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प्यास बुझाने के लिए जोखिम में डालनी पड़ती है जान, जिम्मेदार देते हैं सिर्फ आश्वासन

छतरपुर से महज 17 किलोमीटर दूर छोटे से गांव कर्री में पहाड़ी पर बसी आदिवासी बस्ती में पानी की गंभीर समस्या है. यहां रोजाना प्यास बुझाने के लिए जान जोखिम में डालते हैं.

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Published : Jun 20, 2020, 10:31 AM IST

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छतरपुर। वैसे तो बुंदेलखंड में मानसून ने दस्तक दे दी है, लेकिन ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में आज भी पानी की समस्या बनी हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. छतरपुर जिले से महज 17 किलोमीटर दूर छोटे से गांव कर्री गांव में पहाड़ी के ऊपर रहने वाले कुछ आदिवासी पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. रहवासियों को अपनी जान जोखिम में डालकर 2 किलोमीटर नीचे पहाड़ी से उतर कर पानी भरने जाना पड़ता है.

हर दिन पानी के लिए आदिवासी परिवार करता है संघर्ष

छतरपुर जिले से 17 किलोमीटर दूर कर्री गांव की पहाड़ी पर बसी आदिवासी बस्ती में 100 से 200 आदिवासी परिवार रहते हैं , जो पानी के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं. पहाड़ पर रहने के कारण कोई भी जल स्त्रोत मौजूद नहीं है, जिस वजह से आदिवासी परिवारों को पहाड़ से नीचे उतर कर करीब 2 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है.

आदिवासियों का कहना है कि कई सालों पहले पानी की टंकी यहां पर थी. जिससे पानी मिलता था, लेकिन अब वह भी चालू नहीं है. जिसकी वजह से बस्ती में रहने वाली महिलाओं को हर रोज पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है. कई बार महिलाओं और बच्चियों के साथ हादसा भी हो चुका है, लेकिन पानी का संघर्ष लगातार जारी है. बस्ती में रहने वाली सविता बताती हैं कि पानी के लिए बड़ा संघर्ष करना पड़ता है. पहाड़ से नीचे उतर कर पानी लाते समय कई बार लोग गिर भी चुके हैं, लेकिन मजबूरी है परिवार और जरूरतों के लिए पानी लाना पड़ता है.

वहीं आदिवासी बस्ती में रहने वाले नन्हे बताते हैं कि पानी की समस्या बहुत ज्यादा है. कई बार गांव के सरपंच और सचिव से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. उनका कहना है कि सिर्फ वोटों के लिए यह लोग हमारा इस्तेमाल करते हैं. नन्हे ने बताया कि इस भीषण गर्मी में हमें जिंदा रहना है, तो पीने के लिए पानी चाहे कितने किलोमीटर ही दूर से क्यों ना लाना पड़े हम लाएंगे. वहीं जब आदिवासियों की समस्या को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने जिम्मेदारों से बात करने से कोशिश की तो किसी ने भी कैमरे के आगे बोलने से इंकार कर दिया.

छतरपुर। वैसे तो बुंदेलखंड में मानसून ने दस्तक दे दी है, लेकिन ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में आज भी पानी की समस्या बनी हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. छतरपुर जिले से महज 17 किलोमीटर दूर छोटे से गांव कर्री गांव में पहाड़ी के ऊपर रहने वाले कुछ आदिवासी पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. रहवासियों को अपनी जान जोखिम में डालकर 2 किलोमीटर नीचे पहाड़ी से उतर कर पानी भरने जाना पड़ता है.

हर दिन पानी के लिए आदिवासी परिवार करता है संघर्ष

छतरपुर जिले से 17 किलोमीटर दूर कर्री गांव की पहाड़ी पर बसी आदिवासी बस्ती में 100 से 200 आदिवासी परिवार रहते हैं , जो पानी के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं. पहाड़ पर रहने के कारण कोई भी जल स्त्रोत मौजूद नहीं है, जिस वजह से आदिवासी परिवारों को पहाड़ से नीचे उतर कर करीब 2 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है.

आदिवासियों का कहना है कि कई सालों पहले पानी की टंकी यहां पर थी. जिससे पानी मिलता था, लेकिन अब वह भी चालू नहीं है. जिसकी वजह से बस्ती में रहने वाली महिलाओं को हर रोज पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है. कई बार महिलाओं और बच्चियों के साथ हादसा भी हो चुका है, लेकिन पानी का संघर्ष लगातार जारी है. बस्ती में रहने वाली सविता बताती हैं कि पानी के लिए बड़ा संघर्ष करना पड़ता है. पहाड़ से नीचे उतर कर पानी लाते समय कई बार लोग गिर भी चुके हैं, लेकिन मजबूरी है परिवार और जरूरतों के लिए पानी लाना पड़ता है.

वहीं आदिवासी बस्ती में रहने वाले नन्हे बताते हैं कि पानी की समस्या बहुत ज्यादा है. कई बार गांव के सरपंच और सचिव से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. उनका कहना है कि सिर्फ वोटों के लिए यह लोग हमारा इस्तेमाल करते हैं. नन्हे ने बताया कि इस भीषण गर्मी में हमें जिंदा रहना है, तो पीने के लिए पानी चाहे कितने किलोमीटर ही दूर से क्यों ना लाना पड़े हम लाएंगे. वहीं जब आदिवासियों की समस्या को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने जिम्मेदारों से बात करने से कोशिश की तो किसी ने भी कैमरे के आगे बोलने से इंकार कर दिया.

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