छतरपुर। इस साल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर छतरपुर से कांग्रेस की पहली विधायक गायत्री परमार ने बापू से जुड़ी यादें साझा की. गायत्री परमार का कहना है कि महात्मा गांधी को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता था. महिलाएं झुंड बनाकर उनसे मिलने पहुंचती थी.
जिले की प्रसिद्ध समाज सेविका गायत्री परमार बताती है कि उनके पिता महात्मा गांधी के आश्रम में रहते थे और जवाहरलाल नेहरू के सानिध्य में रहकर कई बड़े आंदोलन में शामिल हुए थे. गायत्री देवी बताती हैं कि महात्मा गांधी हमेशा रेल के थर्ड क्लास के डिब्बे में सफर करते थे.
गायत्री परमार ने बताया कि एक बार मुरादाबाद के रेलवे स्टेशन पर महात्मा गांधी का आना होना था. उनको देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग स्टेशन पर मौजूद थे. उसी समय गायत्री भी अपने पिता के साथ उन्हें देखने के लिए गई थीं, लेकिन भीड़ इतनी अधिक थी कि उन्हें देख भी नहीं पा रही थी. जैसे ही ट्रेन रुकी तो गायत्री को धक्का लगा और वो गांधी जी की बोगी में पहुंच गई. यह पहला ऐसा मौका था जब उन्हें गांधीजी को इतनी नजदीक से देखने को मिला.
गायत्री देवी बताती है कि महात्मा गांधी अपने आंदोलन को गति देने के लिए देश का हर कोने से धन इकठ्ठा करते हैं. उनका कहना है कि महात्मा गांधी ट्रेन में सफर करते थे और उस दौरान उन्होंने अगर अपना हाथ धोखे से भी बाहर निकाला था, तो महिलाएं उनके हाथ पर जेवर रख देती थी. ताकि महात्मा गांधी के आंदोलनों को गति मिल सके और किसी तरह की आर्थिक कमी ना हो. बता दें कि छतरपुर का परमार परिवार महात्मा गांधी के विचारों और जवाहरलाल नेहरू के सबसे नजदीक माना जाता है.