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छतरपुर का परमार परिवार था गांधी जी के बेहद करीब, जिले की पहली कांग्रेस विधायक ने साझा की यादें

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर जिले की पहली महिला कांग्रेस गायत्री परमार ने बापू से जुड़ी यादें साझा की.

छतरपुर का परमार परिवार था गांधी जी के बेहद करीब
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Published : Aug 18, 2019, 3:01 PM IST

छतरपुर। इस साल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर छतरपुर से कांग्रेस की पहली विधायक गायत्री परमार ने बापू से जुड़ी यादें साझा की. गायत्री परमार का कहना है कि महात्मा गांधी को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता था. महिलाएं झुंड बनाकर उनसे मिलने पहुंचती थी.

जिले की प्रसिद्ध समाज सेविका गायत्री परमार बताती है कि उनके पिता महात्मा गांधी के आश्रम में रहते थे और जवाहरलाल नेहरू के सानिध्य में रहकर कई बड़े आंदोलन में शामिल हुए थे. गायत्री देवी बताती हैं कि महात्मा गांधी हमेशा रेल के थर्ड क्लास के डिब्बे में सफर करते थे.

छतरपुर का परमार परिवार था गांधी जी के बेहद करीब

गायत्री परमार ने बताया कि एक बार मुरादाबाद के रेलवे स्टेशन पर महात्मा गांधी का आना होना था. उनको देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग स्टेशन पर मौजूद थे. उसी समय गायत्री भी अपने पिता के साथ उन्हें देखने के लिए गई थीं, लेकिन भीड़ इतनी अधिक थी कि उन्हें देख भी नहीं पा रही थी. जैसे ही ट्रेन रुकी तो गायत्री को धक्का लगा और वो गांधी जी की बोगी में पहुंच गई. यह पहला ऐसा मौका था जब उन्हें गांधीजी को इतनी नजदीक से देखने को मिला.

गायत्री देवी बताती है कि महात्मा गांधी अपने आंदोलन को गति देने के लिए देश का हर कोने से धन इकठ्ठा करते हैं. उनका कहना है कि महात्मा गांधी ट्रेन में सफर करते थे और उस दौरान उन्होंने अगर अपना हाथ धोखे से भी बाहर निकाला था, तो महिलाएं उनके हाथ पर जेवर रख देती थी. ताकि महात्मा गांधी के आंदोलनों को गति मिल सके और किसी तरह की आर्थिक कमी ना हो. बता दें कि छतरपुर का परमार परिवार महात्मा गांधी के विचारों और जवाहरलाल नेहरू के सबसे नजदीक माना जाता है.

छतरपुर। इस साल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर छतरपुर से कांग्रेस की पहली विधायक गायत्री परमार ने बापू से जुड़ी यादें साझा की. गायत्री परमार का कहना है कि महात्मा गांधी को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता था. महिलाएं झुंड बनाकर उनसे मिलने पहुंचती थी.

जिले की प्रसिद्ध समाज सेविका गायत्री परमार बताती है कि उनके पिता महात्मा गांधी के आश्रम में रहते थे और जवाहरलाल नेहरू के सानिध्य में रहकर कई बड़े आंदोलन में शामिल हुए थे. गायत्री देवी बताती हैं कि महात्मा गांधी हमेशा रेल के थर्ड क्लास के डिब्बे में सफर करते थे.

छतरपुर का परमार परिवार था गांधी जी के बेहद करीब

गायत्री परमार ने बताया कि एक बार मुरादाबाद के रेलवे स्टेशन पर महात्मा गांधी का आना होना था. उनको देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग स्टेशन पर मौजूद थे. उसी समय गायत्री भी अपने पिता के साथ उन्हें देखने के लिए गई थीं, लेकिन भीड़ इतनी अधिक थी कि उन्हें देख भी नहीं पा रही थी. जैसे ही ट्रेन रुकी तो गायत्री को धक्का लगा और वो गांधी जी की बोगी में पहुंच गई. यह पहला ऐसा मौका था जब उन्हें गांधीजी को इतनी नजदीक से देखने को मिला.

