मदद

पूजा की मां आशा साहू का कहना है सरपंच सचिव के पास कई बार जा चुके हैं, लेकिन कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती, जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन परिस्थितियों में भी पूजा अपने परिवार वालों का ख्याल रखती है. छोटे-छोटे काम कर पैसे कमा लेती हैं. लेकिन उसे एक अदद मदद की दरकार है.

Intro:छतरपुर जिले के कर्री गांव में रहने वाली पूजा साहू 20 साल की है लेकिन उनकी उम्र उनकी लंबाई से बिल्कुल विपरीत है पूजा की लंबाई महज 4 फीट की है!

पूजा करो जब जन्म हुआ तो उसे कुपोषण की सामान्य बीमारी थी लेकिन धीरे-धीरे यह बीमारी कब गंभीर हो गई परिवार के लोगों को पता ही नहीं चला!


Body: छतरपुर जिले के कर्री में रहने वाली पूजा साहू 20 साल की होने के बावजूद भी किसी बच्चे की तरह दिखाई देती है पूजा बचपन में कुपोषण का शिकार हुई थी जिसके वजह से उन्हें दिव्यांग का गई और उन्हें पैरालाइज हो गया पूजा अब चल नहीं पाती हैं लेकिन उनका शरीर पूरी तरह स्वस्थ है और दिमाग से भी पूरी तरह से दुरुस्त हैं!

पूजा कक्षा पांचवी तक पढ़ी है लेकिन चल फिर ना पाने की वजह से उनके पिता उन्हें आगे की पढ़ाई नहीं करा पाए पूजा के पिता की माने तो वह खेती किसानी का काम करते हैं जिस वजह से रोज काम छोड़ कर पूजा की पढ़ाई पर ध्यान देना मुश्किल नहीं था!

पूजा की परिवार के लोगों ने पूजा को कई डॉक्टरों से इलाज भी कराया लेकिन आखिरकार डॉक्टरों ने भी हार मान ली और आखिरकार 100% पूजा को दिव्यांग ता का सर्टिफिकेट दे दिया गया पूजा आगे पढ़ना चाहती थी और प्रखर एक फैशन डिजाइनर बनना चाहती थी लेकिन हालातों ने उन्हें विवश कर दिया लेकिन पूजा अब अपने घर में रहकर ही जुगाड़ के सामान से तरह-तरह के साज सज्जा का सामान तैयार कर लेती हैं

पूजा 100% दिव्यांग होने के बावजूद भी मंगलसूत्र बनाने का काम करती हैं जिससे उन्हें एक मंगलसूत्र से ₹100 से ₹200 मिल जाते हैं पूजा बताती हैं कि भले ही दिव्यांग हो और लोग उनका मजाक उड़ाते हो लेकिन हौसले उनके काफी बुलंद हैं!

बाइट_पूजा पीड़िता

पूजा के पिता संतोष बताते हैं कि वह चाहते हैं कि पूजा को पेंशन मिलने लगे जो कि दिव्यांगों को दी जाती है 100% दिव्यांग ता का प्रमाण पत्र होने के बावजूद भी सरपंच सचिव द्वारा प्रमाण पत्र नहीं दिया गया और ना ही किसी प्रकार का सहयोग किया जा रहा है जिसके वजह से पिछले 15 सालों से उनकी बेटी को आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही है!

बाइट_संतोष पिता

पूजा की मां आशा का कहना है कि भले ही उनकी बेटी चल फिर नहीं पाती है दिव्यांग है लेकिन उनके लिए उनकी बेटी बहुत महत्व रखती है वह जीवन भर अपनी बेटी की सेवा करने को तैयार हैं लेकिन सरपंच सचिव से जो मदद हो सकती थी वह अनु ने नहीं की इसका उन्हें दुख है!

बाइट_आशा माँ


Conclusion: विपरीत परिस्थितियों में भी पूजा साहू खुशी खुशी रहकर अपने परिवार के लोगों का ख्याल रखती हैं छोटे-मोटे काम कर कुछ पैसे भी कमा लेती हैं और लोगों को एक सीख भी देती हैं कि परिस्थितियां कैसी भी हो जीवन जिंदादिली के साथ जीना चाहिए!
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.