छतरपुर। नौगांव क्षेत्र के दौनी गांव के दुर्गा प्रसाद सेन आज से करीब 40 साल पहले रोजगार की तलाश में नौगांव आए थे, तो उन्होंने अदालत परिसर में चाय की दुकान खोल ली. दुकान खूब चल पड़ी. दुकान पर काफी लोगों का आना जाना हो गया. लेकिन अदालत परिसर में पानी की कमी थी, लोगों की प्यास बुझाने के लिए एकमात्र साधन एक कुआं ही था. दुर्गा प्रसाद सेन कुएं से पानी भरकर लाते और लोगों को पिलाते हैं. पानी पिलाने में उन्हें इतना सुकून मिला कि उन्होंने दुकानदारी बंद कर दी और इसी काम में जुट गए. पिछले 29 वर्षों से वह निःशुल्क पानी पिलाकर पुण्य कमा रहे हैं. बता दें 79 साल की उम्र में दुर्गा प्रसाद सेन के हाथ कांपने लगे हैं, लेकिन आत्म संतुष्टि के लिए आज भी अपना काम पूरे साल करते हैं.
पौधों को पानी देकर किया बड़ाः नौगांव अदालत परिसर में करीब 29 हरे-भरे पेड़ लगे हुए हैं. ये पेड़ दुर्गा ने ही लगाए थे. हर साल एक पौधा लगाते और उन्हें पानी देते. उनका दिन लोगों को पानी पिलाने और पौधों व पेड़ों को पानी देने में ही गुजर जाता है. दुर्गा की मेहनत का ही नतीजा है कि अदालत परिसर हरा-भरा है. गर्मियों में लोगों को इन पेड़ों की छाया मिलती है.
हर अमावस्या को पानी पिलाने जाते हैं चित्रकूटः धार्मिक क्रियाकलापों और भगवान में विश्वास रखने वाले दुर्गा हर अमावस्या को चित्रकूट जाते हैं. वहां कामतानाथ की परिक्रमा करने आने वाले लोगों को पानी पिलाने का काम करते हैं. चित्रकूट से लौटते तो नौगांव अदालत में लोगों को पानी पिलाने का काम करने लगते. मौसम गर्मी का हो या सर्दी, बारिश का दुर्गा हर मौसम में प्यासे लोगों को पानी पिलाने का काम करते हैं. पिछले 25 साल में दुर्गा प्रसाद सेन ने शायद किसी दिन अपने काम से छुट्टी ली हो. दुर्गा प्रसाद सेन के 4 बच्चे भी हैं, लेकिन उनके बच्चे अपने परिवार के साथ अलग रहते हैं. ऐसे में उनका खर्च चलाने के लिए अदालत के वकील स्वेच्छा से कभी-कभी मदद कर दिया करते हैं, जिससे उनका गुजारा हो जाता है.
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ये कहते हैं लोग: वकील पुरुषोत्तम सोनी का कहना है कि दुर्गा प्रसाद पिछले 29 साल से वकीलों, पक्षकारों को उनके पास जाकर पानी पिलाते, पानी पिलाने का तरीका भी इतना आत्मीय होता है कि हर कोई उनके आते ही अपने हाथ आगे बढ़ा देता है. साथ में उन्होंने कहा कि अदालत परिसर में जितने भी पेड़ हैं, वे सभी दुर्गा प्रसाद के लगाए हुए हैं. नि:शुल्क पानी पिलाने का काम बिना रुके 29 साल से कर रहे हैं. उनके पास आमदनी का साधन नहीं है, लेकिन फिर भी नि:शुल्क पानी ही पिलाते हैं.