गायत्री देवी बताती है कि महात्मा गांधी अपने आंदोलन को गति देने के लिए देश का हर कोने से धन इकठ्ठा करते हैं. उनका कहना है कि महात्मा गांधी ट्रेन में सफर करते थे और उस दौरान उन्होंने अगर अपना हाथ धोखे से भी बाहर निकाला था, तो महिलाएं उनके हाथ पर जेवर रख देती थी. ताकि महात्मा गांधी के आंदोलनों को गति मिल सके और किसी तरह की आर्थिक कमी ना हो. बता दें कि छतरपुर का परमार परिवार महात्मा गांधी के विचारों और जवाहरलाल नेहरू के सबसे नजदीक माना जाता है.

Intro:इस वर्ष देश में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है महात्मा गांधी पूरे देश में जा जा कर अपने आंदोलनों को गति प्रदान करते थे छतरपुर में रहने वाला परमार परिवार गांधी के विचारों एवं नेहरू के सबसे नजदीक माना जाता है!

जिले की प्रसिद्ध समाज सेविका गायत्री परमार एवं पूर्व विधायक बताती हैं कि उनके पिता गांधी जी के आश्रम में रहते थे और उनके पति नेहरू जी के सानिध्य में रहकर कई बड़े आंदोलन में भागीदारी रहे!


Body: 92 साल की गायत्री देवी परमार बताती है कि एक बार गांधी जी से मुलाकात हुई थी जब वे बहुत छोटी थी गांधीजी जहां भी जाते थे उन्हें देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता था महिलाएं उन्हें देखने के लिए झुंड का झुंड बनाकर आती थी ट्रेन में जाते वक्त भी गांधीजी जैसे ही अपना हाथ आगे करते थे महिलाएं अपने आभूषण उतार कर उनके हाथों में रख देती थी ताकि उनके आंदोलनों में गति मिल सके और किसी प्रकार की आर्थिक कमी ना हो!

गायत्री देवी बताती हैं कि महात्मा गांधी हमेशा रेल के थर्ड क्लास के डिब्बे में सफर करते थे गायत्री देवी बताती हैं कि एक बार मुरादाबाद के रेलवे स्टेशन पर महात्मा गांधी का आना होना था उनको देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग स्टेशन पर मौजूद थे उसी समय मैं भी अपने पिता के साथ उन्हें देखने के लिए गई थी लेकिन भीड़ इतनी अधिक थी कि उन्हें देख भी नहीं पा रही थी जैसे ही ट्रेन रुकी तो मुझे धक्का लगा और मैं गांधी जी की बोगी में पहुंच गई यह पहला ऐसा मौका था जिस वक्त मुझे गांधीजी को इतनी नजदीक से देखने का मौका मिला!

इसके बाद अपने पिताजी के साथ एकाध बार उनकी प्रार्थना सभाओं में भी जाने का मौका मिला गांधीजी एक ऐसी शख्सियत थे जिन्हें देखने मात्र के लिए लोगों का हुजूम लगता था!

बाइट_गायत्री देवी


Conclusion:बहुत कम ही लोग ऐसे होंगे जो शायद यह जानते होंगे कि महात्मा गांधी अपने आंदोलनों को आर्थिक मजबूत देने के लिए इस प्रकार से धन एकत्र करते थे गायत्री देवी ने बताया कि जब भी महात्मा गांधी ट्रेन में सफर करते थे और उस दौरान उनका हाथ धोखे से भी बाहर निकाला था था तो महिलाएं उनके हाथ पर जेवर रख देती थी!

आपको बता दें कि गायत्री देवी परमार का परिवार गांधी परिवार का सबसे नजदीक माना जाता था और गायत्री देवी छतरपुर जिले की पहली कांग्रेस विधायक भी रही है!
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