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मनरेगा के घपलेबाजों को बचाने में लगे अधिकारी, रोज हो रहा मंथन

छतरपुर जिले में डिप्टी कलेक्टर को मनरेगा का लाभ देने के मामले में दो सीईओ ने जांच की है और दोनों ने अलग-अलग तर्क दिए हैं. जिसके पुलिस असमंजस में है कि आखिर किस तर्क को सही मानकर आगे की जांच की जाए, इसे लेकर FIR करने में देरी हो रही है. वहीं इस मामले के दोषी अपने बचाव के लिए नए तरीके निकाल रहे हैं.

FIR not filed against the culprits for not getting proper arguments
सही तर्क न मिलने पर नहीं हो रही दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
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Published : Jul 3, 2020, 3:49 PM IST

छतरपुर। जिले के लवकुशनगर अनुविभाग निवासी भोपाल में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर विजय राय बंशकार को जनपद क्षेत्र के ग्राम पंचायत बम्होरीपुरवा में खेत तालाब योजना का लाभ दिए जाने के मामले में अभी तक दोषियों पर एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है. यही वजह है कि दोषी इस मामले में अपना बचाव करने के लिए रोज नए हथकंडे अपना रहे हैं.

जनपद सीईओ एसके मिश्रा ने इस मामले में चार दोषियों पर एफआईआर दर्ज कराने को लेकर, जुझारनगर थाने में पुलिस को बीते 23 जून को आवेदन दिया था, लेकिन पुलिस ने इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. पुलिस का तर्क है कि दो जनपद सीईओ की अलग-अलग जांच रिपोर्ट सामने आई है, किस जांच रिपोर्ट को सही मानकर पुलिस एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई करे.

मामले के संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक भोपाल में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर विजय बसोर बम्होरीपुरवा के मूल निवासी हैं. पंचायत के जिम्मेदारों सहित मनरेगा के अधिकारियों ने आंख बंदकर अपात्र लोगों को भी पात्र बनाकर योजना का लाभ दिला दिया. इससे पहले भी इस मामले में ग्रामीणों ने शिकायत की तो विभाग ने पहले इस मामले को वहीं दबाने की कोशिश की, लेकिन बाद में उन्हें दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी.

दो सीईओ ने जांच में दोषियों की संख्या बताई सात दोषी माने गए चार:

मनरेगा के तहत डिप्टी कलेक्टर को लाभ दिए जाने के मामले में दो जनपद सीईओ ने मामले की जांच की है. दोनों ने अलग -अलग जांच प्रतिवेदन जिला पंचायत भेजे हैं. मामले की पहली जांच लवकुशनगर जनपद के प्रभारी सीईओ केपी द्विवेदी ने की और दूसरी जांच नवागत सीईओ एसके मिश्रा ने की. पुलिस के मुताबिक दोनों जनपद सीईओ ने जिला पंचायत भेजे गए जांच प्रतिवेदन में मामले से जुड़े सात लोगों को दोषी माना था. इन सात लोगों में उपयंत्री विचित्र गुप्ता, सरपंच जुगिया अहिरवार, सचिव सुमन अहिरवार, रोजगार सहायक संगीता शिवहरे और सरपंच पुत्र विष्णु अहिरवार शामिल थे. लेकिन जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चंद्र ने उपयंत्री सहित सरपंच सचिव और विष्णु अहिरवार के खिलाफ ही मामला दर्ज कराने के आदेश दिए हैं. जिसके बाद एफआईआर दर्ज कराने वाले आदेश में जांच प्रतिवेदन के आधार पर नहीं होना बताया जा रहा है.

सिर्फ सचिव रोजगार सहायक पर हुई कार्रवाई

मनरेगा का यह मामला ज्यादा तूल न पकड़े इसलिए विभाग ने रोजगार सहायक संगीता शिवहरे की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. वहीं सचिव सुमन अहिरवार को निलंबित कर जनपद कार्यालय अटैच कर दिया है, ग्रामीण इस कार्रवाई को सही न मानते हुए विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं. इस मामले में ग्रमीणों का कहना है कि जुझारनगर थाने में बीते 23 जून को एफआईआर दर्ज कराने को लेकर आवेदन पत्र दिया गया था. लेकिन पुलिस ने अभी तक इस मामले में जानबूझकर एफआईआर दर्ज नहीं की है और पुलिस कार्रवाई से बच रही है.

