छतरपुर। जमीन पर बैठकर पकौड़ों से पेट भरते इन मासूमों पर जुल्म की कहानी सुन आपकी भी आंखें नम हो जाएंगी, दिल पसीज जाएगा. चालीस किलोमीटर पैदल चलने के बाद बच्चों के पैर इस तरह सूज चुके हैं कि अब वह एक भी कदम नहीं चल सकते. हालातों से तंग आ चुके इस आदिवासी परिवार के लिये पुलिस ने जो किया, उसे सुनकर आप तालियां बजाने से नहीं चूकेंगे.
राजू आदिवासी दो माह पहले अपने परिवार के साथ मजदूरी करने इलाहाबाद गया था. जहां एक ठेकेदार ने उसे बंधक बनाकर रखा. इस दौरान उसे न तो खाना दिया गया और ना पैसे. ठेकेदार के जुल्म से तंग आकर राजू जैसे-तैसे वहां से भाग निकला. चालीस किलोमीटर पैदल दूरी तय करने के बाद राजू छतरपुर बस स्टैंड पहुंचा था.
छतरपुर के बस स्टैंड पर बैठे ये गरीब परिवार की जानकारी लगते ही पुलिस वहां पहुंची. जिसके बाद इस परिवार को पुलिसकर्मियों ने खुद के पैसे से खाना खिलाया और पैसे देकर उस बस में बैठाया जो उन्हें उनके घर तक पहुंचा सके. अब राजू अपने परिवार के साथ अपने गांव किरार के लिये रवाना हो गया है. राजू को उसके घर तक पहुंचाने में पुलिस ने अपनी ड्यूटी के साथ मानवता का भी संदेश दिया है.