छतरपुर। जिले में रहने वाले 95 साल के राजेंद्र प्रसाद महतो पिछले कई सालों से लगातार अपने सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन ना तो इस ओर कोई ध्यान दे रहा है और ना ही उनके मामले में कोई स्पष्ट जवाब देने को तैयार हैं. दरअसल राजेंद्र प्रसाद महतो एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं, जिन्होंने देश की आजादी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था, लेकिन आज वहीं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अपने आप को साबित करने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहा है. छतरपुर कलेक्टर शीलेंद्र सिंह उन्हें 2 मिनट का समय भी नहीं दे पा रहे हैं.
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कलेक्ट्रेट के लगा रहे चक्कर
देश की आजादी के लिए जेल गए, लाठियां खाई, कई बार आंदोलन भी किए, लेकिन कभी देश के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजेंद्र प्रसाद महतो ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि, एक दिन उन्हें अपने ही सिस्टम के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा. जिस स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को सम्मान मिलना चाहिए था, आज वो अपने हक के लिए छतरपुर कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा रहा है.
देश की आजादी में रहा विशेष योगदान
राजेंद्र प्रसाद महतो ने देश और बुंदेलखंड के कई बड़े आंदोलनकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलनों में हिस्सा लिया. बुंदेलखंड का चाहे चरखारी हो, छतरपुर हो या फिर बिजावर इन तमाम जगहों पर कई बार आंदोलन किए, रेल की पटरीयां भी उखाड़ी और कई बार जेल भी गए. उन्होंने बताया कि, महात्मा गांधी के द्वारा चलाए जाने वाला असहयोग आंदोलन में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.
कई बार खाई अंग्रेजों की लाठियां
राजेंद्र प्रसाद महतो ने बताया कि, 'जब देश सन 1947 में आजाद हुआ उसके बाद भी कई रियासत कालीन राज्यों में तिरंगा झंडा फहराना अपराध माना जाता था. इन सबके बावजूद भी हम सभी विद्यार्थी मिलकर तिरंगा झंडा फहराते थे'.
भ्रष्ट अधिकारियों ने की रिश्वत की मांग
राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि, जब उन्हें अपने आप को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी साबित करना था, तब राज्य सरकार में बैठे कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने उन से पैसों की मांग की थी. जिसको लेकर राजेंद्र प्रसाद महतो ने साफ इनकार कर दिया और कहा कि, वे कभी अपने आप को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी साबित करने के लिए पैसे नहीं देंगे.
कलेक्टर नहीं दे रहे जवाब
इस मामले के बाद से आज तक राजेंद्र प्रसाद महतो की लड़ाई राज्य सरकार से चल रही है. मामला कोर्ट में पहुंचा, तो कोर्ट ने छतरपुर कलेक्टर से जवाब मांगा, लेकिन पिछले 6 महीनें बीत जाने के बाद भी छतरपुर कलेक्टर अभी तक इस मामले में कोई जवाब नहीं दे पाए हैं. इस दौरान वे राजेंद्र प्रसाद महतो और उनके परिवार के सदस्यों से भी नहीं मिल रहे हैं.
95 साल की उम्र में दर-दर भटक रहे राजेंद्र प्रसाद
राजेंद्र प्रसाद महतो के पोते प्रशांत महतो बताते हैं कि, वो अपने दादाजी को लेकर कई बार कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन छतरपुर कलेक्टर ने आज तक उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. प्रशांत महतो का कहना है कि 95 साल की उम्र में उनके दादा जी अपने आप को स्वतंत्रता सेनानी साबित करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. छतरपुर एडीएम प्रेम सिंह चौहान का कहना है कि, मामला उनके संज्ञान में आया है. उन्होंने कहा कि, अगर स्वतंत्रता संग्राम वाला कोई मामला है, तो वे आईसी से बात करेंगे. 95 साल के राजेंद्र प्रसाद महतो इस बात से बेहद दुखी हैं कि, कभी देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़े थे, लेकिन उन्हें इस बात का पता नहीं था कि, वो आने वाले समय में खुद अपने देश के सिस्टम का शिकार हो जाएंगे.