एसके मिश्रा लवकुशनगर जनपद सीईओ ने एफआईआर के लिए प्रकरण प्रस्तुत किया है. जिसमें उन्होंने जो दस्तावेज लगाए हैं, उसमें सात लोगों पर कार्रवाई का लेख है, लेकिन केवल चार लोगों पर ही कार्रवाई की जा रही है. अब इस मामले में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का मार्गदर्शन मांगा जा रहा है, वहीं निर्देश मिलते ही एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई की जाएगी.

छतरपुर। जिले के लवकुशनगर अनुविभाग निवासी भोपाल में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर विजय राय बंशकार को जनपद क्षेत्र के ग्राम पंचायत बम्होरीपुरवा में खेत तालाब योजना का लाभ दिए जाने के मामले में अभी तक दोषियों पर एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है. यही वजह है कि दोषी इस मामले में अपना बचाव करने के लिए रोज नए हथकंडे अपना रहे हैं.

जनपद सीईओ एसके मिश्रा ने इस मामले में चार दोषियों पर एफआईआर दर्ज कराने को लेकर, जुझारनगर थाने में पुलिस को बीते 23 जून को आवेदन दिया था, लेकिन पुलिस ने इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. पुलिस का तर्क है कि दो जनपद सीईओ की अलग-अलग जांच रिपोर्ट सामने आई है, किस जांच रिपोर्ट को सही मानकर पुलिस एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई करे.

मामले के संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक भोपाल में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर विजय बसोर बम्होरीपुरवा के मूल निवासी हैं. पंचायत के जिम्मेदारों सहित मनरेगा के अधिकारियों ने आंख बंदकर अपात्र लोगों को भी पात्र बनाकर योजना का लाभ दिला दिया. इससे पहले भी इस मामले में ग्रामीणों ने शिकायत की तो विभाग ने पहले इस मामले को वहीं दबाने की कोशिश की, लेकिन बाद में उन्हें दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी.

दो सीईओ ने जांच में दोषियों की संख्या बताई सात दोषी माने गए चार:

मनरेगा के तहत डिप्टी कलेक्टर को लाभ दिए जाने के मामले में दो जनपद सीईओ ने मामले की जांच की है. दोनों ने अलग -अलग जांच प्रतिवेदन जिला पंचायत भेजे हैं. मामले की पहली जांच लवकुशनगर जनपद के प्रभारी सीईओ केपी द्विवेदी ने की और दूसरी जांच नवागत सीईओ एसके मिश्रा ने की. पुलिस के मुताबिक दोनों जनपद सीईओ ने जिला पंचायत भेजे गए जांच प्रतिवेदन में मामले से जुड़े सात लोगों को दोषी माना था. इन सात लोगों में उपयंत्री विचित्र गुप्ता, सरपंच जुगिया अहिरवार, सचिव सुमन अहिरवार, रोजगार सहायक संगीता शिवहरे और सरपंच पुत्र विष्णु अहिरवार शामिल थे. लेकिन जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चंद्र ने उपयंत्री सहित सरपंच सचिव और विष्णु अहिरवार के खिलाफ ही मामला दर्ज कराने के आदेश दिए हैं. जिसके बाद एफआईआर दर्ज कराने वाले आदेश में जांच प्रतिवेदन के आधार पर नहीं होना बताया जा रहा है.

सिर्फ सचिव रोजगार सहायक पर हुई कार्रवाई

मनरेगा का यह मामला ज्यादा तूल न पकड़े इसलिए विभाग ने रोजगार सहायक संगीता शिवहरे की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. वहीं सचिव सुमन अहिरवार को निलंबित कर जनपद कार्यालय अटैच कर दिया है, ग्रामीण इस कार्रवाई को सही न मानते हुए विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं. इस मामले में ग्रमीणों का कहना है कि जुझारनगर थाने में बीते 23 जून को एफआईआर दर्ज कराने को लेकर आवेदन पत्र दिया गया था. लेकिन पुलिस ने अभी तक इस मामले में जानबूझकर एफआईआर दर्ज नहीं की है और पुलिस कार्रवाई से बच रही है.

एसके मिश्रा लवकुशनगर जनपद सीईओ ने एफआईआर के लिए प्रकरण प्रस्तुत किया है. जिसमें उन्होंने जो दस्तावेज लगाए हैं, उसमें सात लोगों पर कार्रवाई का लेख है, लेकिन केवल चार लोगों पर ही कार्रवाई की जा रही है. अब इस मामले में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का मार्गदर्शन मांगा जा रहा है, वहीं निर्देश मिलते ही एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई की जाएगी.

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