छतरपुर। कहते हैं अगर मन में सेवा का भाव हो तो परिस्थियां अपने आप अनुकूल हो जाती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में रहने वाले 24 साल की दीक्षा ने. 24 साल की दीक्षा शादीशुदा है और उनकी 2 महीने की एक बेटी भी है, वाबजूद इसके कोविड काल में सेवा भाव और कोई असहाय भूखा न सोए, उसके लिए दीक्षा हर दिन अपनी दो माह की बेटी को लेकर अपनी ड्यूटी करने आती है.
'सबकी रसोई'
दीक्षा सेन नगरपालिका के द्वारा संचालित दीनदयाल अंत्योदय रसोई में काम करती है और उसे नगरपालिका की तरफ से 8 हजार रुपए महीना भी मिलता है. लेकिन जब से लॉकडाउन-2 लगा है. तब नगरपालिका की तरफ से संचालित होने वाली दीन दयाल रसोई को बंद कर दिया गया लेकिन अब उसकी जगह 'सबकी रसोई' के नाम से एक जन समूह लोगों को भोजन बांटने का काम कर रहा है, जहां दीक्षा का काम खाना बनाना है.
![Deeksha Sen](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-chr-01-mishal-vis-byte-02-pkg-02-10055_17052021203829_1705f_1621264109_373.jpg)
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कर्तव्य पहली प्राथमिकता
दीक्षा बताती है कि जब उनकी बच्ची का जन्म हुआ था तभी दो महीने के होने से लॉकडाउन लग गया. लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे है. असहाय भूखे न रहे, इसके लिए शहर के समाजसेवियों ने यह व्यवस्था शुरू की. जिसकी जानकारी मुझे लगी तो मैंने अपनी ड्यूटी भी वही लगवा ली और अब मैं पिछले 17 दिनों से यहां काम कर रही हूं. मेरी बेटी 2 महीने की है. कोविड का डर भी है लेकिन बाहर भूखे लोगों के लिए मैं, ज्यादा कुछ मदद तो कर नहीं सकती लेकिन अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी से निभा रही हूं. कभी-कभी बेटी को लेकर चिंता होती है लेकिन लोगों की मदद भी जरूरी है. जिस वक्त दीक्षा रोटी बनाती है उस वक्त उनकी दो माह की बेटी बेंच या किसी अन्य जगह पर सोती रहती है. बेटी के जागने पर दीक्षा उसे दूध पिलाने और सुलाने के लिए ले जाती है. उसके बाद फिर काम में जुट जाती है.
दीक्षा का उदाहरण
'सबकी रसोई' का मैनेजमेंट देखने वाले विपिन अवस्थी का कहना है कि दीक्षा की बेटी छोटी है, उसे छुट्टी लेने के लिए भी कहा था लेकिन उसने छुट्टी नहीं ली. वह चाहती है कि इस दौर में जो संभव हो सके, लोगों की मदद को जाए. ऐसा नहीं है कि दीक्षा की पारिवारिक स्थिति खराब है. सब कुछ ठीक है दीक्षा शहर के सटई रोड पर रहती है. परिवार में पति के साथ अन्य सदस्य भी है. लेकिन अपने काम को कर्तव्य समझकर बुरे वक्त में लोगों के लिए एक बेहतरीन उदहारण पेश किया है.