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दिव्यांग बेटी को लेकर दर-दर भटक रही मां, पागल बता भगा देते हैं अधिकारी - पागल

छतरपुर में एक मां पिछले दो साल से अपने दिव्यांग बेटी का दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है.

दिव्यांग बेटी को लेकर दर-दर भटक रही मां
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Published : Aug 27, 2019, 11:52 PM IST

छतरपुर। राजनगर तहसील के बमीठा थाना क्षेत्र अंतर्गत रहने वाली एक मां पिछले 2 साल से अपने दिव्यांग बेटी का दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है. दिव्यांग लड़की की मां जब भी किसी कार्यालय में मदद के लिए जाती है तो उसे ये कहकर भगा दिया जाता है कि उसकी बेटी पागल है.

दिव्यांग बेटी को लेकर दर-दर भटक रही मां

रमिया का कहना है कि उसकी बेटी की 6 साल की उम्र में एक बीमारी के चलते उसकी आवाज चली गई और अब वह बोल नहीं पाती है. उसका स्वभाव भी बच्चों की तरह हो गया है, लेकिन वह पागल नहीं है. रामिया ने बताया कि वह जब भी वह किसी अधिकारी के पास जाती है तो अधिकारी उनकी बेटी को पागल कह कर ग्वालियर इलाज कराने की बात कह देते हैं. हालांकि, जब उनकी बेटी को ग्वालियर ले गए तो वहां भी उसे किसी भी डॉक्टर ने पागल नहीं कहा.

उनकी मांग है कि उनकी बेटी का दिव्यांग प्रमाण पत्र बन जाए, ताकि उसे पेंशन मिलने लगे. रमिया अहिरवार का कहना है कि उसके परिवार में उसके पति हैं. वह मजदूरी करते हैं और पिछले एक साल से बीमार हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, जिसकी वजह से उन्हे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

छतरपुर। राजनगर तहसील के बमीठा थाना क्षेत्र अंतर्गत रहने वाली एक मां पिछले 2 साल से अपने दिव्यांग बेटी का दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है. दिव्यांग लड़की की मां जब भी किसी कार्यालय में मदद के लिए जाती है तो उसे ये कहकर भगा दिया जाता है कि उसकी बेटी पागल है.

दिव्यांग बेटी को लेकर दर-दर भटक रही मां

रमिया का कहना है कि उसकी बेटी की 6 साल की उम्र में एक बीमारी के चलते उसकी आवाज चली गई और अब वह बोल नहीं पाती है. उसका स्वभाव भी बच्चों की तरह हो गया है, लेकिन वह पागल नहीं है. रामिया ने बताया कि वह जब भी वह किसी अधिकारी के पास जाती है तो अधिकारी उनकी बेटी को पागल कह कर ग्वालियर इलाज कराने की बात कह देते हैं. हालांकि, जब उनकी बेटी को ग्वालियर ले गए तो वहां भी उसे किसी भी डॉक्टर ने पागल नहीं कहा.

उनकी मांग है कि उनकी बेटी का दिव्यांग प्रमाण पत्र बन जाए, ताकि उसे पेंशन मिलने लगे. रमिया अहिरवार का कहना है कि उसके परिवार में उसके पति हैं. वह मजदूरी करते हैं और पिछले एक साल से बीमार हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, जिसकी वजह से उन्हे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

Intro:पिछले कई सालों से एक मां अपने दिव्यांग बेटी को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है 2 साल बीत जाने के बाद भी मां बेटी को कोई राहत नहीं मिली! परेशान मत जिस बेटी को लेकर दरबदर भटक रही है वह दिव्यांग है और मां चाहती है कि उसका दिव्यांग सर्टिफिकेट बन जाए लेकिन अधिकारी उसे इस दफ्तर से लेकर दफ्तर भेज देते हैं लेकिन किसी ने भी उसकी नहीं सुनी!


Body:मामला राजनगर तहसील के बमीठा थाना क्षेत्र अंतर्गत रहने वाली रमिया अहिरवार का है रमिया हर बार पिछले कई सालों से अपनी बेटी बबली अहिरवार के लिए दरबदर भटक रही है रमिया अहिरवार का कहना है कि उसकी बेटी दिव्यांग है और उसी का प्रमाण पत्र बनवाने के लिए वह सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रही है!

रमिया का कहना है कि उसकी बेटी का नाम बबली अहिरवार है 6 साल की उम्र में एक बीमारी के चलते उसकी आवाज चली गई और अब वह भूल नहीं पाती है उसका स्वभाव भी बच्चों की तरह हो गया है लेकिन वह पागल नहीं है!

हम लोगों ने कई अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट लिए लेकिन किसी ने भी हमारी मदद नहीं की जब भी हम किसी अधिकारी के पास जाते हैं तो अधिकारी मेरी बेटी को पागल कह कर ग्वालियर इलाज कराने की बात कह देते हैं हालांकि जब हम लोग ग्वालियर गए तो वहां भी मेरी बेटी को किसी भी डॉक्टर ने पागल नहीं कहा!

रमिया अहिरवार चाहती हैं कि उनकी बेटी का दिव्यांग प्रमाण पत्र बन जाए ताकि उसे पेंशन मिलने लगे रमिया अहिरवार का कहना है कि उसके परिवार में उसके पति हैं वह मजदूरी करते हैं और पिछले 1 साल से बीमार है परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है यही वजह है कि हम चाहते हैं कि बबली अहिरवार को दिव्यांग पेंशन मिलने लगे!

रमिया का कहना है कि वह आज सुबह 9:00 बजे कलेक्ट्रेट आ गई थी अब से लेकर अभी तक वह एवं उसकी बेटी यहीं पर मौजूद है कई घंटे बीत गए हैं इसलिए दोनों को भूख भी लगी है सुबह से कुछ नहीं खाया अगर हमारा काम जल्दी हो जाएगा तो हम लोग समय से घर पहुंच जाएंगे!

बाइट_रमिया अहिरवार

वहीं मामले में एडीएम प्रेम सिंह चौहान ने तुरंत मामले का संज्ञान लेते हुए यथासंभव मदद करने की बात कही है प्रेम सिंह चौहान का कहना है कि जल्द से जल्द बबली का दिव्यांग प्रमाण पत्र बन जाएगा और उसे पेंशन भी मिलने लगेगी!

बाइट_एडीएम प्रेम सिंह चौहान


Conclusion:नेता अपनी बेटी के साथ ही 2 सालों से लगातार शासकीय कार्यालयों के चक्कर लगा रही है लेकिन अभी तक ना तो उसका दिव्यांग प्रमाण पत्र बन सका है और ना ही उसे पेंशन मिल सखी है!
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