छतरपुर। कर्री गांव की रहने वाली पूजा साहू की उम्र तो 20 साल की है, लेकिन उनकी उम्र उनकी लंबाई से बिल्कुल अलग है. पूजा की लंबाई महज 4 फीट की है. पूजा जन्म से ही कुपोषण का शिकार थी लेकिन धीरे-धीरे ये बीमारी गंभीर होती गई, जिसकी वजह से उन्हें पैरालाइज हो गया. पूजा अब चल फिर नहीं सकती है, लेकिन उनका शरीर और दिमाग पूरी तरह से दुरुस्त हैं.
पूजा पांचवी तक ही पढ़ी है. उनके पिता किसानी का काम करते हैं, जिस वजह से रोज काम छोड़कर पूजा की पढ़ाई पर ध्यान देना मुश्किल होता था. परिवार वालों ने कई डॉक्टरों से इलाज भी कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. पूजा आगे पढ़ना चाहती थी और फैशन डिजाइनर बनना चाहती थी, लेकिन हालातों के सामने वो मजबूर है, पूजा अब अपने घर में ही जुगाड़ के सामान से तरह-तरह के साज-सज्जा का सामान तैयार कर लेती हैं.
पूजा का कहना है कि भले ही वो दिव्यांग हो, लोग मजाक उड़ाते हों, लेकिन उनके हौसले बुलंद हैं. दिव्यांग होने के बावजूद भी वो मंगलसूत्र बनाने का काम करती हूं, जहां एक मंगलसूत्र से 50-100 रुपये मिल जाते है.
सरपंच-सचिव की मनमानी
पूजा के पिता संतोष साहू का कहना है कि पूजा को पेंशन मिल जाए. 100 प्रतिशत दिव्यांग होने के बावजूद भी सरपंच सचिव ने प्रमाण पत्र नहीं किया है. और ना ही किसी प्रकार का सहयोग किया, पिछले 15 सालों से उनकी बेटी को आर्थिक मदद नहीं मिल रही है.
नहीं मिली आर्थिक मदद
पूजा की मां आशा साहू का कहना है सरपंच सचिव के पास कई बार जा चुके हैं, लेकिन कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती, जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन परिस्थितियों में भी पूजा अपने परिवार वालों का ख्याल रखती है. छोटे-छोटे काम कर पैसे कमा लेती हैं. लेकिन उसे एक अदद मदद की दरकार है.