छतरपुर। राजनगर तहसील के बमीठा थाना क्षेत्र अंतर्गत रहने वाली एक मां पिछले 2 साल से अपने दिव्यांग बेटी का दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है. दिव्यांग लड़की की मां जब भी किसी कार्यालय में मदद के लिए जाती है तो उसे ये कहकर भगा दिया जाता है कि उसकी बेटी पागल है.
रमिया का कहना है कि उसकी बेटी की 6 साल की उम्र में एक बीमारी के चलते उसकी आवाज चली गई और अब वह बोल नहीं पाती है. उसका स्वभाव भी बच्चों की तरह हो गया है, लेकिन वह पागल नहीं है. रामिया ने बताया कि वह जब भी वह किसी अधिकारी के पास जाती है तो अधिकारी उनकी बेटी को पागल कह कर ग्वालियर इलाज कराने की बात कह देते हैं. हालांकि, जब उनकी बेटी को ग्वालियर ले गए तो वहां भी उसे किसी भी डॉक्टर ने पागल नहीं कहा.
उनकी मांग है कि उनकी बेटी का दिव्यांग प्रमाण पत्र बन जाए, ताकि उसे पेंशन मिलने लगे. रमिया अहिरवार का कहना है कि उसके परिवार में उसके पति हैं. वह मजदूरी करते हैं और पिछले एक साल से बीमार हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, जिसकी वजह से उन्हे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.