नई दिल्ली: भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर कहा है कि ट्रंप प्रशासन का आना बिजनेस के नजरिए से एक अहम बदलाव है. जयशंकर ने कहा कि अमेरिका के साथ भारत की रणनीतिक समानताएं समय के साथ और गहरी हुई हैं, जिससे कई सहयोगी अवसर उपलब्ध हुए हैं.
सीआईआई भागीदारी शिखर सम्मेलन में डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि, 'लीवरेजिंग और हथियारीकरण के युग में, निवेश सहित आर्थिक निर्णयों के मामले में नीति निर्माताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा फिल्टर लगाने होंगे.'
Pleased to address the CII Partnership Summit 2024 on ‘India and the World: Partnership for Progress’ today in Delhi.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) December 2, 2024
Highlighted that:
➡️ India needs more significant partnerships. Our stakes in the world are more; the responsibilities are greater, and indeed, the… pic.twitter.com/58GKwAUCLO
जयशंकर नई दिल्ली में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के साथ साझेदारी में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित 29वें सीआईआई भागीदारी शिखर सम्मेलन में 'भारत और विश्व, प्रगति के लिए भागीदारी' विषय पर विशेष पूर्ण सत्र में बोल रहे थे.
'आर्थिक परिदृश्य गहरे परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है'
उन्होंने कहा कि, "हम जिस आर्थिक परिदृश्य को देख रहे हैं, वह एक गहरे परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. इसका प्रभावी ढंग से जवाब देना केवल एक राष्ट्रीय प्रयास नहीं हो सकता, इसके लिए और अधिक भागीदारी की आवश्यकता है." उन्होंने कहा, कोविड-19 महामारी, अमेरिका-चीन तनाव और रूस-यूक्रेन संघर्ष सहित हाल की वैश्विक घटनाओं ने दुनिया को किस तरह अधिक असुरक्षित बना दिया है. इस पर विस्तार से बताते हुए डॉ. जयशंकर ने भारत के लिए भरोसेमंद और विश्वसनीय भागीदारी और अधिक स्वाभाविक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया.
घरेलू स्तर पर बेहतर निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जयशंकर ने क्षमताओं को बढ़ाने, नवाचार को बढ़ावा देने और कौशल सेट को व्यापक बनाने की आवश्यकता बताई. उन्होंने डिजिटल युग और एआई क्रांति के आगमन के साथ अधिक डेटा जागरूकता और संबंधित क्षमताओं को विकसित करने में निवेश की आवश्यकता को रेखांकित किया.
उन्होंने इस संबंध में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को महत्वपूर्ण फोकस क्षेत्रों के रूप में रेखांकित किया. डॉ. जयशंकर ने ज्ञान अर्थव्यवस्था में प्रतिभा की उपलब्धता को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में रेखांकित किया और कौशल की मांग और इसकी अनुपलब्धता के बीच बढ़ते बेमेल जैसे जनसांख्यिकीय चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए साझेदारी की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
बहुआयामी चुनौती
उन्होंने कहा कि यह एक बहुआयामी चुनौती है और उद्योग को प्रशिक्षण, इंटर्नशिप और अन्य अवसर प्रदान करके अपना योगदान देना चाहिए. इसके अलावा, विदेश मंत्री ने विदेशों में एक विश्वसनीय भागीदार बनने के लिए भारत के लिए बड़े पैमाने पर और दक्षता से विनिर्माण करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने उल्लेख किया कि रसद और अवसंरचना दक्षता बढ़ाने के भारत के प्रयासों की आज विश्व स्तर पर सराहना हो रही है.
कनेक्टिविटी एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता, जयशंकर ने कहा
उन्होंने कहा कि गति शक्ति जैसी पहल भारत में व्यापार करना आसान बना रही है और जीवन को आसान बना रही है, साथ ही कारोबारी माहौल पर सकारात्मक प्रभाव डाल रही है. भारत की एफटीए रणनीति के संबंध पर बोलते हुए डॉ. जयशंकर ने कहा कि, हालांकि ये साझेदारी के लिए संभावित लाभ और अवसर प्रदान करते हैं, लेकिन बाहरी जोखिम से अनुचित, सब्सिडी वाली और बड़े पैमाने पर प्रतिस्पर्धा एक चुनौती हो सकती है, खासकर छोटे उत्पादकों वाले कम आय वाले देशों के लिए. हालांकि, अवसरों को छोड़ना नासमझी होगी और इसलिए काम करने का सिद्धांत सावधानी से आगे बढ़ना होना चाहिए.
डॉ. जयशंकर ने कहा कि, जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों और कोविड-19 महामारी जैसे आर्थिक झटकों के बीच कनेक्टिविटी एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि आज भारत वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण स्थान रखता है, लेकिन अधिक कनेक्टिविटी साझेदारी बनाने से भारत की स्थिति और मजबूत होगी. मंत्री ने भारत के लिए अधिक दृढ़ संकल्प के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, खासकर तब जब विश्व अर्थव्यवस्था अशांत युग में प्रवेश कर रही है.
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